बेतिया में आज भी मौजूद हैं बापू के निशान, नील की खेती के खिलाफ यहीं जलाई थी सत्याग्रह की मशाल - title of Mahatma
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चंपारण ही वो जगह है जहां गांधीजी को महात्मा का खिताब मिला था. इसी चंपारण से राष्ट्रपिता ने अंग्रेजो के खिलाफ नील आंदोलन से सत्याग्रह तक की मशाल जलाई थी या यूं कहें कि इसी चंपारण सत्याग्रह ने अंग्रेजों की नींव हिला दी थी. बेतिया जिला मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर की दूरी पर वह इलाका स्थिति है जहां नील की खेती के नाम पर अंग्रेज भारतीय किसानों का शोषण करते थे. पेश है रिपोर्ट:
Last Updated : Oct 2, 2019, 8:43 PM IST