बगहा: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के अंतर्गत मदनपुर वन रेंज को गैंडा अधिवास क्षेत्र के तौर पर विकसित किया जाएगा. गैंडों की संख्या बढ़ाने के लिहाज से वन विभाग ने केंद्र सरकार को गैंडा अधिवास क्षेत्र विकसित करने के लिए 3 करोड़ का प्रस्ताव भेजा है. शीघ्र ही बाघों के बाद अब गैंडा भी ज्यादा संख्या में वीटीआर की शोभा बढ़ाएंगे.
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बढ़ाई जाएगी गैंडों की संख्या
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में अब बाघों की संख्या बढ़ने के बाद गैंडों की संख्या को बढ़ाने की दिशा में भी प्रयास शुरू कर दिया गया है. वीटीआर वन प्रमंडल दो अंतर्गत मदनपुर वन रेंज को गैंडा अधिवास योजना के लिए चुना गया है. इसके लिए वन विभाग ने केंद्र सरकार को तीन करोड़ की लागत का प्रस्ताव भेजा है.
ट्रेन की चपेट में आने से हुई थी मौत
बता दें कि इसके पूर्व भी मदनपुर रेंज को गैंडा अधिवास क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिए चिह्नित किया गया था. लेकिन जंगल के बीच से रेलवे लाइन गुजरने की वजह से इस परिक्षेत्र को सुरक्षित नहीं माना गया. वन क्षेत्र निदेशक हेमकांत राय ने बताया कि वर्ष 2006 में एक गैंडा ट्रेन की चपेट में आकर मर गया था. लिहाजा मदनपुर वन रेंज को एक्सपर्ट टीम सुरक्षित नहीं मान रही थी. जिसके बाद गोनौली वन रेंज को इसके लिए चुना गया. लेकिन गोनौली वन क्षेत्र में गैंडा अधिवास के लिए जलवायु समेत उनके हैबिटेट की अनुकूल व्यवस्था नहीं है. यही वजह है कि पुनः मदनपुर वन क्षेत्र में गैंडा अधिवास क्षेत्र विकसित करने की योजना का प्रस्ताव भेजा गया है.
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जल, भोजन और जलवायु के लिहाज से बेहतर है मदनपुर रेंज
वन क्षेत्र निदेशक हेमकांत राय ने बताया कि वाइल्ड लाइफ, डब्लूडब्लूएफ और गैंडा के एक्सपर्ट वैज्ञानिकों के मुताबिक गैंडा सालों भर पानी में समय गुजरना चाहता है. उसको हमेशा प्रचुर मात्रा में भोजन चाहिए. इस नजरिए से मदनपुर वन क्षेत्र को उपयुक्त माना गया है. बता दें कि विगत कुछ वर्षो में नेपाल वन क्षेत्र से भटककर 6 गैंडा वीटीआर परिक्षेत्र में आये थे. जिसमें से चार गैंडों की मौत हो गई. दो नर गैंडा अभी भी बचे हैं, जिनको गोनौली रेंज में रखकर उनका लालन-पालन किया जा रहा है. जैसे ही अधिवास क्षेत्र विकसित होगा एक मादा गैंडा भी लाया जाएगा, जिससे इनकी जनसंख्या बढ़ सके.
गैंडा अधिवास क्षेत्र की सुरक्षा का रखा जाएगा ख्याल
वन क्षेत्र निदेशक के मुताबिक मदनपुर वन क्षेत्र में गैंडा को सिर्फ रेल ट्रैक से खतरा है. नतीजतन रेलवे विभाग से अंडर पास बनाने की बात हुई थी. इस दिशा में उन्होंने कार्य शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि वन क्षेत्र के कुछ हिस्सों में जरूरत के मुताबिक रेल ट्रैक के किनारे फेन्स भी लगाया जाएगा. इसके साथ ही साथ एंटीपोचिंग कैम्प यानी शिकार निवारण वाच टावर का निर्माण कराया जाएगा.