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हिन्दू महिला का निकला जनाजा, चालीसवां और ब्राह्मभोज भी होगा, जानें वजह - GANGA JAMUNI TEHZEEB

बिहार के रोहतास में हिन्दू महिला की मौत के बाद उसे मुस्लिम पद्धति से दफनाया गया. यह कहानी गंगा जमुनी तहजीब का उदाहरण है.

Hindu Woman Death In Rohtas
हिन्दू महिला की मौत के बाद दफन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 9, 2025, 10:34 AM IST

Updated : Feb 9, 2025, 10:52 AM IST

रोहतास: 'शरीर से हिन्दू लेकिन रूह में इस्लाम..', सुनने में थोड़ा अजीब लग रहा होगा, लेकिन यही सच्चाई है. बिहार में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिससे हैरानी तो होगी लेकिन इससे यह सीख जरूर मिलेगी की "सभी धर्मों का सम्मान करना जरूरी है." धर्म कोई भी हो एक ना एक दिन सभी को इसी मिट्टी में मिल जाना है. जब मिट्टी धर्म में भेदवाव नहीं करती तो हमें घमंड किस बात का.

7 फरवरी 2025 शुक्रवार का दिन था. डेहरी इलाके के मणिनगर में लक्ष्मण राम की धर्मपत्नी 58 वर्षीय संगीता देवी का निधन हो जाता है. निधन की खबर जैसे ही फैली गांव के मुस्लिम समुदाय के लोग संगीता देवी को कंधा देने लिए पहुंच गए. साजो-सज्जा के साथ जनाजा निकाल कर कब्रिस्तान में संगीता देवी को दफन किया गया.

संगीता देवी के परिवार से बातचीत (ETV Bharat)

हिन्दू होते हुए भी अल्लाह में आस्था: संगीता देवी का जन्म हिन्दू परिवार में हुआ था लेकिन इनका अंतिम संस्कार मुस्लिम धर्म के अनुसार हुआ. इसके पीछे की कहानी काफी अलग है. इस बारे में संगीता के पति लक्ष्मण राम बताते हैं कि हिन्दू होते हुए भी इनकी पत्नी की आस्था अल्लाह के प्रति थी. इसका सबसे बड़ा कारण है परिवार.

"संगीता देवी को बचपन से ही इस्लाम धर्म में आस्था रही थी. पांचों वक्त जुम्मे की नमाज अदा करती थी. माहे रमजान में महीने के तीस रोजा भी करती थी. ख्वाजा, अजमेर शरीफ की दरगाह से लेकर गौस पाक जाकर अल्लाह से दुआ मांगती थी. इसलिए संगीता की इच्छा थी कि उनके निधन के बाद उन्हें दफनाया जाए." -लक्ष्मण राम, संगीता के पति

Hindu Woman Death In Rohtas
संगीता देवी का परिवार (ETV Bharat)

संतान प्राप्ति के बाद रोजा रखा: लक्ष्मण राम बताते हैं कि 40 वर्ष पूर्व उनकी शादी संगीता से हुई थी. शादी की तकरीबन 10 साल तक उन्हें कोई संतान नहीं हुआ. इसके बाद संगीता को किसी ने दरगाह जाने की सलाह दी. संगीता कई दरगाह गयी और संतान के लिए मन्नत मांगी. लक्ष्ण बताते हैं कि इसके बाद उन्हें संतान की प्राप्ति हुई. इसके बाद से संगीत रोजा रखने लगी और इस्लाम धर्म के प्रति गहरी आस्था हो गयी.

एक ही घर में पूजा और नमाज: संगीता देवी की बहु बताती हैं कि पूरा परिवार सनातन धर्म को मानने वाले हैं लेकिन सिर्फ उनकी सास इस्लाम धर्म को मानती थी. उन्होंने बताया कि उससे उन्हें कभी भी कोई परेशानी नहीं हुई. बहु चांदनी देवी बताती हैं कि वे लोग घर में छठ पूजा सहित अन्य त्योहार भी मनाती हैं.

Hindu Woman Death In Rohtas
संगीता देवी के कमरे में रखा इस्लामिक तस्वीर (ETV Bharat)

"मेरी मां ने ना कभी हिन्दू धर्म का विरोध किया और ना हमलोगों ने इस्लाम धर्म का विरोध किया. एक ही घर में पूजा और नमाज दोनों की जाती है. मेरी मां कहती थी कि तुमलोग पूजा करो मेरे अंदर जो आस्था है वह मैं करूंगी." -चांदनी देवी, बहु

जुमा के दिन ही संगीता का निधन: हैरानी की बात है कि संगीता का निधन भी जुमा यानि शुक्रवार को हुआ. जुमा इस्लाम धर्म में एक पवित्र दिन होता है. इस दिन 5 वक्त नमाज पढ़ा जाता है. यह दिन नमाज के लिए खास होता है. इसी दिन संगीता का निधन हुआ.

मुसलमानों ने दिया कंधा: मृत्यु के उपरांत मुस्लिम रीति रिवाज के साथ कब्रिस्तान में दफन किया गया. सबसे बड़ी बात यह रही की जब मृत्यु के पश्चात संगीता देवी का जनाजा घर से निकला तो मोहल्ले के लोग के साथ-साथ मुसलमान भी इस अंतिम यात्रा में शरीक हुए और जनाजे को कंधा दिया.

Hindu Woman Death In Rohtas
संगीता देवी के कमरे में रखा इस्लामिक तस्वीर (ETV Bharat)

दोनों धर्म के अनुसार क्रियाक्रम: संगीता के बेटे धर्मेंद्र कुमार बताते हैं कि मां की आखिरी ख्वाहिश को मानते हुए जनाजा निकाला गया. हिन्दू मुस्लिम सभी शरीक हुए फिर उन्हें जखी बिगहा स्थित कब्रिस्तान में मिट्टी दी गई. "अब मुस्लिम रीति रिवाज के अनुसार मां का चालीसवां होगा और हिन्दू धर्म के अनुसार ब्रह्मभोज भी कराया जाएगा."

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रोहतास: 'शरीर से हिन्दू लेकिन रूह में इस्लाम..', सुनने में थोड़ा अजीब लग रहा होगा, लेकिन यही सच्चाई है. बिहार में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिससे हैरानी तो होगी लेकिन इससे यह सीख जरूर मिलेगी की "सभी धर्मों का सम्मान करना जरूरी है." धर्म कोई भी हो एक ना एक दिन सभी को इसी मिट्टी में मिल जाना है. जब मिट्टी धर्म में भेदवाव नहीं करती तो हमें घमंड किस बात का.

7 फरवरी 2025 शुक्रवार का दिन था. डेहरी इलाके के मणिनगर में लक्ष्मण राम की धर्मपत्नी 58 वर्षीय संगीता देवी का निधन हो जाता है. निधन की खबर जैसे ही फैली गांव के मुस्लिम समुदाय के लोग संगीता देवी को कंधा देने लिए पहुंच गए. साजो-सज्जा के साथ जनाजा निकाल कर कब्रिस्तान में संगीता देवी को दफन किया गया.

संगीता देवी के परिवार से बातचीत (ETV Bharat)

हिन्दू होते हुए भी अल्लाह में आस्था: संगीता देवी का जन्म हिन्दू परिवार में हुआ था लेकिन इनका अंतिम संस्कार मुस्लिम धर्म के अनुसार हुआ. इसके पीछे की कहानी काफी अलग है. इस बारे में संगीता के पति लक्ष्मण राम बताते हैं कि हिन्दू होते हुए भी इनकी पत्नी की आस्था अल्लाह के प्रति थी. इसका सबसे बड़ा कारण है परिवार.

"संगीता देवी को बचपन से ही इस्लाम धर्म में आस्था रही थी. पांचों वक्त जुम्मे की नमाज अदा करती थी. माहे रमजान में महीने के तीस रोजा भी करती थी. ख्वाजा, अजमेर शरीफ की दरगाह से लेकर गौस पाक जाकर अल्लाह से दुआ मांगती थी. इसलिए संगीता की इच्छा थी कि उनके निधन के बाद उन्हें दफनाया जाए." -लक्ष्मण राम, संगीता के पति

Hindu Woman Death In Rohtas
संगीता देवी का परिवार (ETV Bharat)

संतान प्राप्ति के बाद रोजा रखा: लक्ष्मण राम बताते हैं कि 40 वर्ष पूर्व उनकी शादी संगीता से हुई थी. शादी की तकरीबन 10 साल तक उन्हें कोई संतान नहीं हुआ. इसके बाद संगीता को किसी ने दरगाह जाने की सलाह दी. संगीता कई दरगाह गयी और संतान के लिए मन्नत मांगी. लक्ष्ण बताते हैं कि इसके बाद उन्हें संतान की प्राप्ति हुई. इसके बाद से संगीत रोजा रखने लगी और इस्लाम धर्म के प्रति गहरी आस्था हो गयी.

एक ही घर में पूजा और नमाज: संगीता देवी की बहु बताती हैं कि पूरा परिवार सनातन धर्म को मानने वाले हैं लेकिन सिर्फ उनकी सास इस्लाम धर्म को मानती थी. उन्होंने बताया कि उससे उन्हें कभी भी कोई परेशानी नहीं हुई. बहु चांदनी देवी बताती हैं कि वे लोग घर में छठ पूजा सहित अन्य त्योहार भी मनाती हैं.

Hindu Woman Death In Rohtas
संगीता देवी के कमरे में रखा इस्लामिक तस्वीर (ETV Bharat)

"मेरी मां ने ना कभी हिन्दू धर्म का विरोध किया और ना हमलोगों ने इस्लाम धर्म का विरोध किया. एक ही घर में पूजा और नमाज दोनों की जाती है. मेरी मां कहती थी कि तुमलोग पूजा करो मेरे अंदर जो आस्था है वह मैं करूंगी." -चांदनी देवी, बहु

जुमा के दिन ही संगीता का निधन: हैरानी की बात है कि संगीता का निधन भी जुमा यानि शुक्रवार को हुआ. जुमा इस्लाम धर्म में एक पवित्र दिन होता है. इस दिन 5 वक्त नमाज पढ़ा जाता है. यह दिन नमाज के लिए खास होता है. इसी दिन संगीता का निधन हुआ.

मुसलमानों ने दिया कंधा: मृत्यु के उपरांत मुस्लिम रीति रिवाज के साथ कब्रिस्तान में दफन किया गया. सबसे बड़ी बात यह रही की जब मृत्यु के पश्चात संगीता देवी का जनाजा घर से निकला तो मोहल्ले के लोग के साथ-साथ मुसलमान भी इस अंतिम यात्रा में शरीक हुए और जनाजे को कंधा दिया.

Hindu Woman Death In Rohtas
संगीता देवी के कमरे में रखा इस्लामिक तस्वीर (ETV Bharat)

दोनों धर्म के अनुसार क्रियाक्रम: संगीता के बेटे धर्मेंद्र कुमार बताते हैं कि मां की आखिरी ख्वाहिश को मानते हुए जनाजा निकाला गया. हिन्दू मुस्लिम सभी शरीक हुए फिर उन्हें जखी बिगहा स्थित कब्रिस्तान में मिट्टी दी गई. "अब मुस्लिम रीति रिवाज के अनुसार मां का चालीसवां होगा और हिन्दू धर्म के अनुसार ब्रह्मभोज भी कराया जाएगा."

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Last Updated : Feb 9, 2025, 10:52 AM IST
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