पश्चिमी चंपारण : बिहार में लोकसभा चुनाव के छठें चरण के तहत 12 मई को पश्चिमी चंपारण में चुनाव होने हैं. बीजेपी इसे अपना मजबूत गढ़ मानती है. लिहाजा, एनडीए गठबंधन ने बीजेपी उम्मीदवार को यहां से उतारा है. वहीं, महागठबंधन की तरफ से रालोसपा उम्मीदवार मैदान में है. कुल 9 उम्मीदवारों के लिए यहां मतदान होने जा रहा है.
नेपाल की सीमा से सटा हुआ पश्चिमी चंपारण उत्तरी बिहार का हिस्सा है. 2002 के परिसीमन के बाद 2008 को इसे लोकसभा क्षेत्र के रूप में जाना जाने लगा. पहले इस सीट का अधिकतर हिस्सा बेतिया सीट के अंतर्गत आता था. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मभूमि के रूप में जाना जाने वाला चंपारण राजनीति का केंद्र रहा है.
क्यों मानती है बीजेपी इसे अपना गढ़
बात करें पश्चिमी चंपारण की राजनीतिक पृष्ठभूमि की, तो यहां 2009 और 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने विजयी पताका फहरायी. नई सीट बनने से पहले इस क्षेत्र पर 1996 से 2014 तक कुल 6 बार आम चुनाव हुए इनमें से 5 बार बीजेपी ने यहां विजयी हासिल की. यहीं वजह है कि बीजेपी इसे अपना गढ़ मानती है.
हवा इन दोनों की
बीजेपी से लगातार दो बार से विजयी रहे डॉ. संजय जयसवाल को एक बार फिर से एनडीए गठबंधन ने टिकट देकर जीत की दरकार रखी है. वहीं, महागठबंधन ने रालोसपा प्रत्याशी ब्रजेश कुमार कुशवाहा को चुनावी रण भूमि में उतारा है. यहां ऐसी हवा चल रही है कि टक्कर इन्हीं दोनों के बीच है.
मतदाताओं की संख्या
- कुल मतदाता 16 लाख 31 हजार 130 हैं.
- इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 8 लाख 76 हजार 758 हैं.
- जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 7 लाख 54 हजार 309 है.
- वहीं, थर्ड जेंडर 63 हैं.
विधानसभा सीटें-
- पश्चिमी चंपारण लोकसभा सीट के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं.
- ये सीटें हैं- नौतन, चनपटिया, बेतिया, रक्सौल, सुगौली और नरकटिया.
- 2015 के विधानसभा चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो इस संसदीय क्षेत्र की 6 विधानसभा सीटों में से 4 बीजेपी ने जीती, जबकि 1-1 सीट आरजेडी और कांग्रेस के हाथ आई.
2014 का जनादेश
बात करें 2014 के जनादेश की तो इस क्षेत्र से बीजेपी के डॉ. संजय जयसवाल ने जीत हासिल की थी. उन्हें 3 लाख 71 हजार 232 वोट मिले थे. जबकि दूसरे नंबर पर फिल्म निर्देशक प्रकाश झा रहे थे. जदयू से लड़ रहे प्रकाश को 2 लाख 60 हजार 978 वोट मिले थे.
डॉ. संजय का रिपोर्ट कॉर्ड
- वर्तमान सांसद के रूप में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे 53 साल के संजय जयसवाल दो बार सांसद रह चुके हैं.
- उन्होंने संसद में 87% प्रतिशत उपस्थिति दर्ज करवायी है.
- इस दौरान उन्होंने कुल 337 सवाल पूछे. उन्होंने 100 से ज्यादा बहसों में हिस्सा लिया है.
- 9 प्राइवेट मेंबर बिल पेश किये. सांसद निधि का 97 फीसदी पैसा खर्च किया है.
स्थानीय मुद्दे
गंडक और सिकरहना तथा इसकी सहायक नदियों के पास होने से पश्चिमी चंपारण जिले की मिट्टी उपजाऊ है. कृषि और छोटे-छोटे गृह उद्योग ही यहां के लोगों के रोजगार का प्रमुख जरिया है. लिहाजा, व्यापक रोजगार की मांग, शिक्षा व्यवस्था लचर, स्वास्थ्य और सुरक्षा व्यवस्था यहां का प्रमुख मुद्दा है.
रिकॉर्ड मतों से जीतने का दावा
वहीं, एनडीए उम्मीदवार डॉ. संजय जयसवाल ने अपनी पिछली जीत के लिए जनता पर भरोसा जताते हुए. इस बार भी जीत का दावा ठोका है. उनका कहना है कि जनता 5 सालों में हुए विकास को देखते हुए 2.5 लाख से ज्यादा वोटों से उन्हें विजयी बनाएगी.
मुझे काम करना आता है- ब्रजेश कुमार
दूसरी ओर महागठबंधन उम्मीदवार ब्रजेश कुमार कुशवाहा ने जीत का दावा करते हुए कहा कि मुझे मौका मिलेगा तो क्षेत्र का विकास होगा, उन्होंने कहा काम कैसे होता है ये मुझे मालूम है. उसका उपयोग होगा.
मतदाताओं का मूड
वहीं, बात करे मतदाताओं की तो कुछ वर्तमान सांसद से नाराज हैं और कुछ लोग जो विकास के नाम पर खुश हैं वो केंद्र में पीएम मोदी को देखना चाहते हैं. मतदाताओं की मानें तो वह सांसद को नहीं बल्कि बीजेपी को वोट देते हैं. ताकि केंद्र में बीजेपी सरकार बन सके.
दूर नहीं ऐतिहासिक तारीख
खैर जो भी हो ऐतिहासिक तारीख 23 मई अब ज्यादा दूर नहीं. पश्चिमी चंपारण समेत पूरे देश में किसका किला मजबूत होता है. सब सामने होगा.