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बेतिया: जर्जर सड़क को लेकर ग्रामीणों ने MLA के खिलाफ खोला मोर्चा, कहा- वोट का करेंगे बहिष्कार

ग्रामीणों ने बताया कि स्थानीय विधायक खुर्शीद आलम ने 2015 में चुनाव जीतने के बाद भी सड़क को नहीं बनवाया. साथ ही कहा कि जब तक इस गांव की सड़क नहीं बनती है, तब तक इस गांव के साथ-साथ इस सड़क से जुड़ने वाले गांव के लोग खुर्शीद आलम को वोट नहीं देंगे.

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MLA के खिलाफ निकाला मोर्चा
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Published : Feb 3, 2020, 10:12 PM IST

बेतिया: जिले के सिकटा प्रखंड क्षेत्र बैसखवा गांव से धनकुटवा जाने वाली सड़क कई सालों से जर्जर है. जिसके चलते ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसी को लेकर ग्रामीणों ने स्थानीय विधायक मंत्री खुर्शीद आलम के खिलाफ मोर्चा निकाला. मोर्चा में लोगों ने 'सड़क नहीं तो वोट नहीं' का नारा लगाया.

'विधानसभा चुनाव में वोट नहीं देने का ऐलान'
ग्रामीणों ने बताया कि 2011 के चुनाव के समय वर्तमान विधायक खुर्शीद आलम से सड़क निर्माण करवाने की गुहार लगाई थी. जिस पर खुर्शीद आलम ने चुनाव जीतने के बाद सड़क निर्माण करवाने का भरोसा दिलाया था. लेकिन जब 2011 के चुनाव में वह हार गए और लोगों ने उनसे मिलकर बात की तो उन्होंने कहा कि वह चुनाव हार गए हैं. इसलिए सड़क नहीं बनवा सकते हैं. जब जीतेंगे तो सड़क बनवा देंगे, जिसके बाद 2015 में वह चुनाव जीते, लेकिन इन 5 सालों में भी सड़क नहीं बन पाया. जिससे ग्रामीणों ने आने वाले विधानसभा चुनाव में वोट नहीं देने का ऐलान कर दिया है.

देखें पूरी रिपोर्ट

चार पंचायतों के कई गांव प्रभावित
बता दें की यह सड़क धनकुटवा, औसानपुर, झकरा गोपालपुर, बैसखवा पंचायत को सीधे जोड़ती है. जिससे इन चार पंचायतों के कई गांव प्रभावित है. आजादी के बाद से इस गांव में पक्की सड़क का निर्माण नहीं हुआ है. जिसको लेकर यहां के लोग जनप्रतिनिधियों पर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. सड़क नहीं होने के कारण बरसात के दिनों में यहां के लोगों को 15 किलोमीटर का चक्कर लगाकर प्रखंड में आना पड़ता है.

बेतिया: जिले के सिकटा प्रखंड क्षेत्र बैसखवा गांव से धनकुटवा जाने वाली सड़क कई सालों से जर्जर है. जिसके चलते ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसी को लेकर ग्रामीणों ने स्थानीय विधायक मंत्री खुर्शीद आलम के खिलाफ मोर्चा निकाला. मोर्चा में लोगों ने 'सड़क नहीं तो वोट नहीं' का नारा लगाया.

'विधानसभा चुनाव में वोट नहीं देने का ऐलान'
ग्रामीणों ने बताया कि 2011 के चुनाव के समय वर्तमान विधायक खुर्शीद आलम से सड़क निर्माण करवाने की गुहार लगाई थी. जिस पर खुर्शीद आलम ने चुनाव जीतने के बाद सड़क निर्माण करवाने का भरोसा दिलाया था. लेकिन जब 2011 के चुनाव में वह हार गए और लोगों ने उनसे मिलकर बात की तो उन्होंने कहा कि वह चुनाव हार गए हैं. इसलिए सड़क नहीं बनवा सकते हैं. जब जीतेंगे तो सड़क बनवा देंगे, जिसके बाद 2015 में वह चुनाव जीते, लेकिन इन 5 सालों में भी सड़क नहीं बन पाया. जिससे ग्रामीणों ने आने वाले विधानसभा चुनाव में वोट नहीं देने का ऐलान कर दिया है.

देखें पूरी रिपोर्ट

चार पंचायतों के कई गांव प्रभावित
बता दें की यह सड़क धनकुटवा, औसानपुर, झकरा गोपालपुर, बैसखवा पंचायत को सीधे जोड़ती है. जिससे इन चार पंचायतों के कई गांव प्रभावित है. आजादी के बाद से इस गांव में पक्की सड़क का निर्माण नहीं हुआ है. जिसको लेकर यहां के लोग जनप्रतिनिधियों पर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. सड़क नहीं होने के कारण बरसात के दिनों में यहां के लोगों को 15 किलोमीटर का चक्कर लगाकर प्रखंड में आना पड़ता है.

Intro:एंकर: बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भले ही अभी 6 माह से अधिक का समय बचा हुआ है लेकिन जनता अभी से ही जनप्रतिनिधियों को घेरने की रणनीति बनाने में जुट गई हैं, ऐसा ही कुछ भारत नेपाल सीमा पर स्थित सिकटा प्रखंड क्षेत्र में देखने को मिला, जहां तीन दशक से अधिक समय से जर्जर सड़क का दंश झेल रहे लोगों ने स्थानीय विधायक व मंत्री खुर्शीद आलम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और सड़क नहीं बनने की सूरत में सड़क नहीं तो वोट नहीं का नारा बुलंद कर दिया है।


Body:दरअसल सिकटा प्रखंड क्षेत्र में बैशखवा गांव से धनकुटवा जाने वाली सड़क वर्षो से जर्जर है, जिसके कारण यहां के लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है, सड़क की इस दुर्दशा के लिए ग्रामीण स्थानीय जनप्रतिनिधि को इसके लिए जिम्मेवार मानते हैं, ग्रामीणों की मानें तो 2011 के चुनाव के वक्त ग्रामीणों ने वर्तमान विधायक खुर्शीद आलम से सड़क निर्माण करवाने की गुहार लगाई थी, जिस पर खुर्शीद आलम ने चुनाव जीतने के बाद सड़क निर्माण करवाने का भरोसा दिलाया था लेकिन जब 2011 के चुनाव में वह हार गए और लोगों ने उनसे मिलकर बात की तो उन्होंने कहा कि वह चुनाव हार गए हैं इसलिए सड़क नहीं बनवा सकते, जब जीतेंगे तो सड़क बनवा देंगे, जिसके बाद 2015 में वह चुनाव जीते लेकिन इन 5 वर्षों में भी सड़क नहीं बन पाया, जिससे ग्रामीणों ने आने वाले विधानसभा चुनाव में वोट नहीं देने का ऐलान कर दिया है, ग्रामीणों ने बताया कि जब तक इस गांव की सड़क नहीं बनती तब तक इस गांव के साथ-साथ इस सड़क से जुड़ने वाले आधा दर्जन गांव के लोग खुर्शीद आलम को वोट नहीं देंगे।

बाइट- ग्रामीण


Conclusion:बता दे की यह सड़क धनकुटवा, औसानपुर, झकरा गोपालपुर, बैशखवा पंचायत को सीधे जोड़ती है, जिससे इन चार पंचायतों के दर्जनों गांव प्रभावित है, सबसे हैरत की बात यह है कि आजादी के बाद से इस गांव में पक्की सड़क का निर्माण नहीं हुआ है, जिसको लेकर यहां के लोग जनप्रतिनिधियों पर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं, फिर चाहे वह किसी भी दल या पार्टी का नेता हो, सड़क नहीं होने के कारण बरसात के दिनों में यहां के लोगों को 15 किलोमीटर का चक्कर लगाकर प्रखंड से जुड़ना पड़ता है।

जीतेंद्र कुमार गुप्ता
ईटीवी भाई बेतिया
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