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शांतिकुंज प्रमुख और उनकी पत्नी पर हरिद्वार में केस दर्ज, दुष्कर्म और धमकी देने का आरोप

शांतिकुंज प्रमुख डॉ प्रणव पांड्या और उनकी पत्नी के खिलाफ हरिद्वार में मुकदमा दर्ज किया गया है. पहले दिल्ली में जीरो एफआईआर दर्ज कराई गई थी, जिसे अब हरिद्वार ट्रांसफर कर दिया गया है. पढ़ें पूरी खबर...

प्रतीकात्मक तस्वीर
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Published : May 10, 2020, 11:35 AM IST

देहरादून : हरिद्वार शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पांड्या और उनकी पत्नी के खिलाफ हरिद्वार में मुकदमा दर्ज किया गया है. इससे पहले दिल्ली में छत्तीसगढ़ निवासी एक शिष्या ने दोनों के खिलाफ जीरो एफआईआर दर्ज कराई थी. शांतिकुंज प्रमुख पर दुष्कर्म और धमकी देने का आरोप लगाया था. महिला के आरोप पर शांतिकुंज प्रमुख का खंडन भी आया था.

शांतिकुंज प्रमुख ने पूरे मामले को उनके खिलाफ साजिश करार दिया था. उन्होंने कहा था कि उनके ही संस्थान में रहकर उनके खिलाफ साजिश की गई है. महिला से बेवजह का आरोप लगवाकर उनसे पिछले 10 सालों से पैसों की मांग की जा रही है. शांतिकुंज प्रमुख ने कहा था कि वो अब भी उस व्यक्ति का बुरा नहीं चाहते. उसने अपनी पत्नी के माध्यम से उनपर यह आरोप लगाया है और वो बस इतना चाहते हैं कि उसे इस ब्लैकमेलिंग के तहत पैसे मिल सकें, लेकिन ऐसा नहीं होगा.

लड़की की जीरो एफआईआर अब दिल्ली से शहर कोतवाली ट्रांसफर हो गई है. हरिद्वार एसएसपी ने इस हाई प्रोफाइल मामले की जांच के लिए तत्काल ही एक टीम गठित कर जांच की कमान महिला हेल्पलाइन की इंचार्ज मीना आर्या को सौंपी है. मामले में एसएसपी हरिद्वार ने बताया कि मामले की जांच की जिम्मेदारी मीना आर्या करेंगी. उनके साथ कोतवाली ज्वालापुर के प्रभारी योगेश देव सहयोग करेंगे. साथ ही सीओ सदर पूर्णिमा गर्ग करेंगी इस टीम का हिस्सा होंगी.

पुलिस को दिए बयान में पीड़िता ने कहा था कि साल 2010 में जब वह 14 साल की थी तो 19 मार्च 2010 को गांव के एक व्यक्ति संग हरिद्वार पहुंची, जहां शांतिकुंज गायत्री परिवार में अच्छा भोजन, साधना, पढ़ाई और शादी का बहाना देकर चौके में भोजन व्यवस्था का काम दिलाया. 21 मार्च 2010 को उसे भोजन और प्रसाद बनाने के लिए रखा गया था.

पीड़िता के मुताबिक, जुलाई 2010 को वह शांतिकुंज के प्रमुख को कॉफी देने कमरे में गई. उसी दौरान कमरे का दरवाजा बंद कर दिया गया. पीड़िता का आरोप है कि कमरे में उसके साथ दुष्कर्म किया गया. पीड़िता के मुताबिक इस घटना के एक सप्ताह बाद फिर उसके साथ दोबारा दुष्कर्म किया गया और धमकी देकर किसी से घटना का जिक्र नहीं करने को कहा लेकिन हिम्मत करके घटना की जानकारी दी तो मुंह बंद करने की धमकी दी गई.

पढ़ें : मध्य प्रदेश : मजदूरों को ले जा रहा ट्रक पलटा, पांच की मौत

पीड़िता ने पुलिस को दिए बयान में कहा है कि घटना के बाद उसकी तबीयत खराब रहने लगी. इलाज के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ तो 2014 में उसे वापस घर भेज दिया गया. स्वास्थ्य में सुधार होने के बाद दोबारा हरिद्वार बुलाया गया, लेकिन उसने जाने से इनकार कर दिया. 2018 में इस घटना को लेकर उसने फिर शिकायत दर्ज कराने का प्रयास किया. लेकिन इसकी जानकारी शांतिकुंज प्रमुख को हो गई थी और उन्होंने फोन पर धमकी दी थी कि उसकी शिकायत से कुछ नहीं होगा.

पीड़िता ने अपने बयान में कहा कि निर्भया के दोषियों को जब सजा मिली तो उसका हौसला बढ़ा और कानून पर विश्वास बढ़ा. पीड़िता ने अपने बयान में कहा कि पवित्र मिशन की आड़ में वहां पर लड़कियों के साथ गलत काम किया जा रहा है. बीते सात अप्रैल को उसने पीएमओ और राष्ट्रीय महिला आयोग को घटना की जानकारी ईमेल द्वारा दी है. पीड़िता के अनुसार लॉकडाउन के चलते वह दिल्ली में फंसी हुई है इसलिए यहां जीरो एफआईआर दर्ज कराई है.

देहरादून : हरिद्वार शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पांड्या और उनकी पत्नी के खिलाफ हरिद्वार में मुकदमा दर्ज किया गया है. इससे पहले दिल्ली में छत्तीसगढ़ निवासी एक शिष्या ने दोनों के खिलाफ जीरो एफआईआर दर्ज कराई थी. शांतिकुंज प्रमुख पर दुष्कर्म और धमकी देने का आरोप लगाया था. महिला के आरोप पर शांतिकुंज प्रमुख का खंडन भी आया था.

शांतिकुंज प्रमुख ने पूरे मामले को उनके खिलाफ साजिश करार दिया था. उन्होंने कहा था कि उनके ही संस्थान में रहकर उनके खिलाफ साजिश की गई है. महिला से बेवजह का आरोप लगवाकर उनसे पिछले 10 सालों से पैसों की मांग की जा रही है. शांतिकुंज प्रमुख ने कहा था कि वो अब भी उस व्यक्ति का बुरा नहीं चाहते. उसने अपनी पत्नी के माध्यम से उनपर यह आरोप लगाया है और वो बस इतना चाहते हैं कि उसे इस ब्लैकमेलिंग के तहत पैसे मिल सकें, लेकिन ऐसा नहीं होगा.

लड़की की जीरो एफआईआर अब दिल्ली से शहर कोतवाली ट्रांसफर हो गई है. हरिद्वार एसएसपी ने इस हाई प्रोफाइल मामले की जांच के लिए तत्काल ही एक टीम गठित कर जांच की कमान महिला हेल्पलाइन की इंचार्ज मीना आर्या को सौंपी है. मामले में एसएसपी हरिद्वार ने बताया कि मामले की जांच की जिम्मेदारी मीना आर्या करेंगी. उनके साथ कोतवाली ज्वालापुर के प्रभारी योगेश देव सहयोग करेंगे. साथ ही सीओ सदर पूर्णिमा गर्ग करेंगी इस टीम का हिस्सा होंगी.

पुलिस को दिए बयान में पीड़िता ने कहा था कि साल 2010 में जब वह 14 साल की थी तो 19 मार्च 2010 को गांव के एक व्यक्ति संग हरिद्वार पहुंची, जहां शांतिकुंज गायत्री परिवार में अच्छा भोजन, साधना, पढ़ाई और शादी का बहाना देकर चौके में भोजन व्यवस्था का काम दिलाया. 21 मार्च 2010 को उसे भोजन और प्रसाद बनाने के लिए रखा गया था.

पीड़िता के मुताबिक, जुलाई 2010 को वह शांतिकुंज के प्रमुख को कॉफी देने कमरे में गई. उसी दौरान कमरे का दरवाजा बंद कर दिया गया. पीड़िता का आरोप है कि कमरे में उसके साथ दुष्कर्म किया गया. पीड़िता के मुताबिक इस घटना के एक सप्ताह बाद फिर उसके साथ दोबारा दुष्कर्म किया गया और धमकी देकर किसी से घटना का जिक्र नहीं करने को कहा लेकिन हिम्मत करके घटना की जानकारी दी तो मुंह बंद करने की धमकी दी गई.

पढ़ें : मध्य प्रदेश : मजदूरों को ले जा रहा ट्रक पलटा, पांच की मौत

पीड़िता ने पुलिस को दिए बयान में कहा है कि घटना के बाद उसकी तबीयत खराब रहने लगी. इलाज के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ तो 2014 में उसे वापस घर भेज दिया गया. स्वास्थ्य में सुधार होने के बाद दोबारा हरिद्वार बुलाया गया, लेकिन उसने जाने से इनकार कर दिया. 2018 में इस घटना को लेकर उसने फिर शिकायत दर्ज कराने का प्रयास किया. लेकिन इसकी जानकारी शांतिकुंज प्रमुख को हो गई थी और उन्होंने फोन पर धमकी दी थी कि उसकी शिकायत से कुछ नहीं होगा.

पीड़िता ने अपने बयान में कहा कि निर्भया के दोषियों को जब सजा मिली तो उसका हौसला बढ़ा और कानून पर विश्वास बढ़ा. पीड़िता ने अपने बयान में कहा कि पवित्र मिशन की आड़ में वहां पर लड़कियों के साथ गलत काम किया जा रहा है. बीते सात अप्रैल को उसने पीएमओ और राष्ट्रीय महिला आयोग को घटना की जानकारी ईमेल द्वारा दी है. पीड़िता के अनुसार लॉकडाउन के चलते वह दिल्ली में फंसी हुई है इसलिए यहां जीरो एफआईआर दर्ज कराई है.

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