विश्व को शांति का पाठ पढ़ाने वाले भगवान गौतम बुद्ध की जीवन यात्रा पर नाट्य मंचन, देखें VIDEO - सिद्धार्थ से बुद्ध बनने का सफर

🎬 Watch Now: Feature Video

thumbnail

By

Published : Jan 11, 2023, 10:18 AM IST

विश्व को शांति का पाठ पढ़ाने वाले भगवान गौतम बुद्ध की जीवन यात्रा पर आधारित रेन मार्क लिखित और निर्देशित नाटक गौतम बुद्ध का मंचन (Drama on life journey of Gautam Buddha) पटना के सैदपुर स्थित प्रेमचंद रंगशाला में किया गया. लेखक का उद्देश्य गौतम बुद्ध के विचारों को हर एक लोग तक पहुंचना है. दरअसल आज जिस तरह से हमारे समाज में हिंसा और अशांति बढ़ रही है, वैसी परिस्थिति में गौतम बुद्ध के विचारों को अपनाना अत्यंत आवश्यक है. यह नाटक भंते डॉ. यू पैयालिंकारा जी को समर्पित है. भंते डॉ यू पैयालिंकारा चाइनीज टेंपल नालंदा के बौद्ध गुरु रहे हैं, जिनका निर्वाण हाल ही में हुआ. नाटक की शुरुआत सिद्धार्थ के जन्म से होता हैं. हर जगह उनके जन्म उत्सव को मनाया जा रहा है. सिद्धार्थ के पिता महाराज शुद्धोदन और माता महारानी गौतमी काफी आनंदित हैं. जन्म उत्सव के दिन असित मुनि सिद्धार्थ को लेकर भविष्यवाणी करते हैं कि अगर यह राजा हुए तो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ राजाओं में इनकी गिनती होगी और अगर राजा नहीं हुए तो यह दुनिया को राह दिखाने वाले एक महान संन्यासी होंगे. सिद्धार्थ को बचपन से ही एकांत में रहना काफी अच्छा लगता है. उन्हें प्रकृति काफी लुभावनी लगती हैं. सिद्धार्थ काफी भावुक है. उनसे किसी का दुख देखा नहीं जाता हैं. जैसे जैसे सिद्धार्थ बड़ा होता है महाराज को उनकी चिंता सताने लगती है. उन्हें डर लगने लगता है की असित मुनि की भविष्यवाणी सत्य ना हो जाए. महाराज शुद्दोधन सिद्धार्थ का ध्यान भंग करने के लिए अप्सराओं को भेजते है लेकिन उनकी हर कोशिश नाकाम हो जाती है. कालांतर में सिद्धार्थ की शादी यशोधरा से हो जाती है. वहीं शादी के बाद भी उनका अधिकांश समय एकांत में बीतता है. एक दिन सिद्धार्थ राजमहल से बाहर जाते हैं. जहां उनकी मुलाकात एक वृद्ध व्यक्ति, एक रोगी, मृत व्यक्ति और संन्यासी से होती है. इनसे मिलने के बाद उन्हें दुख का आभास होता है.वह मनुष्य को उनके दुखों से आजाद कराना और सत्य की खोज करना चाहते हैं. फिर एक रात सिद्धार्थ अपनी पत्नी, पुत्र, माता-पिता को छोड़ सत्य की खोज के लिए निकल जाते है. रास्ते में उनकी मुलाकात पांच ब्राह्मणों से होती है. सिद्धार्थ एक वटवृक्ष के पास जाकर ध्यान लगाते हैं जहां सुजाता उनको खीर खिलाती है. वर्षों की कठिन तपस्या के बाद बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध होते है.सारनाथ में भगवान बुद्ध अपना पहला उपदेश देते हैं. गौतम बुद्ध की चर्चा विश्व के हर कोने में होने लगती हैं. गौतम बुद्ध से प्रभावित होकर डाकू अंगुलिमाल भी बुद्ध की शरण मे आ जाते हैं.

ABOUT THE AUTHOR

author-img

...view details

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.