Panjar Bhokba Mela: 'शरीर में भेदते हैं लोहे का नुकीला छड़ लेकिन शरीर से नहीं निकलता है खून का एक भी कतरा' - पंजर भोकबा का मेला
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पटना: राजधानी की पटना सिटी में पंजर भोकबा का मेला का आयोजन किया गया. सप्तवानी के दो दिन बाद रानीपुर के भवनगामा इलाके में सावित्री सत्यवान की कथा जो 450 वर्षों पुरानी है, उस कथा को जीवंत आज भी इस इलाके के लोग पंजर भोकबा मेला के रूप में मनाते हैं. सदियों से तीन दिवसीय मेला के रूप में मना रहे लोग पंजरभोकबा मेला का आयोजन कर शाम में इस मेला की समाप्ति करते हैं. आस्था और विश्वास का बना यह केंद्र जिसे हमसभी अंधविश्वास भी कह सकते हैं, लेकिन लोगों का कहना है कि यह सती की याद में हम सभी पूजा करते हुए लोहे का नुकीला छड़ अपने शरीर मे भेदते हैं लेकिन शरीर से एक भी कतरा खून नहीं निकलता है. यही इसका शक्ति का प्रमाण है. पूरे देश मे बिहार और मलेशिया में इस पर्व का आयोजन होता है. जहां भक्ति भाव मे मस्त होकर यह पंजर भोकबा मेला का रूप देते हैं. माना जाता है कि यह मेला सावित्री द्वारा किए तप और यमराज द्वारा सत्यवान को मिले जीवन की याद में लगता है. मेले के आयोजक अमलेश कुमार पप्पू कहते हैं कि हर साल इस दिन हमलोग इस मेले का आयोजन करते हैं.