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World Tiger Day 2022: बिहार के लिए खुशखबरी, वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बढ़ी बाघों की संख्या

आज विश्व बाघ दिवस है. इस मौके पर बिहार के लिए खुशखबरी है. सूबे के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (Valmiki Tiger Reserve) में बाघों की संख्या बढ़ रही है. यह वन एवं पर्यावरण विभाग के लिए गौरव का पल तो है ही पर्यटकों के लिए भी शुभ संकेत है क्योंकि यहां पर्यटक जंगल सफारी के दौरान मुख्य तौर पर बाघों का दीदार करने ही पहुंचते हैं. पढ़ें पूरी खबर..

Valmiki Tiger Reserve
Valmiki Tiger Reserve
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Published : Jul 29, 2022, 7:05 AM IST

बगहा: आज यानी कि 29 जुलाई 2022 को 12वां अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (World Tiger Day) मनाया जा रहा है. वैश्विक स्तर पर बाघों के संरक्षण व उनकी लुप्तप्राय हो रही प्रजाति को बचाने के लिए जागरूकता फैलाना ही इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य है. यह दिवस बिहार के लिए और भी खास हो जाता है क्योंकि वन और पर्यावरण विभाग की मेहनत रंग लाई है और वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी ( Number Of Tigers Increased In VTR) हो रही है.

पढ़ें- रिहायशी इलाके में बाघ ने कुत्ते पर किया हमला, देखिये वीडियो

VTR में बढ़ी बाघों की संख्या: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में वर्ष 2018 से 2020 के बीच में बाघों की संख्या 40 थी जो कि अब बढ़कर 2022 में 50 से ज्यादा पहुंच जाएगी. बाघों के संरक्षण व संवर्धन का ही नतीजा है कि आज वन एवं पर्यावरण विभाग बढ़ते बाघों की संख्या को लेकर आह्लादित है. बता दें कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व 1978 में वाइल्ड लाइफ सेंचुरी (wild life sanctuary ) के नाम से जाना जाता था. जिसको 1994 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया और इसका नाम वाल्मीकि टाइगर रिजर्व पड़ा.

वन एवं पर्यावरण विभाग की मुहिम लाई रंग: टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद वन एवं पर्यावरण विभाग ने बाघों की संख्या बढ़ाने और उसके संरक्षण को लेकर मुहिम चलाया और इस मुहिम के 900 वर्ग किमी में फैले जंगल को 9 वन क्षेत्र में बांटा गया. इसमें कामयाबी भी मिली है, क्योंकि बाघों की संख्या में लगातार इजाफा देखने को मिला है.

RAW
आराम फरमाता बाघ

पर्यटकों में खुशी: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व पर्यटकों के लिए भी एक बेहतर डेस्टिनेशन साबित हुआ है. इसका सबसे बड़ा प्रमाण प्रत्येक वर्ष पर्यटकों की बढ़ती संख्या है. बता दें कि प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में यहां पर्यटक पहुंचते हैं और जंगल सफारी का लुफ्त उठाते हैं. इस जंगल सफारी के दौरान अधिकांश सैलानियों की ख्वाहिश होती है कि वे बाघों का दीदार करें और कुछ पर्यटकों को बाघ नजर भी आते हैं.

सफारी में आसानी से दिखेंगे बाघ: ऐसे में अब बाघों की संख्या में इजाफा होने के बाद पर्यटकों को और आसानी से बाघ नजर आ सकेंगे. लिहाजा बाघों की संख्या बढ़ने पर पर्यटक भी फूले नही समा रहे हैं. रक्सौल से आये पर्यटकों का कहना है कि प्राकृतिक सुंदरता और जैव विविधताओं के बीच जंगल सफारी का आनंद अपने आप में काफी रोमांचक होता है. खासकर जब जंगल में बाघ का दीदार हो जाए तब रोमांच और बढ़ जाता है इसलिए बाघों की बढ़ती संख्या गौरव की बात है.

पेड़ों की कटाई पर रोक का हुआ फायदा: दरअसल वाल्मीकि टाइगर रिजर्व अपने जैव विविधताओं के लिए प्रसिद्ध तो है ही यहां की प्राकृतिक सुंदरता भी सबको अपने तरफ आकर्षित करती है. बता दें कि वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व नेपाल के चितवन अभ्यारण्य से सटा हुआ है यही वजह है कि नेपाल के जंगल से भी जानवर यहां पहुंच आते हैं. यहां का हैबिटेट वन्य जीवों को काफी भाता है. खासकर वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व जंगल में बेंत प्रचुर मात्रा में हैं और यहीं बेंत के झुरमुट बाघों के मुख्य आशियाना होता है इसलिए बेंत काटने व बेचने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है.

"ग्रासलैंड का दायरा बढ़ाकर बाघों की संख्या बढ़ाने और उनके संरक्षण की दिशा में जो प्रयास किया गया उसी का नतीजा है कि पहले बाघ एक सीमित दायरा में रहते थे लेकिन अब बाघों के विचरण सभी नौ वन क्षेत्रों में होता है. आज टाइगर डे के मौके पर बेहतर कार्य करने वाले वनकर्मियों को पुरस्कृत किया जाएगा. साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होगा और इसके अलावा स्कूली बच्चों के माध्यम से वीटीआर के सीमाई क्षेत्र में बस रहे लोगों को बाघ के संरक्षण को लेकर जागरूक किया जाएगा."- नेशामणि के, उप वन निदेशक, विटीआर


"जंगल में बाघ और तेंदुआ की संख्या में पहले से काफी ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि पहले जंगली जानवर रिहायशी इलाकों का रुख नहीं करते थे लेकिन जैसे जैसे इनकी संख्या बढ़ी है बाघ व तेंदुआ गाहे-बगाहे कॉलोनियों तक पहुंच जाते हैं."- नसीम खान, स्थानीय

महावत रखते हैं तस्करों पर नजर: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में जंगली जीवों की सुरक्षा के लिए कर्नाटक से लाये गए 5 प्रशिक्षित हाथियों को रखा गया है जिनसे विशेष कर बरसात के सीजन में मॉनसून गश्ती कराई जाती है. वन संपदा समेत वन्य जीवों की निगरानी की जाती है क्योंकि तस्करों की नजर बाघ व उनके बेशकीमती अंगों पर रहती है. यही वजह है कि वनकर्मी हाथियों से गश्ती कर इन तस्करों पर नजर रखते हैं.

"हाथीखाना के आसपास हर हफ्ते बाघों की मूवमेंट दिखती है. हम लोग हाथी से गश्ती कर इन बाघों समेत जंगली जीवों की सुरक्षा करते हैं."-प्रकाश महतो, महावत, हाथी गश्ती


बाघों की संख्या का आएगा नया आंकड़ा: आज वर्ल्ड टाइगर डे के दिन 2018 के चार वर्षों बाद एक मर्तबा फिर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या का नया आंकड़ा (Tiger Census) भारत सरकार द्वारा जारी किया जाएगा. बता दें कि जंगल मे बाघों के पग मार्क और पूरे जंगल में जगह जगह लगाए गए ट्रैप कैमरों के आधार पर बाघों की गणना हाल में सम्पन्न हुई है. वन विभाग ने सम्भावना जताया है कि बाघों की संख्या 50 से ऊपर जाएगी जो कि देश समेत बिहार के लिए एक बड़ी खुशखबरी है.

"बहुत खुशी है. यह एक ऐसा सुंदर स्थान है जिसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है. जंगल सफारी का जो मजा है वो कहीं नहीं है. बाघों की संख्या बढ़कर 50 हो गई है." -प्रदीप कुमार, रक्सौल से आये पर्यटक


बगहा: आज यानी कि 29 जुलाई 2022 को 12वां अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (World Tiger Day) मनाया जा रहा है. वैश्विक स्तर पर बाघों के संरक्षण व उनकी लुप्तप्राय हो रही प्रजाति को बचाने के लिए जागरूकता फैलाना ही इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य है. यह दिवस बिहार के लिए और भी खास हो जाता है क्योंकि वन और पर्यावरण विभाग की मेहनत रंग लाई है और वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी ( Number Of Tigers Increased In VTR) हो रही है.

पढ़ें- रिहायशी इलाके में बाघ ने कुत्ते पर किया हमला, देखिये वीडियो

VTR में बढ़ी बाघों की संख्या: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में वर्ष 2018 से 2020 के बीच में बाघों की संख्या 40 थी जो कि अब बढ़कर 2022 में 50 से ज्यादा पहुंच जाएगी. बाघों के संरक्षण व संवर्धन का ही नतीजा है कि आज वन एवं पर्यावरण विभाग बढ़ते बाघों की संख्या को लेकर आह्लादित है. बता दें कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व 1978 में वाइल्ड लाइफ सेंचुरी (wild life sanctuary ) के नाम से जाना जाता था. जिसको 1994 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया और इसका नाम वाल्मीकि टाइगर रिजर्व पड़ा.

वन एवं पर्यावरण विभाग की मुहिम लाई रंग: टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद वन एवं पर्यावरण विभाग ने बाघों की संख्या बढ़ाने और उसके संरक्षण को लेकर मुहिम चलाया और इस मुहिम के 900 वर्ग किमी में फैले जंगल को 9 वन क्षेत्र में बांटा गया. इसमें कामयाबी भी मिली है, क्योंकि बाघों की संख्या में लगातार इजाफा देखने को मिला है.

RAW
आराम फरमाता बाघ

पर्यटकों में खुशी: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व पर्यटकों के लिए भी एक बेहतर डेस्टिनेशन साबित हुआ है. इसका सबसे बड़ा प्रमाण प्रत्येक वर्ष पर्यटकों की बढ़ती संख्या है. बता दें कि प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में यहां पर्यटक पहुंचते हैं और जंगल सफारी का लुफ्त उठाते हैं. इस जंगल सफारी के दौरान अधिकांश सैलानियों की ख्वाहिश होती है कि वे बाघों का दीदार करें और कुछ पर्यटकों को बाघ नजर भी आते हैं.

सफारी में आसानी से दिखेंगे बाघ: ऐसे में अब बाघों की संख्या में इजाफा होने के बाद पर्यटकों को और आसानी से बाघ नजर आ सकेंगे. लिहाजा बाघों की संख्या बढ़ने पर पर्यटक भी फूले नही समा रहे हैं. रक्सौल से आये पर्यटकों का कहना है कि प्राकृतिक सुंदरता और जैव विविधताओं के बीच जंगल सफारी का आनंद अपने आप में काफी रोमांचक होता है. खासकर जब जंगल में बाघ का दीदार हो जाए तब रोमांच और बढ़ जाता है इसलिए बाघों की बढ़ती संख्या गौरव की बात है.

पेड़ों की कटाई पर रोक का हुआ फायदा: दरअसल वाल्मीकि टाइगर रिजर्व अपने जैव विविधताओं के लिए प्रसिद्ध तो है ही यहां की प्राकृतिक सुंदरता भी सबको अपने तरफ आकर्षित करती है. बता दें कि वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व नेपाल के चितवन अभ्यारण्य से सटा हुआ है यही वजह है कि नेपाल के जंगल से भी जानवर यहां पहुंच आते हैं. यहां का हैबिटेट वन्य जीवों को काफी भाता है. खासकर वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व जंगल में बेंत प्रचुर मात्रा में हैं और यहीं बेंत के झुरमुट बाघों के मुख्य आशियाना होता है इसलिए बेंत काटने व बेचने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है.

"ग्रासलैंड का दायरा बढ़ाकर बाघों की संख्या बढ़ाने और उनके संरक्षण की दिशा में जो प्रयास किया गया उसी का नतीजा है कि पहले बाघ एक सीमित दायरा में रहते थे लेकिन अब बाघों के विचरण सभी नौ वन क्षेत्रों में होता है. आज टाइगर डे के मौके पर बेहतर कार्य करने वाले वनकर्मियों को पुरस्कृत किया जाएगा. साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होगा और इसके अलावा स्कूली बच्चों के माध्यम से वीटीआर के सीमाई क्षेत्र में बस रहे लोगों को बाघ के संरक्षण को लेकर जागरूक किया जाएगा."- नेशामणि के, उप वन निदेशक, विटीआर


"जंगल में बाघ और तेंदुआ की संख्या में पहले से काफी ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि पहले जंगली जानवर रिहायशी इलाकों का रुख नहीं करते थे लेकिन जैसे जैसे इनकी संख्या बढ़ी है बाघ व तेंदुआ गाहे-बगाहे कॉलोनियों तक पहुंच जाते हैं."- नसीम खान, स्थानीय

महावत रखते हैं तस्करों पर नजर: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में जंगली जीवों की सुरक्षा के लिए कर्नाटक से लाये गए 5 प्रशिक्षित हाथियों को रखा गया है जिनसे विशेष कर बरसात के सीजन में मॉनसून गश्ती कराई जाती है. वन संपदा समेत वन्य जीवों की निगरानी की जाती है क्योंकि तस्करों की नजर बाघ व उनके बेशकीमती अंगों पर रहती है. यही वजह है कि वनकर्मी हाथियों से गश्ती कर इन तस्करों पर नजर रखते हैं.

"हाथीखाना के आसपास हर हफ्ते बाघों की मूवमेंट दिखती है. हम लोग हाथी से गश्ती कर इन बाघों समेत जंगली जीवों की सुरक्षा करते हैं."-प्रकाश महतो, महावत, हाथी गश्ती


बाघों की संख्या का आएगा नया आंकड़ा: आज वर्ल्ड टाइगर डे के दिन 2018 के चार वर्षों बाद एक मर्तबा फिर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या का नया आंकड़ा (Tiger Census) भारत सरकार द्वारा जारी किया जाएगा. बता दें कि जंगल मे बाघों के पग मार्क और पूरे जंगल में जगह जगह लगाए गए ट्रैप कैमरों के आधार पर बाघों की गणना हाल में सम्पन्न हुई है. वन विभाग ने सम्भावना जताया है कि बाघों की संख्या 50 से ऊपर जाएगी जो कि देश समेत बिहार के लिए एक बड़ी खुशखबरी है.

"बहुत खुशी है. यह एक ऐसा सुंदर स्थान है जिसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है. जंगल सफारी का जो मजा है वो कहीं नहीं है. बाघों की संख्या बढ़कर 50 हो गई है." -प्रदीप कुमार, रक्सौल से आये पर्यटक


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