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एक नाव के सहारे जुड़े हैं दो प्रखंड: टापू में बदल जाता है गांव

लोग कहते हैं कि एक नाव ही उनका सहारा है. रात को अगर सिकटा में किसी की तबीयत खराब होती है, तो सुबह का इंतजार करना पड़ता है.

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Published : Jul 17, 2019, 5:45 PM IST

बेतिया: जिला मुख्यालय से मात्र 20 किलोमीटर दूरी पर मझौलिया प्रखंड और सिकटा प्रखंड के बीच सिकरहना नदी बहती है. जो इन दो प्रखंडों को जोड़ती है. लोग सालों भर नाव के सहारे इस पार से उस पार जाते-आते हैं. यातायात के लिए यहां एक ही नाव है.

betiah
बदतर हालात

बरसात में दयनीय हो जाते हैं हालात
इन दिनों लगभग पूरा बिहार बाढ़ झेल रहा है. अधिकतर नदियां ऊफान पर हैं. ऐसे में सिकरहना नदी का जलस्तर भी बढ़ गया है. बारिश के कारण जलस्तर बढ़ने से मझौलिया और सिकटा दोनों ही प्रखंडों के लोगों का जीना मुहाल है. आम दिनों में जब आवाजाही के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है तो बारिश के दिनों का क्या कहना.

betiah
नाव भरोसे हो रहा यातायात

नाव से जाते हैं रोजमर्रा की खरीदारी करने
लोग कहते हैं कि एक नाव ही उनका सहारा है. रात को अगर सिकटा में किसी की तबीयत खराब होती है, तो सुबह का इंतजार करना पड़ता है. जान जोखिम में डालकर बच्चे प्रतिदिन स्कूल जाने को मजबूर हैं. रोजमर्रा की खरीदारी से लेकर हर छोटी जरूरत के लिए मझौलिया प्रखंड जाना पड़ता है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

टापू में तब्दील हो जाता है गांव
बारिश के समय जलस्तर बढ़ने से परेशानी दोगुनी हो गई है. मझौलिया के सरिसवा और सिकटा के कदमवा के ग्रामीण दहशत में हैं. मालूम हो कि भारी बरसात में दोनों प्रखंडों के गांव टापू में तब्दील हो जाते हैं.

बेतिया: जिला मुख्यालय से मात्र 20 किलोमीटर दूरी पर मझौलिया प्रखंड और सिकटा प्रखंड के बीच सिकरहना नदी बहती है. जो इन दो प्रखंडों को जोड़ती है. लोग सालों भर नाव के सहारे इस पार से उस पार जाते-आते हैं. यातायात के लिए यहां एक ही नाव है.

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बदतर हालात

बरसात में दयनीय हो जाते हैं हालात
इन दिनों लगभग पूरा बिहार बाढ़ झेल रहा है. अधिकतर नदियां ऊफान पर हैं. ऐसे में सिकरहना नदी का जलस्तर भी बढ़ गया है. बारिश के कारण जलस्तर बढ़ने से मझौलिया और सिकटा दोनों ही प्रखंडों के लोगों का जीना मुहाल है. आम दिनों में जब आवाजाही के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है तो बारिश के दिनों का क्या कहना.

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नाव भरोसे हो रहा यातायात

नाव से जाते हैं रोजमर्रा की खरीदारी करने
लोग कहते हैं कि एक नाव ही उनका सहारा है. रात को अगर सिकटा में किसी की तबीयत खराब होती है, तो सुबह का इंतजार करना पड़ता है. जान जोखिम में डालकर बच्चे प्रतिदिन स्कूल जाने को मजबूर हैं. रोजमर्रा की खरीदारी से लेकर हर छोटी जरूरत के लिए मझौलिया प्रखंड जाना पड़ता है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

टापू में तब्दील हो जाता है गांव
बारिश के समय जलस्तर बढ़ने से परेशानी दोगुनी हो गई है. मझौलिया के सरिसवा और सिकटा के कदमवा के ग्रामीण दहशत में हैं. मालूम हो कि भारी बरसात में दोनों प्रखंडों के गांव टापू में तब्दील हो जाते हैं.

Intro:बेतिया: दो प्रखंड को जोड़ने के लिए यह नाव ही एक सहारा है। रात को अगर आप की तबीयत खराब हो गई ,तो सुबह का इंतजार कीजिए। जान जोखिम में डालकर प्रतिदिन स्कूल जाने को मजबूर है लड़कियां।


Body:बेतिया जिला मुख्यालय से मात्र 20 किलोमीटर दूरी पर मझौलिया प्रखंड और सिकटा प्रखंड के बीच सिकरहना नदी के बढ़ते जलस्तर को लेकर मझौलिया के सरिसवा और सिकटा के कदमवा के ग्रामीण दहशत में है। सिकटा प्रखंड के कदमवा गांव के लोग अगर बेतिया इलाज के लिए आते हैं, तो वह अपनी जान जोखिम में डालकर इस नाव के सहारे आते हैं । भारी बरसात में दोनों प्रखंड का गांव टापू बन जाता है। अगर रात को किसी की तबीयत खराब हो जाती है, तो उसे सुबह तक का इंतजार करना पड़ता है । नाव में बैठी है महिला सिकटा प्रखंड के कदमवा गांव की रहने वाली है। जिसके बच्चे की तबीयत रात को ही खराब हो गई, लेकिन रात को बेतिया आने की कोई सुविधा नहीं होने के कारण महिला को सुबह का इंतजार करना पड़ा और नाव का सहारा लेना पड़ा। ताकि उसके बच्चे का इलाज बेतिया में हो जाए।

बाइट- महिला


Conclusion:वहीं सिकटा प्रखंड के कदमवा गांव के बच्चे मझौलिया प्रखंड के सरिसवा गांव के स्कूल में आकर पढ़ते हैं। लेकिन आज जलस्तर बढ़ जाने से बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं और छोटे बच्चों का स्कूल 1 महीने तक बंद कर दिया गया है। स्कूल के बच्चों की मानें तो सिकटा प्रखंड, कदमवा गांव से लगभग 10 से 15 किलोमीटर दूरी पर है और स्कूल गांव से काफी दूरी पर। जिस कारण सिकटा प्रखंड के बच्चे मझौलिया प्रखंड के सरिसवा गांव के स्कूल में पढ़ाई करने आते हैं।

बाइट- छात्राएं


वहीं बेतिया, जिला मुख्यालय होने के कारण दूसरे राज्य में जाकर काम करने वाले जब भी अपने प्रदेश आते हैं तो उन्हें बेतिया आना पड़ता है। पंजाब से मजदूरी का काम कर अपने घर लौटे लोगों की माने तो मझौलिया से अपने गांव सिकटा जाने के लिए यही रास्ता है और नाव ही एकमात्र सहारा है। जिसके सहारे वह अपने गांव कदमवा जाते हैं।

जितेंद्र कुमार गुप्ता
ईटीवी भारत, बेतिया
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