पश्चिम चंपारण (बेतिया): ईटीवी भारत ग्राउंड रिपोर्ट के जरिए लगातार बाढ़ की स्थिति दिखा रहा है. यह तस्वीर बेतिया के नौतन प्रखंड की है. जहां बाढ़ पीड़ित अपने गांव से पलायन करके चंपारण तटबंध पर शरण लिए हुए हैं. इस तटबंध पर सैकड़ों की तादात में तंबू लगाए गए हैं. यहां रह रहे लोगों की आंखों में विस्थापन का दर्द साफ झलक रहा है.
नहीं किया गया राहत सामग्री का वितरण
चंपारण तटबंध पर तंबू लगाकर रह रहे ग्रामीण विशंभरपुर और मंगलपुर कला गांव के हैं. इनका घर बाढ़ के पानी में डूब चुका है. ये बेबस और लाचार बाढ़ पीड़ित पिछले 6 दिनों से इस तटबंध पर शरण लिए हुए हैं. जो राहत सामग्री के लिए प्रशासन की तरफ आस लगाए बैठे हैं. लेकिन 6 दिन बीत जाने के बाद भी इन लोगों के बीच कोई राहत सामग्री का वितरण नहीं किया गया.
भूख से रो रहे बच्चे
बाढ़ पीड़ितों में अपना घर बार गंवाने का दर्द तो दिख ही रहा है, साथ ही उन्हें खाना तक नसीब नहीं हो पा रहा है. पीड़ितों में कई बच्चे भी शामिल हैं, जो भूख की वजह से रो-रोकर सो जाते हैं. लेकिन अब तक कोई भी इनका हाल चाल जानने के लिए नहीं पहुंचा है.
पानी में डूब गया अनाज और राशन
राशन के अभाव में इन लोगों के चूल्हे बुझे हुए हैं. बच्चे नंगे घूम रहे हैं. बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे तंबू में सो रहे हैं. पीड़ितों का कहना है कि गंडक नदी की उफान में हमारे घर छिन गए और अब कोई सुध लेने वाला भी नहीं है. हमारे अनाज, राशन सब पानी में डूब गए. बच्चे बार-बार खाने की मांग कर रहे हैं. लेकिन ये बेबस लाचार करें भी तो क्या?
सरकार से मदद की आस
सरकार के अधिकारियों और मंत्रियों ने बाढ़ की तैयारी पूरी होने को लेकर कई दावे किए. लेकिन 6 दिन बीत जाने के बाद भी चंपारण तटबंध पर शरण लिए लोगों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. बाढ़ पीड़ित अब सरकार से मदद की आस लगाए बैठे हैं. ताकि उनके चूल्हे जल सकें और भूख से रो रहे बच्चों का पेट भर पाए.