बेतिया: कहते हैं कि 'जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का, फिर देखना फिजूल है कद आसमान का. डरना नहीं यहां तू किसी भी चुनौती से, बस तू ही सिकंदर है सारे जहान का.' इस पंक्ति को बेतिया में छोटा कद का शमशेर अंसारी (Short Stature Shamsher Ansari) सच साबित करना चाहता है. कद से वो महज दो फिट का है लेकिन हौसला चट्टान की तरह एकदम कड़क है. मैट्रिक की परीक्षा देने आया शमशेर आईएएस अधिकारी बनना चाहता है.
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शमशेर अंसारी पश्चिम चंपारण जिले के नरकटियागंज के बैरिया का रहने वाला है. वह आरएलएसवाई कॉलेज में मैट्रिक की परीक्षा दे रहा है. पहले दिन जब वह पेपर देने आया तो छात्रों के बीच आकर्षण का केंद्र बन गया. हालांकि वह छात्रों की भीड़ के बावजूद खुद को सहज रखता है. जैसे सभी परीक्षार्थियों की जांच होती है, वैसे ही उसकी भी जांच होती है. लाइन में खड़ा होता है और बिना किसी घबराहट के पेपर लिखता है.
शमशेर अंसारी परीक्षा देते हुए काफी उत्साहित है. खुद भी कहता है कि कद छोटा है तो क्या हुआ, मेरा हौसला किसी से भी कम नहीं है. बातचीत में वह कहता है कि पढ़-लिखकर आईएएस अधिकारी बनना चाहता हूं. इसके लिए दिन-रात मेहनत करूंगा और कामयाबी हासिल कर के रहूंगा.
वहीं, आरएलएसवाई के सीएस बताते हैं कि यह सरकार के समावेशी शिक्षा प्रणाली की देन है कि शमशेर जैसे बच्चे अपने सपनों की उड़ान भर रहे हैं. सरकार यही चाहती है कि छोटे कद काठी के बच्चे हो या दिव्यांग हो या कुपोषण का शिकार हो, सभी एक साथ बैठकर पढ़ें. किसी के अंदर कोई हीन भावना न हो. यही सरकार चाहती है और शमशेर जैसे बच्चे उसे साकार करते हैं.
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