बगहा: पश्चिम चंपारण के बगहा के दियारा में गंडक नदी पर पीपा पूल नहीं बनने से किसानों को जान जोखिम में डालकर गन्ना की ढुलाई करनी पड़ रही है. दियारा क्षेत्र के सैकड़ों किसान गैर निबंधित स्टीमर पर गन्ना लदा ट्रैक्टर-ट्रॉली और बैलगाड़ी लादकर लाने को मजबूर हैं.
पहले हर साल मिल प्रबंधन द्वारा पीपा पूल बनवाया जाता था ताकि किसानों को सहूलियत हो, लेकिन इस साल ऐसा नहीं हुआ. मजबूर किसान जान जोखिम में डालकर गन्ना शुगर मिल में पहुंचा रहे हैं. इसके साथ ही उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है.
प्रति खेप खर्च करना पड़ता है 400-500 रुपए
बगहा तिरुपति शुगर्स मिल्स लिमिटेड द्वारा किसानों की सहूलियत के लिए हर साल गंडक नदी पर पीपा पूल बनाया जाता था. किसान उसी रास्ते दियारा से अपना गन्ना ट्रैक्टर-ट्रॉली और बैलगाड़ी पर लादकर मिल ले जाते थे. बगहा और आसपास के क्षेत्र के हजारों किसानों द्वारा गन्ना की खेती गंडक नदी के पार बिहार और उत्तरप्रदेश की सीमा पर की गई है. पीपा पूल नहीं होने से किसान स्टीमर पर गन्ना लदा ट्रैक्टर-ट्रॉली और बैलगाड़ी लाने को मजबूर हैं. इसके लिए उन्हें प्रति खेप 400 से 500 रुपए अतिरिक्त्त खर्च करना पड़ रहा है.
जान जोखिम में डाल गन्ना पहुंचाने को मजबूर हैं किसान
गन्ना पेराई की शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में किसानों को चीनी मिलों में गन्ना पेराई के लिए भेजना आवश्यक है. इलाके के किसान चीनी मिलों के पेमेंट पर ही शादी-ब्याह और अन्य खर्चों के लिए निर्भर रहते हैं. लिहाजा जान जोखिम में डाल किसान गन्ना ढुलाई के लिए निजी स्टीमर का सहारा लेने को मजबूर हैं. गंडक नदी में पानी कम होने के चलते वाल्मीकिनगर में बोटिंग की सुविधा बंद है. दूसरी तरफ किसानों की मजबूरी ऐसी है कि खतरा उठाने को मजबूर हैं.
"गन्ना का रेट पिछले 5 साल से जस का तस है और खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है. इसपर न तो सरकार का ध्यान है और न ही चीनी मिल प्रबंधन का. इस साल पीपा पुल नहीं बनने से हमलोगों को प्रति खेप 400-500 रुपए एक्ट्रा खर्च करना पड़ रहा है." बलराम यादव, किसान
"स्टीमर पर बैलगाड़ी चढ़ाने और उतारने के दौरान खतरा बना रहता है. पिछले दिनों यहां स्टीमर से बैलगाड़ी उतारने के दौरान हुए हादसे में एक बैल की मौत हो गई."- सुखराम महतो, किसान