बेतिया: बिहार के बेतिया (Bettiah) में नरकटियागंज नगर के सभी 25 वार्डों में जलजमाव (Water Logging) ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. नाले से निकली कीचड़ वाली गंदगी लोगों के घरों में घुसने लगी है. कई मोहल्ले के घरों और दुकानों में पानी घुसने से लोगों में आक्रोश व्याप्त है.
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कई मोहल्ले में जलजमाव की समस्या
करोड़ों के सफाई संसाधन रहते हुए सक्षम नेतृत्व के अभाव में नगर प्रशासन असहाय नजर आ रहा है. लगातार हो रही भारी बारिश से कई मोहल्ले में जलजमाव की समस्या उत्पन्न हो गई है. लोगों के घर, दुकान और अस्पतालों में पानी घुस गया है. हालात बदतर होते जा रहे हैं. जबकि रेलवे कॉलोनी के चिल्ड्रेन पार्क में लोगों के घरों में पानी घुस जाने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
नगर प्रशासन के खिलाफ आक्रोश
लोग ऊंचे स्थानों पर जाने को मजबूर है. पहली मानसून ने नगर प्रशासन के तमाम दावों की पोल खोलकर रख दी है. इसको लेकर लोगों में नगर प्रशासन के खिलाफ काफी आक्रोश व्याप्त है. साथ ही लोगों ने कहा कि एक तो कोरोना महामारी से परेशान हैं और दूसरी तरफ बारिश ने जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है.
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नदी में फंसी एसएसबी की टीम
पश्चिमी चंपारण (West Champaran) के नरकटियागंज (Narkatiaganj) अनुमंडल क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश के कारण पहाड़ी नदियों ने रौद्र रूप धारण कर लिया है. जिसके कारण मंगलवार को पहाड़ी नदी गांगुली में एसएसबी (SSB) के जवान फंस गए. जिसके बाद ग्रामीणों ने इन्हें सुरक्षित नदी की धार से बाहर निकाला.
लगातार बारिश परेशानी का सबब
बता दें कि शुरुआती मानसून में सोमवार से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ गया है. जिले में जितनी भी पहाड़ी नदियां हैं, उसका जलस्तर बढ़ गया है. इसके कारण लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मॉनसून की दस्तक की वजह से लगातार हो रही बारिश कई इलाकों के लिए खतरे की घंटी है.
पहाड़ी नदियों का जलस्तर बढ़ा
गंडक नदी समेत पहाड़ी नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. वहीं इसे लेकर वाल्मीकिनगर गंडक बराज (Valmiki Nagar Gandak Barrage) से गंडक नदी में 108900.00 ( एक लाख आठ हजार नौ सौ ) क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. तराई क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. वहीं इसके बाद गंडक का डिस्चार्च लेवल 1 लाख के पार हो गया है. इसे लेकर आसपास के इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया गया है.
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बंगाल की खाड़ी में सक्रिय चक्रवाती हवा और निम्न हवा के दबाव के क्षेत्र और नमी की वजह से मानसून में तीव्रता दिखाई पड़ रही है. इससे बिहार में प्रवेश करने के साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश को भी कवर कर लिया है. मानसून की इतनी सक्रियता लगभग 15 वर्षों बाद दिखाई दे रही है.