पश्चिम चंपारणः कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए पूरे देश में लॉक डाउन लागू है. जिससे अधिकांश आटा चक्की और धानकुट्टी मशीन बंद हैं. ऐसे में विलुप्त हो चुके जांता या चकरी का लोग इस्तेमाल कर रहे हैं. जिले के ग्रामीण इलाकों में लोग चकरी का उपयोग कर दाल और गेंहू दर रहे हैं.
महामारी के दौर में काम आ रहे पुराने यंत्र
लॉक डाउन की वजह से बंद पड़े आटा चक्की और धनकुट्टी मिलों का विकल्प पुराने जमाने में उपयोग किये जा रहे जांता यानी चकरी के तौर पर मिला है. बता दें कि आधुनिकता के इस दौर में प्राचीन यंत्रों की जगह अत्याधुनिक मशीनों ने ले लिया है. ऐसे में नई पीढ़ी ने शायद ही कभी इन यंत्रों का इस्तेमाल किया हो. आज के दौर में तकरीबन यह यंत्र विलुप्त हो चुका है. इसके बावजूद गांवों के बहुत से घरों की यह शोभा बढ़ा रहा है और इस महामारी के दौर में काम आ रहा है.
स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी
लोगों ने बताया कि नई पीढ़ी इस यंत्र का उपयोग करना नहीं जानती है. जबकि पुराने जमाने में इसी से चना, गेंहू और दाल इत्यादि दरा जाता था. उन्होंने बताया कि लॉक डाउन की वजह से बंद पड़े मिलों के कारण आस पड़ोस की महिलाएं जांता मांग कर ले जा रही हैं. बता दें कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी यह उपयोगी माना जाता है. इससे पूरे शरीर का उचित व्यायाम हो जाता है.