हैदराबाद : आज फादर्स डे है. 'अमेरिकन फादरहुड : ए कल्चरल हिस्ट्री' के लेखक लॉरेंस आर सैमुअल के अनुसार, 1900 के दशक की शुरुआत में ज्यादातर लोगों के लिए पिता के साथ छुट्टी मनाने का विचार अकल्पनीय था. पहली बार फादर्स डे 1908 में वेस्ट वर्जीनिया चर्च में मनाया गया, जब अमेरिकी इतिहास में सबसे दर्दनाक खनन दुर्घटना में सैकड़ों लोग मारे गए थे. एक समर्पित पादरी की बेटी ग्रेस गोल्डन क्लेटन ने जीवित और मृत पिताओं को सम्मान और शुक्रिया अदा करने के लिए एक दिन का प्रस्ताव दिया था.
फादर्स डे को उत्सव की तरह मनाने का श्रेय वाशिंगटन की निवासी सोनोरा स्मार्ट डोड को जाता है. डोड की मां की मृत्यु हो जाने के बाद उनकी और उनके पांच भाई-बहनों की परवरिश उनके पिता ने की थी. अपने पिता का सम्मान करने के लिए, वह मदर्स डे की तरह एक दिन अपने पिता के लिए समर्पित करना चाहती थी. 19 जून, 1910 को उन्होंने फादर्स डे मनाया. यह एक औपचारिक सभा थी, इसलिए डोड अमेरिका में फादर्स डे की जननी कही जाने लगी.
सिंगल पेरेंटिंग कठिन होती है, वहीं अगर बात सिंगल फादरहुड की जाए तो इसमें अधिक चुनौतियां होती हैं.
पिता के नेतृत्व में एकल माता-पिता परिवार दुनिया के कई क्षेत्रों में बढ़ रहे हैं. इसकी वजह बड़े पैमाने पर हो रहे तलाक, अलगाव और गैर-वैवाहिक प्रसव की बढ़ती दर है.
2011 में, संयुक्त राज्य अमेरिका में 26 लाख से अधिक घरों (1960 के बाद से नौ गुना वृद्धि) और कनाडा में लगभग 3.3 लाख (3.5%) घरों में सिर्फ पिता ही बच्चों को पाल रहे हैं और घर चला रहे हैं. ब्रिटेन में लगभग 30 लाख एकल माता-पिता परिवार (सिंगल पेरेंट फैमली) हैं, जिनमें से लगभग 10% एकल पिता हैं.
आज तक, एकल माता-पिता पर किए गए शोध काफी हद तक एकल माताओं पर केंद्रित होते हैं. आम तौर पर एकल माताओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति, उनका स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है.
सिंगल फादरहुड के रास्ते में आने वाली चुनौतियां :-
सहयोग
ऐतिहासिक रूप से, पुरुषों को सहायता और सहयोग देने वाला माना जाता है. ऐसे में एकल पिता के लिए यह जानना मुश्किल हो जाता है कि कैसे और कब वह दोस्तों और परिवार से चाइल्डकेयर या अन्य मुद्दों के बारे में मदद मांग सकता है. इसके लिए एक पिता एक ऐसे नेटवर्किंग समूह की मदद ले सकता है, जहां उसके जैसे अन्य पुरुष भी शामिल हों, जो बच्चों के प्राथमिक देखभालकर्ता की भूमिका निभा रहे हों. इसी के साथ उन्हें अपने काम और जीवन में संतुलन बनाए रखना होगा.
अति संरक्षण
जब व्यक्तिगत जीवन की चुनौती से निबटने की बात आती है, तो एकल पिता अक्सर अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत करते हैं. सिंगल डैड्स के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है अपने बच्चों की सफलता के लिए उन्हें जीवन की कुछ समस्याओं और चुनौतियों से जूझने देना. अपने बच्चों को अपने पैरों पर खड़ा करना.
अनुशासन
एकल पिता के सामने एक अन्य चुनौती अनुशासन बनाए रखने की होती है. अपने किशोरावस्था की ओर बढ़ते बेटे या बेटी को समझना एक पिता के लिए मुश्किल होता है. इसके अलावा, तलाक के बाद बच्चों को संघर्ष करता देखना एकल माता-पिता के लिए असामान्य नहीं है. ऐसे में सिंगल डैड अपने बच्चों से दूर होने लगते हैं और उन्हें अनुशासित रखने या उन्हें कुछ कहने-समझाने में संकोच करने लगते हैं.
संतुलन
एकल पिता अक्सर अपने स्वयं के व्यक्तिगत जीवन और बच्चों के पालन-पोषण को चुनौती मानने लगते हैं. उन्हें दोनों काम एक साथ करना मुश्किल लगने लगता है. ऐसे में एकल पिता दोस्तों के साथ घूमने का समय निकाल सकते हैं, डेट पर जा सकते हैं, और अपने शौक पूरे कर सकते हैं. हालंकि, संतुलन सिर्फ चीजों तक सीमित नहीं है, यह भावनाओं के बारे में भी है.
सेल्फ केयर के लिए समय निकालना
एकल पिताओं में अक्सर खराब मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लक्षण दिखाते हैं, इसलिए सुनिश्चित करें कि आप अपना थोड़ा-सा ध्यान अपनी जरूरतों और इच्छाओं पर रखें. साथ ही तनाव को कम करने के तरीके ढूंढें. यह महत्वपूर्ण है कि उस तनाव का सामना करने के लिए छोटे तरीके सीखें और उसे कम करें. इससे आपको अधिक चुनौतीपूर्ण समय से गुजरने में मदद मिल सकती है.
हर कोई एक विकल्प छोड़ता है
दादा-दादी, दोस्त, या अजनबी हर किसी के पास बच्चों की परवरिश को लेकर एक पिता के बारे में और उसकी क्षमताओं के बारे में राय होती है. इससे कई बार एकल पिता आत्मविश्वास खो सकता है जबकि इन राय या अवांछित सलाह पर ध्यान नहीं देते हुए एकल पिता अपने बच्चों के लिए बहुत कुछ अच्छा कर सकता है.
जाने-माने सिंगल डैड्स
बॉलीवुड से हॉलीवुड तक, एंटरप्रेन्योर से खेल जगत तक कई एकल पिता हैं, जो व्यक्तिगत जीवन और पेशेवर जिंदगी में सफल हैं. साथ ही अपने बच्चों को एक अच्छी जिंदगी दे रहे हैं. आदित्य तिवारी, करन जौहर, राहुल बोस, राहुल देव, संदीप सोपरकर, तुषार कपूर, ऋतिक रोशन, अनुराग कश्यप, कमल हासन, लिएंडर पेस, टॉम क्रूज, जॉनी डेप, ज्योति रंधावा सहित कुछ ऐसी हस्तियां हैं, जो सिंगल पेरेंटहुड से खुश हैं.