बेतिया: लॉकडाउन की वजह से देश में सभी तरह के व्यवसाय बंद पड़े हैं. सिर्फ दवा, किराना, सब्जी और फलों सहित दूध इत्यादि की बिक्री को प्रतिबंध के दायरे से बाहर रखा गया था. ऐसे में कई लोगों ने अपना मूल व्यवसाय छोड़कर परिवार का पालन पोषण करने के लिए ठेला पर फल और सब्जी बेचने लगे. उनके लिए ठेला वरदान साबित हुआ है.
ठेला बना परिवार के पालन-पोषण का सहारा
कोरोना महामारी की मार ने भले ही लोगों का रोजगार छीन लिया हो, लेकिन अभी भी कई ऐसे लोग हैं. जिनका हौसला नहीं टूटा है और उन्होंने अपने मूल व्यवसाय के संकट में पड़ जाने के बावजूद जीविकोपार्जन का तरीका ढूंढ ही लिया है. दरअसल लॉकडाउन की वजह से सब्जियों और फलों के दुकान की छूट गरीबों के लिए वरदान बन गया. उन्होंने ठेले को अपना हथियार बना अपने परिवार के पालन पोषण का जरिया बना लिया.
इस कोरोना महामारी ने आत्म निर्भरता की नई कहानी गढ़ दी है. मजदूरी और अन्य सभी दुकानों को लॉकडाउन में खोलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. इसके बाद जीविकोपार्जन के लिए कुछ न कुछ तो करना ही था. ऐसे में अब शहर हो या गांव यहां के सभी गलियों में फल और सब्जियां बेचते ठेले वाले आसानी से दिख जा रहे हैं, जिन लोगों की मिठाई की दुकान थी या, जो खोमचे में घुमकर मूंगफली बेचते थे. ऐसे लोगों के लिए ठेला वरदान साबित हुआ.
ग्रामीणों का काम भी हुआ आसान
कोरोना संक्रमण से राहत और बचाव के लिए सरकार ने लॉकडाउन लगाया. ताकि सोशल डिस्टेंसी बनी रहे और संक्रमण का विस्तार बड़े पैमाने पर न हो पाए. ऐसे समय में लोगों को घरों से बाहर निकलना किसी चुनौती से कम नहीं है. साथ ही प्रशासन की सख्ती से भी लोगों को भय है. नतीजतन ठेले पर सब्जी और फल बेचने वाले लोगों ने इनके इस भय और समस्या से निजात दिला दी है. ग्रामीणों का कहना है कि ठेले वाले उनके लिए ताजे और सस्ते फल लेकर होम डिलीवरी जैसा काम कर रहे हैं.च