सावधान: कहीं मौत के मुंह में तो नहीं धकेल रहा आपका सैनिटाइजर? - adulterated sanitizer
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पूरा विश्व कोरोना महामारी का दंश झेल रहा है. सभी क्षेत्रों में इसका नकारात्मक असर पड़ा है. वहीं, कुछ क्षेत्रों में आपदा में अवसर जैसा सकरात्मक पहलू देखने को मिला है. इसमें कोरोना से बचाव के लिए सुझाए जा रहे सैनेटाइजर का नाम भी शामिल है. महामारी के इस दौर में जहां अन्य उत्पादों की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई वहीं, सैनिटाइजर हर घर में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहा. कोरोना वायरस के दस्तक देने से पहले महज कुछ ही लोग सैनिटाइजर का प्रयोग करते थे. ज्यादातर लोग हॉस्पिटल में किसी मरीज से मिलने जाने या देखभाल करने के समय ही इसका प्रयोग करते थे, लेकिन कोविड के दौर में लोग साबुन से ज्यादा सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर रहे हैं. जिससे मार्केट में भी इसकी खपत बढ़ गई है. सैनिटाइजर की डिमांड और अन्य व्यवसाए में हो रहे घाटे को देखते हुए छोटे से लेकर बड़े उद्योग भी इसका निर्माण करने लगे. आज के समय में ब्रांडेड के साथ लोकल कंपनियां भी सैनिटाइजर बना रही हैं. बांका जिले के शराब फैक्ट्री में रोज पांच लीटर हैंड सैनिटाइजर बनाने की शुरूआत की गई. जिसमें सुगंध के लिए लेमनग्रास के तेल का उपयोग किया जाने लगा. जिससे लेमनग्रास की खेती करने वाले किसानों को फायदा हुआ.