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4 गोलियों में आदमखोर बाघ के आतंक का अंत, STF जवान नंदलाल का निशाना चूकता तो... - Man Eater tiger Killed in Bagaha

गन्ने के खेत में खूंखार बाघ को निशाना बनाना कठिन था. लेकिन एसटीएफ के जवान नंदलाल (STF Jawan Nandlal) का कोई भी निशाना नहीं चूका. उनकी राइफल से चार गोली निकली और चारों ने आदमखोर बाघ का शरीर छलनी कर ढेर कर दिया. जरा सा भी निशाना चूकता तो सभी इस 'नरभक्षी शिकारी' का शिकार भी बन सकते थे...

STF Jawan Shot Man Eater tiger
STF Jawan Shot Man Eater tiger
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Published : Oct 8, 2022, 8:09 PM IST

बगहा: बिहार के बगहा में आदमखोर बाघ के गोली मारे जाने के बाद उसकी दहशत खत्म (Man Eater tiger Killed in Bagaha) हो गई. इस खूंखार जानवार को गोवर्धन थाना इलाके के बलुआ गांव में मारना इतना आसान नहीं था. एसटीएफ जवान नंदलाल ने 'नरभक्षी शिकारी' को अपनी गोली का निशाना बनाया. बता दें कि पुलिस जिला बगहा के चिउटाहा में नंदलाल स्पेशल टास्क फोर्स में तैनात हैं. बाघ को गोली मारने का जिम्मा जिन चार शूटर्स को मिला हुआ था उसमें नंदलाल भी एक थे. नंदलाल ने ही बाघ को एक-एक कर 4 गोलियां मारी. चारों गोली एकदम निशाने पर लगी. निशाना चूकता तो शूटर्स ही शिकारी का शिकार बन जाते.

ये भी पढ़ें- आदमखोर बाघ ने मां बेटे को बनाया निशाना, हमले में दोनों की मौत

STF जवान नंदलाल ने मारी बाघ को चारों गोली: बाघ गन्ने के खेत में छिपा बैठा था. जैसे ही वन विभाग की ओर से निर्देश मिले टीम बताए स्थान की ओर निकल पड़ी. ट्रैक्टर पर सवार होकर सभी शूटर खेत में बाघ की ओर बढ़ रहे थे. नंदलाल भी घात लगाकर ट्रैक्टर पर सवार थे. गन्ने के लंबी-लंबी पत्ती से लक्ष्य भटक जा रहा था. इसी बीच चारों तरफ से घिरा बाघ ट्रैक्टर का शोरगुल सुनकर घबरा गया था. वो भागने के लिए शूटर्स की ओर झपटा. लेकिन बाघ तब तक नंदलाल की राइफल के निशाने पर आ चुका था. ट्रिगर दबाते ही गोली उसके पैर पर जा लगी. एक गोली लगने के बावजूद उसने फिर झपटने की कोशिश की. लेकिन तब तक नंदलाल ने अपने राइफल की तीन और गोली उसके शरीर में उतार दी. 4 गोलियों से बाघ वहीं गन्ने के खेत में ढेर हो गया.

9 लोगों की ले चुका था जान: VTR इलाके का ये बाघ काफी खतरनाक था. इसकी प्रवृत्ति आदमखोर की हो चुकी थी. इंसानों को मारना इसके लिए आसान हो गया था. रहने के लिए इसने गन्ने के खेत को अपना आशियाना बना रखा था. शिकार करने के बाद ये बाघ बलुआ गांव के गन्ने के खेत में चला आता था. इसके पीछे भी एक लंबी कहानी है. जो बाघ मारा गया उसका जन्म भी इसी गन्ने के खेत में हुआ. एक तरह से बलुआ गांव उसका इलाका था. जिसके चलते आसपास के इलाके में इस बाघ की दहशत थी. लगातार बाघ के हमले में 9 लोग मारे जा चुके थे. इंसान और जानवरों के संघर्ष का ये बाघ सबसे भयानक हिस्सा बन चुका था. इसलिए सरकार को भी इसे मारने के लिए मजबूर होना पड़ा.

आदमखोर कैसे बना बाघ? : वीटीआर के डीएफओ प्रद्युम्न गौरव की माने तो बाघ की प्रवृति मैन ईटर की हो गई थी. लेकिन क्या सभी बाघ आदमखोर नहीं होते है? अगर हां तो फिर कौन से बाघ आदमखोर होते हैं? पश्चिम बंगाल के वाइल्ड लाइफ वार्डन चीफ देवल रॉय की माने तो आमतौर पर टाइगर इंसानों से बचते हैं. वे कोशिश करते हैं कि इंसान उन्हें देख न सकें. यानि बाघ की टारगेट लिस्ट में इंसान नहीं होते है. टाइगर इंसानों को अपना भोजन नहीं समझते हैं. आप पूछेंगे ऐसा क्यों?

''ये बाघ जंगल में रहने की प्रवृति को छोड़ चुका था, रिकार्ड से पता चला है कि इस बाघ का जन्म 3 साल पहले गन्ने के खेत में ही हुआ था, इसलिए वो बार-बार खेत में आ जा रहा था. पहली दो घटनाएं जंगल से सटे सीमा क्षेत्र में हुई थी, लेकिन अब अगल-अलग क्षेत्र में बाघ अटैक कर रहा था. इससे ये साफ हो गया है कि इसकी प्रवृति मैन ईटर की हो गई थी. इसलिए इसे मारने का ऑडर दिया गया था" - प्रद्युम्न गौरव, डीएफओ वीटीआर

बगहा: बिहार के बगहा में आदमखोर बाघ के गोली मारे जाने के बाद उसकी दहशत खत्म (Man Eater tiger Killed in Bagaha) हो गई. इस खूंखार जानवार को गोवर्धन थाना इलाके के बलुआ गांव में मारना इतना आसान नहीं था. एसटीएफ जवान नंदलाल ने 'नरभक्षी शिकारी' को अपनी गोली का निशाना बनाया. बता दें कि पुलिस जिला बगहा के चिउटाहा में नंदलाल स्पेशल टास्क फोर्स में तैनात हैं. बाघ को गोली मारने का जिम्मा जिन चार शूटर्स को मिला हुआ था उसमें नंदलाल भी एक थे. नंदलाल ने ही बाघ को एक-एक कर 4 गोलियां मारी. चारों गोली एकदम निशाने पर लगी. निशाना चूकता तो शूटर्स ही शिकारी का शिकार बन जाते.

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STF जवान नंदलाल ने मारी बाघ को चारों गोली: बाघ गन्ने के खेत में छिपा बैठा था. जैसे ही वन विभाग की ओर से निर्देश मिले टीम बताए स्थान की ओर निकल पड़ी. ट्रैक्टर पर सवार होकर सभी शूटर खेत में बाघ की ओर बढ़ रहे थे. नंदलाल भी घात लगाकर ट्रैक्टर पर सवार थे. गन्ने के लंबी-लंबी पत्ती से लक्ष्य भटक जा रहा था. इसी बीच चारों तरफ से घिरा बाघ ट्रैक्टर का शोरगुल सुनकर घबरा गया था. वो भागने के लिए शूटर्स की ओर झपटा. लेकिन बाघ तब तक नंदलाल की राइफल के निशाने पर आ चुका था. ट्रिगर दबाते ही गोली उसके पैर पर जा लगी. एक गोली लगने के बावजूद उसने फिर झपटने की कोशिश की. लेकिन तब तक नंदलाल ने अपने राइफल की तीन और गोली उसके शरीर में उतार दी. 4 गोलियों से बाघ वहीं गन्ने के खेत में ढेर हो गया.

9 लोगों की ले चुका था जान: VTR इलाके का ये बाघ काफी खतरनाक था. इसकी प्रवृत्ति आदमखोर की हो चुकी थी. इंसानों को मारना इसके लिए आसान हो गया था. रहने के लिए इसने गन्ने के खेत को अपना आशियाना बना रखा था. शिकार करने के बाद ये बाघ बलुआ गांव के गन्ने के खेत में चला आता था. इसके पीछे भी एक लंबी कहानी है. जो बाघ मारा गया उसका जन्म भी इसी गन्ने के खेत में हुआ. एक तरह से बलुआ गांव उसका इलाका था. जिसके चलते आसपास के इलाके में इस बाघ की दहशत थी. लगातार बाघ के हमले में 9 लोग मारे जा चुके थे. इंसान और जानवरों के संघर्ष का ये बाघ सबसे भयानक हिस्सा बन चुका था. इसलिए सरकार को भी इसे मारने के लिए मजबूर होना पड़ा.

आदमखोर कैसे बना बाघ? : वीटीआर के डीएफओ प्रद्युम्न गौरव की माने तो बाघ की प्रवृति मैन ईटर की हो गई थी. लेकिन क्या सभी बाघ आदमखोर नहीं होते है? अगर हां तो फिर कौन से बाघ आदमखोर होते हैं? पश्चिम बंगाल के वाइल्ड लाइफ वार्डन चीफ देवल रॉय की माने तो आमतौर पर टाइगर इंसानों से बचते हैं. वे कोशिश करते हैं कि इंसान उन्हें देख न सकें. यानि बाघ की टारगेट लिस्ट में इंसान नहीं होते है. टाइगर इंसानों को अपना भोजन नहीं समझते हैं. आप पूछेंगे ऐसा क्यों?

''ये बाघ जंगल में रहने की प्रवृति को छोड़ चुका था, रिकार्ड से पता चला है कि इस बाघ का जन्म 3 साल पहले गन्ने के खेत में ही हुआ था, इसलिए वो बार-बार खेत में आ जा रहा था. पहली दो घटनाएं जंगल से सटे सीमा क्षेत्र में हुई थी, लेकिन अब अगल-अलग क्षेत्र में बाघ अटैक कर रहा था. इससे ये साफ हो गया है कि इसकी प्रवृति मैन ईटर की हो गई थी. इसलिए इसे मारने का ऑडर दिया गया था" - प्रद्युम्न गौरव, डीएफओ वीटीआर

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