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बाढ़ की बर्बादी से नहीं उबर पा रहे लोग, पानी सूखने के बाद भी प्रशासन ने नहीं लिया क्षतिपूर्ति का जायजा - बगहा में बाढ़ से बर्बादी

पश्चिम चंपारण (West Champaran) के कई इलाकों से बाढ़ का पानी (Flood Water) निकल चुका है. इसके बावजूद लोगों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही है. कई गांवों में ग्रामीणों की फसल सड़ गई हैं लेकिन अब तक इन गांवों में प्रशासन की टीम जायजा लेने नहीं पहुंची है.

बगहा में बाढ़ की बर्बादी से नहीं उबर पा रहे लोग
बगहा में बाढ़ की बर्बादी से नहीं उबर पा रहे लोग
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Published : Jul 15, 2021, 12:21 PM IST

बगहा: जिला में इस मर्तबा पहाड़ी नदियों ने तबाही की नई कहानी लिख दी है. प्रत्येक साल इलाके के लोग गंडक (Gandak River), नारायणी नदी के कहर से परेशान होते थे लेकिन इस बार समय पूर्व आई मॉनसून (Early Monsoon) की बरसात ने कई गांवों में बर्बादी की ऐसे निशान छोड़े हैं जिसकी भरपाई असंभव सा लगता है.

ये भी पढ़ें- उफान पर उत्तर बिहार की अधिकांश नदियां, निचले इलाकों में लोग बाढ़ से परेशान

दरअसल, इंग्लिशिया पंचायत को सिसवा बसंतपुर पंचायत से जोड़ने वाली बरवा गांव की सड़क पहले ही बाढ़ में पूरी तरह ध्वस्त हो गई. प्रधानमंत्री योजना से निर्मित यह सड़क जगह-जगह जर्जर हो चुका है साथ में इस रास्ते में पड़ने वाली पुलिया भी बाढ़ के पानी में बह गया है. लिहाजा लोगों का दर्जनों गांवों से सम्पर्क टूट चुका है और आवाजाही में काफी परेशानी हो रही है.

देखें रिपोर्ट

ये भी पढ़ें- नदियों के बढ़ते जलस्तर से रेल आवागमन पर भी असर, 10 ट्रेनों को किया गया रद्द

बगहा के सिसवा बसन्तपुर इलाके में एक माह के दौरान चार बार बाढ़ आई जिससे लोगों को एक-दूसरे मुहल्ले में जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ा. हालात ऐसे हो गए कि लगातार हो रही बारिश की वजह से महीनों जलजमाव बना रहा और लोगों की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई. दर्जनों किसानों के धान का बिजड़ा और फसल खेत मे ही सड़ गए. किसानों के गन्ने की फसल भी सड़-गल गई हैं. अब किसान पूरी तरह परेशान हैं कि धान का बिजड़ा भी इस समय नहीं मिल पाएगा और ना ही सड़े-गले गन्ने की ही भरपाई हो पाएगी. ऐसे में आनेवाले समय मे उनका भोजन-पानी कैसे चलेगा.

ये भी पढ़ें- हिमाचल प्रदेश : 8 साल की बच्ची ने सूझबूझ से बचाई परिवार व खुद की जान

ग्रामीणों ने अपना दुख दर्द साझा करते हुए बताया कि बाढ़ का पानी निकले एक हफ्ता हो गया. लेकिन अधिकारियों को सूचना देने के बावजूद उन्होंने इलाके में हुई क्षतिपूर्ति का जायजा लेना मुनासिब नहीं समझा. पिछले वर्ष आई बाढ़ से बर्बाद हुई फसलों का भी अब तक मुआवजा नहीं मिल सका है. अब लोग सशंकित हैं कि यदि प्रशासन की टीम आकर बर्बादी का आंकलन नहीं करती है तो फसल क्षतिपूर्ति का मुआवजा मिलना तो दूर हाल के दिनों में सड़क और पुल का निर्माण भी नहीं हो पाएगा और उनकी समस्याएं जस की तस बनी रहेंगी.

ये भी पढ़ें- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज फिर करेंगे बाढ़ ग्रस्त इलाकों का हवाई सर्वेक्षण

गौरतलब है कि नेपाल से पश्चिम चंपारण आने वाली नदियां उफनाई हुईं हैं. इसके चलते जिले का बड़ा इलाका बाढ़ प्रभावित है. गंडक, पंडई और मशान नदी का पानी गांवों में फैल रहा है. बाढ़ के कारण डुमरी पंचायत के कोहड़ा हरिजन टोली टापू बन गया है.

बता दें कि बिहार में नदियों के बढ़ते जलस्‍तर और कई इलाकों में पानी भरने के बाद लोग निचले स्‍थानों को छोड़कर ऊंचे इलाकों में जा रहे हैं. आम लोगों के साथ-साथ बाढ़ के कारण मवेशियों के लिए भी संकट पैदा हो गया है, जिनके लिए चारे की व्यवस्‍था से लेकर उन्‍हें सुरक्षित स्‍थानों पर पहुंचाना भी एक चुनौती बनी हुई है.

ये भी पढ़ें- कोसी का कहर:सुपौल के मरौना प्रखंड के खुखनाहा पंचायत में 25 घर कटाव से प्रभावित, लोगों ने ऊंचे स्थान पर लिया सहारा

ये भी पढ़ें- VIDEO: मुसीबत में फंसे बचानेवाले, बाढ़ में डूबा मुजफ्फरपुर का SDRF कैम्प

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दरअसल, इंग्लिशिया पंचायत को सिसवा बसंतपुर पंचायत से जोड़ने वाली बरवा गांव की सड़क पहले ही बाढ़ में पूरी तरह ध्वस्त हो गई. प्रधानमंत्री योजना से निर्मित यह सड़क जगह-जगह जर्जर हो चुका है साथ में इस रास्ते में पड़ने वाली पुलिया भी बाढ़ के पानी में बह गया है. लिहाजा लोगों का दर्जनों गांवों से सम्पर्क टूट चुका है और आवाजाही में काफी परेशानी हो रही है.

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बगहा के सिसवा बसन्तपुर इलाके में एक माह के दौरान चार बार बाढ़ आई जिससे लोगों को एक-दूसरे मुहल्ले में जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ा. हालात ऐसे हो गए कि लगातार हो रही बारिश की वजह से महीनों जलजमाव बना रहा और लोगों की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई. दर्जनों किसानों के धान का बिजड़ा और फसल खेत मे ही सड़ गए. किसानों के गन्ने की फसल भी सड़-गल गई हैं. अब किसान पूरी तरह परेशान हैं कि धान का बिजड़ा भी इस समय नहीं मिल पाएगा और ना ही सड़े-गले गन्ने की ही भरपाई हो पाएगी. ऐसे में आनेवाले समय मे उनका भोजन-पानी कैसे चलेगा.

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ग्रामीणों ने अपना दुख दर्द साझा करते हुए बताया कि बाढ़ का पानी निकले एक हफ्ता हो गया. लेकिन अधिकारियों को सूचना देने के बावजूद उन्होंने इलाके में हुई क्षतिपूर्ति का जायजा लेना मुनासिब नहीं समझा. पिछले वर्ष आई बाढ़ से बर्बाद हुई फसलों का भी अब तक मुआवजा नहीं मिल सका है. अब लोग सशंकित हैं कि यदि प्रशासन की टीम आकर बर्बादी का आंकलन नहीं करती है तो फसल क्षतिपूर्ति का मुआवजा मिलना तो दूर हाल के दिनों में सड़क और पुल का निर्माण भी नहीं हो पाएगा और उनकी समस्याएं जस की तस बनी रहेंगी.

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गौरतलब है कि नेपाल से पश्चिम चंपारण आने वाली नदियां उफनाई हुईं हैं. इसके चलते जिले का बड़ा इलाका बाढ़ प्रभावित है. गंडक, पंडई और मशान नदी का पानी गांवों में फैल रहा है. बाढ़ के कारण डुमरी पंचायत के कोहड़ा हरिजन टोली टापू बन गया है.

बता दें कि बिहार में नदियों के बढ़ते जलस्‍तर और कई इलाकों में पानी भरने के बाद लोग निचले स्‍थानों को छोड़कर ऊंचे इलाकों में जा रहे हैं. आम लोगों के साथ-साथ बाढ़ के कारण मवेशियों के लिए भी संकट पैदा हो गया है, जिनके लिए चारे की व्यवस्‍था से लेकर उन्‍हें सुरक्षित स्‍थानों पर पहुंचाना भी एक चुनौती बनी हुई है.

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