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Lockdown से अब तक उबर नहीं पाए बस संचालक, सरकार से राहत की मांग

कोरोना काल में लॉकडाउन की वजह से सिर्फ गाड़ियों के चक्के ही नहीं थमे थे. लोगों की ज़िंदगी भी बेपटरी हो गई. ये परेशानी उन लोगों के लिए भी ज्यादा दुखदाई थी जो ईएमआई लेकर अपना रोज़गार चला रहे थे. बस संचालकों की मानें तो लॉकडाउन की वजह से उनके ऊपर कर्ज बढ़ गया. गाड़ियों के इंश्योरेंस से लेकर रोड टैक्स, परमिट और फिटनेस सब कुछ एक्सपायर हो गया. पैसे के अभाव में बस संचालक अपने पेपर्स रिन्यु नहीं करा पा रहे हैं. यही वजह है कि बसें स्टैंड में ही खड़ीं हैं. अब वो सरकार से राहत की मांग कर रहे हैं.

लॉकडाउन का असर
लॉकडाउन का असर
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Published : Jan 4, 2021, 2:21 PM IST

बेतिया: कोविड-19 के दौरान हुए लॉकडाउन के कारण हर कोई प्रभावित हुआ था. वह चाहे व्यवसायी हो, बस चालक हो या बस का मालिक. लॉकडाउन में बस परिचालन पर भी भारी असर पड़ा है. लॉकडाउन में लगभग 6 महीने तक बसें बंद थीं. ऐसे में बस मालिकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा.

रोड टैक्स से लेकर बस की ईएमआई तक बस मालिकों को भरना पड़ा. कई बस मालिकों की अभी तक बस उनके दरवाजे पर खड़ी है. क्योंकि उनका फिटनेस से लेकर इंश्योरेंस तक खत्म हो गया है.

देखें रिपोर्ट.
रिजर्व बस किया गया कैंसिलकोविड-19 के दौरान लगे लॉकडाउन के कारण बस मालिकों को भारी नुकसान हुआ है. 6 महीने तक बस का परिचालन पूरी तरह से ठप था. ऐसे में रोड टैक्स लेकर बस की ईएमआई तक भरना पड़ा है. लॉकडाउन के दौरान शादी विवाह में जो बस रिजर्व थी उन्हें भी कैंसिल करना पड़ा. वहीं जो पैसे एडवांस में लिए गए थे उन्हें वापस करना पड़ा. बहुत सारे ऐसे बस मालिक हैं जिन्हें अपने कर्मचारियों को बैठाकर पैसा देना पड़ा. उनका कहना है कि बस स्टॉफ गरीब है. उनका भी घर परिवार है. इसलिए उन्हें कुछ पैसा घर परिवार चलाने के लिए देना पड़ा. जिससे लॉकडाउन के दौरान उनका घर चल सके और अपना पेट पाल सकें.
परेशान हुए बस मालिक.
परेशान हुए बस मालिक.

कर्ज लेकर जीवन यापन
बस स्टैंड में बस इंचार्ज से लेकर बस ड्राईवर, कंडक्टर, कुली का कहना है कि जब बस मालिक की बस नहीं चलेगी तो वह कहां से उन्हें पैसा देगा. ड्राईवरों का कहना है कि वे प्रतिदिन कमाते हैं और प्रतिदिन खाते हैं. जिस दिन बस चलेगी उसी दिन उन्हें मेहनताना मिलेगा. वहीं बस इंचार्ज का कहना है कि जब बस नहीं चलेगी तो मालिक पैसा अपने घर से थोड़े ही देगें. ऐसे में उन्हें अपना घर चलाने के लिए लोगों से कर्ज लेना पड़ा. कर्ज लेकर अपना परिवार चलाना पड़ा. क्योंकि लॉकडाउन एक-दो दिन नहीं थी बल्कि 6 महीने तक लगा हुआ था.

बस परिचालन न होने से बढ़ी परेशानियां.
बस परिचालन न होने से बढ़ी परेशानियां.

हमारी रोजी-रोटी बस से चलती है. बस में जब यात्री आएंगे तो हमें सामान ढोना रहता है. ऐसे में जब बस नहीं चलेगी तो यात्री नहीं आएगें. वहीं यात्री नहीं आएगें तो हमें पैसा कौन देगा. ऐसे में लोगों से कर्ज लेकर घर चलाना पड़ रहा है. इस लॉकडाउन से हमलोगों को काफी परेशानी हुई है. -रामू, कुली

बस परिचालन न होने से बढ़ी परेशानियां.
बस परिचालन न होने से बढ़ी परेशानियां.
बस मालिक हुए परेशानकोविड-19 को लेकर हुए लॉकडाउन से बस मालिकों के जीवन स्तर पर भी काफी असर देखने को मिला है. इस समस्या को लेकर बस मालिकों का कहना है कि-

सरकार को ध्यान देने की जरूरत है जिससे हमें भी लॉकडाउन में हुए नुकसान से थोड़ी बहुत राहत मिले. हमलोग सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि लॉकडाउन के दौरान हुए नुकसान पर सरकार को कुछ सोचना चाहिए. इसके साथ ही हम बस मालिकों को थोड़ी बहुत राहत मिलनी चाहिए. -राजेश कुमार, बस मालिक

बेतिया: कोविड-19 के दौरान हुए लॉकडाउन के कारण हर कोई प्रभावित हुआ था. वह चाहे व्यवसायी हो, बस चालक हो या बस का मालिक. लॉकडाउन में बस परिचालन पर भी भारी असर पड़ा है. लॉकडाउन में लगभग 6 महीने तक बसें बंद थीं. ऐसे में बस मालिकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा.

रोड टैक्स से लेकर बस की ईएमआई तक बस मालिकों को भरना पड़ा. कई बस मालिकों की अभी तक बस उनके दरवाजे पर खड़ी है. क्योंकि उनका फिटनेस से लेकर इंश्योरेंस तक खत्म हो गया है.

देखें रिपोर्ट.
रिजर्व बस किया गया कैंसिलकोविड-19 के दौरान लगे लॉकडाउन के कारण बस मालिकों को भारी नुकसान हुआ है. 6 महीने तक बस का परिचालन पूरी तरह से ठप था. ऐसे में रोड टैक्स लेकर बस की ईएमआई तक भरना पड़ा है. लॉकडाउन के दौरान शादी विवाह में जो बस रिजर्व थी उन्हें भी कैंसिल करना पड़ा. वहीं जो पैसे एडवांस में लिए गए थे उन्हें वापस करना पड़ा. बहुत सारे ऐसे बस मालिक हैं जिन्हें अपने कर्मचारियों को बैठाकर पैसा देना पड़ा. उनका कहना है कि बस स्टॉफ गरीब है. उनका भी घर परिवार है. इसलिए उन्हें कुछ पैसा घर परिवार चलाने के लिए देना पड़ा. जिससे लॉकडाउन के दौरान उनका घर चल सके और अपना पेट पाल सकें.
परेशान हुए बस मालिक.
परेशान हुए बस मालिक.

कर्ज लेकर जीवन यापन
बस स्टैंड में बस इंचार्ज से लेकर बस ड्राईवर, कंडक्टर, कुली का कहना है कि जब बस मालिक की बस नहीं चलेगी तो वह कहां से उन्हें पैसा देगा. ड्राईवरों का कहना है कि वे प्रतिदिन कमाते हैं और प्रतिदिन खाते हैं. जिस दिन बस चलेगी उसी दिन उन्हें मेहनताना मिलेगा. वहीं बस इंचार्ज का कहना है कि जब बस नहीं चलेगी तो मालिक पैसा अपने घर से थोड़े ही देगें. ऐसे में उन्हें अपना घर चलाने के लिए लोगों से कर्ज लेना पड़ा. कर्ज लेकर अपना परिवार चलाना पड़ा. क्योंकि लॉकडाउन एक-दो दिन नहीं थी बल्कि 6 महीने तक लगा हुआ था.

बस परिचालन न होने से बढ़ी परेशानियां.
बस परिचालन न होने से बढ़ी परेशानियां.

हमारी रोजी-रोटी बस से चलती है. बस में जब यात्री आएंगे तो हमें सामान ढोना रहता है. ऐसे में जब बस नहीं चलेगी तो यात्री नहीं आएगें. वहीं यात्री नहीं आएगें तो हमें पैसा कौन देगा. ऐसे में लोगों से कर्ज लेकर घर चलाना पड़ रहा है. इस लॉकडाउन से हमलोगों को काफी परेशानी हुई है. -रामू, कुली

बस परिचालन न होने से बढ़ी परेशानियां.
बस परिचालन न होने से बढ़ी परेशानियां.
बस मालिक हुए परेशानकोविड-19 को लेकर हुए लॉकडाउन से बस मालिकों के जीवन स्तर पर भी काफी असर देखने को मिला है. इस समस्या को लेकर बस मालिकों का कहना है कि-

सरकार को ध्यान देने की जरूरत है जिससे हमें भी लॉकडाउन में हुए नुकसान से थोड़ी बहुत राहत मिले. हमलोग सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि लॉकडाउन के दौरान हुए नुकसान पर सरकार को कुछ सोचना चाहिए. इसके साथ ही हम बस मालिकों को थोड़ी बहुत राहत मिलनी चाहिए. -राजेश कुमार, बस मालिक

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