बगहा: नेपाल से वाल्मीकिनगर होकर भारतीय सीमा में प्रवेश करने वाली नारायणी नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया है. दरअसल पानी का लेवल जैसे-जैसे कम हो रहा है है, वैसे-वैसै नदी ने भीषण कटाव शुरू कर दिया है. कटाव की भयावहता ऐसी है कि महज एक दिन में 20 बीघा फसल समेत जमीन नदी के आगोश में समा गयी है.
गंडक नदी के कटाव से सड़क की पटरी हुई ध्वस्त: इतना ही नहीं ठकरहा के हरख टोला गांव की मुख्य सड़क का अस्तित्व भी खतरे में है. सड़क की पटरी नदी के गर्भ में समा चुकी है. आशंका जताई जा रही है की यदि ऐसे ही तेज गति से कटाव होता रहा तो शनिवार रात तक मुख्य सड़क का नामोनिशान मिट जाएगा.
अब खतरे में हरख टोला गांव का अस्तित्व: नदी की बदलती तेज धारा में हरख टोला गांव का अस्तित्व अब खतरे में आ गया है. ग्रामीणों के मुताबिक बीते दिनों कटाव की शुरुआत और सूचना पर जल संसाधन विभाग की टीम मौके पर पहुची थी. लेकिन कटाव की विनाशलीला देखकर अभियंता व कर्मी भाग खड़े हुए हैं. वहीं जो काम कराए गए उसमें भी विभाग ने भारी उदासीनता बरती है.
तेजी से हो रहा कटाव: लिहाजा आस-पास के गांव के लोगों में हड़कंप मच गया है. लोग डरे सहमे हुए दिन और रात गुजार रहे हैं. बता दें कि दो दिन में सड़क तक आई गंडक नदी तेजी से कटाव कर रही है. क्योंकि जलस्तर बढ़ने पर बाढ़ तो जलस्तर घटने पर कटाव की विनाशकारी स्थिति गंडक नदी का नेचर है.
ग्रामीणों ने की सरकार से ये मांग: फिलहाल बिहार यूपी सीमा पर बसे हरख टोला गांव के ग्रामीण कटाव की वजह से दहशत में हैं और प्रशासन व सरकार से जल्द राहत बचाव की मांग कर रहे हैं. ग्रामीणों को यह भय है कि यदि तत्काल कटावरोधी कार्य नहीं किया गया तो दियारा में स्थित हरख टोला गांव का अस्तित्व मिट जाएगा और उन्हे पलायन के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
"आठ नौ दिन से कटाव हो रहा है. अधिकारी दो तीन दिन आए और खूंटा गाड़कर चले गए. कई दिनों से काम बंद है."- ग्रामीण
"15-20 बीघा जमीन का कटाव हो चुका है. अधिकारी काम नहीं कर रहे हैं. काम अच्छे से होता तो ऐसे हालात नहीं बनते."- ग्रामीण
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