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बगहा: 'मान लो तो हार और ठान लो तो जीत' को डॉक्टर ने किया साबित, बदल दी अस्पताल की तस्वीरें

डॉ. के बी एन सिंह बताते हैं कि उनके पिता ने सिर्फ एक ही बात कही थी. नौकरी के साथ हमेशा समर्पण भाव से न्याय करना और उसी को साकार करते हुए इन्होंने अस्पताल में कम संसाधन होते हुए भी उसकी तस्वीर बदलने की भरपूर कोशिश की है.

बगहा
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Published : Oct 17, 2020, 10:00 PM IST

Updated : Nov 13, 2020, 10:12 AM IST

बगहा: बगहा का अनुमंडलीय अस्पताल पहले हमेशा चुनावी मुद्दा बनता था. लेकिन एक युवा चिकित्सक ने कोरोना काल में इस अस्पताल की तस्वीर बदल कर रख दी है. बीते 8 महीने से चिकित्सक ने एक भी छुट्टी नहीं ली है. अब यहां इलाज कराने आने वाले लोगों को अस्पताल की व्यवस्था से कोई शिकायत नहीं रहती और लोगों को आंशिक सुविधाओं में ही बेहतर चिकित्सा उपलब्ध हो जा रही है.

युवा चिकित्सक ने अपने समर्पण से बदल दी अस्पताल की तस्वीर
दरअसल, बगहा अनुमंडलीय अस्पताल वर्षों से कुव्यवस्था के दौर से गुजर रहा था. लिहाजा प्रत्येक चुनावी साल में यह अस्पताल चुनावी मुद्दा बनता आ रहा था. लेकिन कहा गया है जब देश के उत्कृष्ट भविष्य की बागडोर युवा कंधों पर हो, तो सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलता है. ऐसा ही कुछ नजीर पेश किया है. बगहा अनुमंडलीय अस्पताल के युवा चिकित्सक और वर्तमान अस्पताल उपाधीक्षक के बी एन सिंह ने. जिनके समर्पण की भावना से इस अस्पताल की सूरत बदल गई है. वहीं इलाज कराने आने वाले मरीज काफी खुश दिखते हैं और उनकी कोई शिकायत नहीं रहती है.

देखें पूरी रिपोर्ट

कोरोना काल में अब तक नहीं ली एक भी छुट्टी
मधेपुरा जिले में पेशे से एक मिडिल स्कूल के शिक्षक स्व. विवेकानंद सिंह के द्वितीय पुत्र डॉ. कुमार विशुद्धानन्द सिंह की पदस्थापना बगहा अनुमंडलीय अस्पताल में अगस्त 2017 में हुई थी, तब अस्पताल की व्यवस्था उतनी सुदृढ़ नहीं थी और गाहे-बगाहे अस्पताल में हंगामा होता रहता था. हालात ऐसे थे कि मरीजों को चिकित्सकों से भी मुलाकात नहीं हो पाती थी. लेकिन वर्ष 2017 में ज्वाइनिंग के बाद जब वर्ष 2019 से इन्होंने बगहा में लगातार अपनी सेवा देना शुरू किया, तो अस्पताल के हालात बदल गए और इनके कार्यकुशलता को देखते हुए सिविल सर्जन ने अस्पताल उपाधीक्षक के तौर पर प्रभार दे दिया. जिसका इन्होंने बखूबी निर्वहन किया और बीते 8 महीने से इन्होंने एक भी छुट्टी नहीं ली है.

पिता के सपनों को कर रहे साकार
डॉ. के बी एन सिंह अपने पिता के सपनों को याद कर भावुक हो उठते हैं और बताते हैं कि उनके पिता ने सिर्फ एक ही बात कही थी. जिसे वो नहीं भूलते. डॉ सिंह के मुताबिक उनके स्वर्गवासी पिता ने कहा था अपने नौकरी के साथ हमेशा समर्पण भाव से न्याय करना और उसी को साकार करते हुए इन्होंने अस्पताल में कम संसाधन होते हुए भी उसकी तस्वीर बदलने की भरपूर कोशिश की है. मरीज बताते हैं कि डॉ. के बीएन सिंह अस्पताल परिसर में जहां रहते हैं. वहीं आसानी से मरीजों को देख लेते हैं. इतना ही नहीं देर रात भी याद करने पर बिना आलस दिखाए इलाज करने से नहीं हिचकते हैं.

बहन भी हैं चिकित्सक
अस्पताल उपाधीक्षक के बी एन सिंह ने एमबीबीएस, पीजी डिप्लोमा इन फैमिली मेडिसिन, पीजी हॉस्पिटल मैनेजमेंट, पीजी डिप्लोमा इन मैटरनिटी एंड चाइल्ड हेल्थ सहित पीजी डिप्लोमा इन बायो केमिस्ट की डिग्रियां हासिल की हैं. इनकी बहन भी आयुर्वेद चिकित्सक हैं. तकरीबन 40 वर्षीय के बी एन सिंह अभी भी अविवाहित हैं और इनका ख्वाब है कि बगहा अनुमंडलीय अस्पताल बेहतर इलाज के मामले में जिला में उच्चतम प्रसिद्धि पाए.

बगहा: बगहा का अनुमंडलीय अस्पताल पहले हमेशा चुनावी मुद्दा बनता था. लेकिन एक युवा चिकित्सक ने कोरोना काल में इस अस्पताल की तस्वीर बदल कर रख दी है. बीते 8 महीने से चिकित्सक ने एक भी छुट्टी नहीं ली है. अब यहां इलाज कराने आने वाले लोगों को अस्पताल की व्यवस्था से कोई शिकायत नहीं रहती और लोगों को आंशिक सुविधाओं में ही बेहतर चिकित्सा उपलब्ध हो जा रही है.

युवा चिकित्सक ने अपने समर्पण से बदल दी अस्पताल की तस्वीर
दरअसल, बगहा अनुमंडलीय अस्पताल वर्षों से कुव्यवस्था के दौर से गुजर रहा था. लिहाजा प्रत्येक चुनावी साल में यह अस्पताल चुनावी मुद्दा बनता आ रहा था. लेकिन कहा गया है जब देश के उत्कृष्ट भविष्य की बागडोर युवा कंधों पर हो, तो सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलता है. ऐसा ही कुछ नजीर पेश किया है. बगहा अनुमंडलीय अस्पताल के युवा चिकित्सक और वर्तमान अस्पताल उपाधीक्षक के बी एन सिंह ने. जिनके समर्पण की भावना से इस अस्पताल की सूरत बदल गई है. वहीं इलाज कराने आने वाले मरीज काफी खुश दिखते हैं और उनकी कोई शिकायत नहीं रहती है.

देखें पूरी रिपोर्ट

कोरोना काल में अब तक नहीं ली एक भी छुट्टी
मधेपुरा जिले में पेशे से एक मिडिल स्कूल के शिक्षक स्व. विवेकानंद सिंह के द्वितीय पुत्र डॉ. कुमार विशुद्धानन्द सिंह की पदस्थापना बगहा अनुमंडलीय अस्पताल में अगस्त 2017 में हुई थी, तब अस्पताल की व्यवस्था उतनी सुदृढ़ नहीं थी और गाहे-बगाहे अस्पताल में हंगामा होता रहता था. हालात ऐसे थे कि मरीजों को चिकित्सकों से भी मुलाकात नहीं हो पाती थी. लेकिन वर्ष 2017 में ज्वाइनिंग के बाद जब वर्ष 2019 से इन्होंने बगहा में लगातार अपनी सेवा देना शुरू किया, तो अस्पताल के हालात बदल गए और इनके कार्यकुशलता को देखते हुए सिविल सर्जन ने अस्पताल उपाधीक्षक के तौर पर प्रभार दे दिया. जिसका इन्होंने बखूबी निर्वहन किया और बीते 8 महीने से इन्होंने एक भी छुट्टी नहीं ली है.

पिता के सपनों को कर रहे साकार
डॉ. के बी एन सिंह अपने पिता के सपनों को याद कर भावुक हो उठते हैं और बताते हैं कि उनके पिता ने सिर्फ एक ही बात कही थी. जिसे वो नहीं भूलते. डॉ सिंह के मुताबिक उनके स्वर्गवासी पिता ने कहा था अपने नौकरी के साथ हमेशा समर्पण भाव से न्याय करना और उसी को साकार करते हुए इन्होंने अस्पताल में कम संसाधन होते हुए भी उसकी तस्वीर बदलने की भरपूर कोशिश की है. मरीज बताते हैं कि डॉ. के बीएन सिंह अस्पताल परिसर में जहां रहते हैं. वहीं आसानी से मरीजों को देख लेते हैं. इतना ही नहीं देर रात भी याद करने पर बिना आलस दिखाए इलाज करने से नहीं हिचकते हैं.

बहन भी हैं चिकित्सक
अस्पताल उपाधीक्षक के बी एन सिंह ने एमबीबीएस, पीजी डिप्लोमा इन फैमिली मेडिसिन, पीजी हॉस्पिटल मैनेजमेंट, पीजी डिप्लोमा इन मैटरनिटी एंड चाइल्ड हेल्थ सहित पीजी डिप्लोमा इन बायो केमिस्ट की डिग्रियां हासिल की हैं. इनकी बहन भी आयुर्वेद चिकित्सक हैं. तकरीबन 40 वर्षीय के बी एन सिंह अभी भी अविवाहित हैं और इनका ख्वाब है कि बगहा अनुमंडलीय अस्पताल बेहतर इलाज के मामले में जिला में उच्चतम प्रसिद्धि पाए.

Last Updated : Nov 13, 2020, 10:12 AM IST
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