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'विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान' भर रहा है विदेशी दंपतियों की सूनी गोद, अब बेतिया की ये बच्ची जाएगी US

अब तक इस संस्था के माध्यम से 6 बच्चों को माता-पिता मिल चुके हैं. फिलहाल, यहां 12 बच्चे-बच्चियां हैं, जिसमें पांच का चयन विदेशी दंपति कर चुके हैं.

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Published : Jul 20, 2019, 7:45 PM IST

बेतिया: शहर के बानु छापर स्थित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्था की चर्चा पहली बार विश्व स्तर पर होने लगी है. यहां रहने वाले तमाम बेनाम मासूमों को विदेशी दंपतियों ने गोद लेने का निर्णय लिया है. इन अनाथ बच्चों का अब अपना नाम होगा, अपने माता-पिता होंगे. इनका अब अपना आशियाना होगा. इसके लिए कानूनी प्रक्रिया अंतिम चरण में है.

betiah
संस्थान

हाल में अमेरिका की एल्सा अपने पति के साथ बच्चे की चाहत में बेतिया पहुंची. उन्होंने कानूनी प्रक्रिया पूरी कर बच्ची को अपनाया है. बेतिया डीएम निलेश रामचंद्र देवरे ने अपने हाथों से बच्ची को नए माता-पिता के हवाले किया. बाल संरक्षण इकाई के निर्देशक ममता झा ने बताया कि बेतिया जिले से पहली बार कोई बच्ची अमेरिका जा रही है.

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बच्ची को मिली मां

आज बेनाम बच्चों को मिल रहा नाम
दिल्ली स्थित सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी को ऑनलाइन आवेदन देने के बाद दंपति गोद लेने के लिए कानूनी प्रक्रिया का शुरुआत करते हैं. इसमें नंबर के अनुसार उन्हें देश के विभिन्न भागों में स्थित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्था के बच्चों की तस्वीर देकर, चयन करने का ऑफर दिया जाता है. विभिन्न संबंधित जिलों के परिवार न्यायालय के माध्यम से कानूनी प्रक्रिया पूरी कराई जाती है. तब बच्चों को चयनित दंपतियों को दिया जाता है.

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बच्ची को सौंपते डीएम

समय-समय पर बच्चे के बारे में देनी होती है जानकारी
बता दें कि बच्चे को चयनित माता-पिता को सौंप देने के बाद संस्था की जिम्मेदारी खत्म नहीं होती है. समय-समय पर संस्था उनके बारे में जानकारी लेते रहता है. जिस दंपति ने बच्चे को गोद लिया है. उन्हें भी हर महीने कोर्ट को यह बताना पड़ता है कि बच्चा स्वस्थ है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

2018 में शुरू हुई संस्था
विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्था साल 2018 में शुरू हुई थी. अब तक इस संस्था के माध्यम से 6 बच्चों को माता-पिता मिल चुके हैं. फिलहाल, यहां 12 बच्चे-बच्चियां हैं, जिसमें पांच का चयन विदेशी दंपति कर चुके हैं.

बेतिया: शहर के बानु छापर स्थित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्था की चर्चा पहली बार विश्व स्तर पर होने लगी है. यहां रहने वाले तमाम बेनाम मासूमों को विदेशी दंपतियों ने गोद लेने का निर्णय लिया है. इन अनाथ बच्चों का अब अपना नाम होगा, अपने माता-पिता होंगे. इनका अब अपना आशियाना होगा. इसके लिए कानूनी प्रक्रिया अंतिम चरण में है.

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संस्थान

हाल में अमेरिका की एल्सा अपने पति के साथ बच्चे की चाहत में बेतिया पहुंची. उन्होंने कानूनी प्रक्रिया पूरी कर बच्ची को अपनाया है. बेतिया डीएम निलेश रामचंद्र देवरे ने अपने हाथों से बच्ची को नए माता-पिता के हवाले किया. बाल संरक्षण इकाई के निर्देशक ममता झा ने बताया कि बेतिया जिले से पहली बार कोई बच्ची अमेरिका जा रही है.

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बच्ची को मिली मां

आज बेनाम बच्चों को मिल रहा नाम
दिल्ली स्थित सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी को ऑनलाइन आवेदन देने के बाद दंपति गोद लेने के लिए कानूनी प्रक्रिया का शुरुआत करते हैं. इसमें नंबर के अनुसार उन्हें देश के विभिन्न भागों में स्थित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्था के बच्चों की तस्वीर देकर, चयन करने का ऑफर दिया जाता है. विभिन्न संबंधित जिलों के परिवार न्यायालय के माध्यम से कानूनी प्रक्रिया पूरी कराई जाती है. तब बच्चों को चयनित दंपतियों को दिया जाता है.

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बच्ची को सौंपते डीएम

समय-समय पर बच्चे के बारे में देनी होती है जानकारी
बता दें कि बच्चे को चयनित माता-पिता को सौंप देने के बाद संस्था की जिम्मेदारी खत्म नहीं होती है. समय-समय पर संस्था उनके बारे में जानकारी लेते रहता है. जिस दंपति ने बच्चे को गोद लिया है. उन्हें भी हर महीने कोर्ट को यह बताना पड़ता है कि बच्चा स्वस्थ है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

2018 में शुरू हुई संस्था
विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्था साल 2018 में शुरू हुई थी. अब तक इस संस्था के माध्यम से 6 बच्चों को माता-पिता मिल चुके हैं. फिलहाल, यहां 12 बच्चे-बच्चियां हैं, जिसमें पांच का चयन विदेशी दंपति कर चुके हैं.

Intro:बेतिया: बच्ची की चाहत में अमेरिका से बेतिया पहुंची एल्सा। कानूनी प्रक्रिया के तहत बच्चों को गोद लिया। बेतिया डीएम निलेश रामचंद्र देवरे ने बच्ची को तिलक लगा एल्सा को गोद में सौंपा दिया। गोद में बच्ची को ले एल्सा की खुशी बाहर आ गई थी और खुशी के सभी के आंखों में आंसू आ गए।


Body:विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान भर रहा है विदेशी दंपतियों की सुनी गोद।

शहर के बानु छापर स्थित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्था की चर्चा पहली बार विश्व स्तर पर होने लगी है। यहां रह रहे बेनाम कई मासूमों को विदेशी दंपतियों ने गोद लेने का निर्णय लिया है। इन बच्चों का अब अपना नाम होगा, अपने माता-पिता होंगे,इनका अब अपना आशियाना होगा। इसके लिए कानूनी प्रक्रिया अंतिम चरण में है।

इस प्रक्रिया के तहत आज बेनाम बच्चों को मिल रहा है नाम

दिल्ली स्थित सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी को ऑनलाइन आवेदन देने के बाद दंपति गोद लेने के लिए कानूनी प्रक्रिया का शुरुआत करते हैं। इसमें नंबर के अनुसार उन्हें देश के विभिन्न भागों में स्थित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्था के बच्चों की तस्वीर देकर उन्हें इसे चयन करने का ऑफर किया जाता है। विभिन्न संबंधित जिले के परिवार न्यायालय के माध्यम से कानूनी प्रक्रिया पूरी कराई जाती है। तब बच्चों को गोद में दंपतियों को दिया जाता है। यही नहीं हर दिन महीने बाद दंपतियों को कोर्ट को बताना पड़ता है बच्चा स्वस्थ है।


Conclusion:2018 से शुरू हुई विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्था से अब तक 6 बच्चों को माता-पिता मिल चुके हैं । अभी 12 बच्चे- बच्चियां है जिसमें पांच का चयन विदेशी दंपति कर चुके हैं।

यही नहीं इटली से क्रिश्चियन काफ्रोरा अपनी पत्नी एनलिसा फलांगा,स्पेन से जोश मिगेल, इन जलिडीबाग बेला मेंडिया व पत्नी मरिया,जेसस टिनिला, लगजमवर्ग से जी मार्टिना स्टोफेल अपनी पत्नी सारा गाजला हेलेन व अमेरिका के कई दंपति शीघ्र ही बेतिया आने वाले हैं और वह अपने बच्चों को यहां से ले जायेंगे।

वहीं बाल संरक्षण इकाई के निर्देशक ममता झा ने बताया कि बेतिया जिला से पहली बार कोई बच्ची अमेरिका गई है।

बाइट- ममता झा, सहायक निर्देशक बाल संरक्षण इकाई ,बेतिया
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