बेतिया: कोविड-19 के दौरान हुए लॉकडाउन के कारण हर कोई प्रभावित हुआ था. वह चाहे व्यवसायी हो, बस चालक हो या बस का मालिक. लॉकडाउन में बस परिचालन पर भी भारी असर पड़ा है. लॉकडाउन में लगभग 6 महीने तक बसें बंद थीं. ऐसे में बस मालिकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा.
रोड टैक्स से लेकर बस की ईएमआई तक बस मालिकों को भरना पड़ा. कई बस मालिकों की अभी तक बस उनके दरवाजे पर खड़ी है. क्योंकि उनका फिटनेस से लेकर इंश्योरेंस तक खत्म हो गया है.
कर्ज लेकर जीवन यापन
बस स्टैंड में बस इंचार्ज से लेकर बस ड्राईवर, कंडक्टर, कुली का कहना है कि जब बस मालिक की बस नहीं चलेगी तो वह कहां से उन्हें पैसा देगा. ड्राईवरों का कहना है कि वे प्रतिदिन कमाते हैं और प्रतिदिन खाते हैं. जिस दिन बस चलेगी उसी दिन उन्हें मेहनताना मिलेगा. वहीं बस इंचार्ज का कहना है कि जब बस नहीं चलेगी तो मालिक पैसा अपने घर से थोड़े ही देगें. ऐसे में उन्हें अपना घर चलाने के लिए लोगों से कर्ज लेना पड़ा. कर्ज लेकर अपना परिवार चलाना पड़ा. क्योंकि लॉकडाउन एक-दो दिन नहीं थी बल्कि 6 महीने तक लगा हुआ था.
हमारी रोजी-रोटी बस से चलती है. बस में जब यात्री आएंगे तो हमें सामान ढोना रहता है. ऐसे में जब बस नहीं चलेगी तो यात्री नहीं आएगें. वहीं यात्री नहीं आएगें तो हमें पैसा कौन देगा. ऐसे में लोगों से कर्ज लेकर घर चलाना पड़ रहा है. इस लॉकडाउन से हमलोगों को काफी परेशानी हुई है. -रामू, कुली
सरकार को ध्यान देने की जरूरत है जिससे हमें भी लॉकडाउन में हुए नुकसान से थोड़ी बहुत राहत मिले. हमलोग सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि लॉकडाउन के दौरान हुए नुकसान पर सरकार को कुछ सोचना चाहिए. इसके साथ ही हम बस मालिकों को थोड़ी बहुत राहत मिलनी चाहिए. -राजेश कुमार, बस मालिक