बगहाः बिहार के वाल्मीकी टाइगर रिजर्व वन क्षेत्र में गर्मी आते ही आग लगने की समस्या आम हो जाती है, जिससे वन संपदा को काफी नुकसान पहुंचता है. लिहाजा वन विभाग इससे निपटने की कवायद में जुटा हुआ है. प्रत्येक वन क्षेत्र में फायर वॉच कर्मियों की तैनाती भी की गई है. 890 वर्ग किमी के दायरे में फैला वाल्मीकी टाइगर रिजर्व वन क्षेत्र 8 रेंज में बंटा हुआ है. यहां पेड़ों की 84 प्रजातियों जैसे साल, सागवान, बांस और गन्ने, 32 झाड़ियां समेत 81 जड़ी बूटी और घासों की विभिन्न प्रजातियां हैं.
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"घास काटने वाले और चरवाहों द्वारा बीड़ी, सिगरेट या माचिस की तीली सुलगा कर फेंकने से भी आग लगने की घटनाएं होती हैं. आग लगने की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए स्थानीय स्तर पर तैयारी पूरी कर ली गई है. वॉकी टॉकी से लैस फायर वॉच कर्मियों को तैनात किया गया है." -डॉक्टर नेशमणि, वन संरक्षक सह वन उप निदेशक
सैकड़ों एकड़ जंगल को नुकसानः अमूमन बसंत ऋतु के बाद जंगल में जब नए घास उगते हैं. पशु पालक अपने मवेशियों को चराने के लिए जंगल की तरफ ले जाते हैं. उनके द्वारा फेंके गए ज्वलनशील पदार्थों से VTR में आग लगने की घटनाएं बढ़ती हैं. गर्मी का मौसम दस्तक देने के साथ हीं अब तक दर्जनों मर्तबा आग लगने की घटनाएं घट चुकी है, सैकड़ों एकड़ जंगल को नुकसान पहुंचा है.
आग लगने व फैलने से रोका जाएगाः प्रत्येक साल गर्मी के मौसम में आग लगने को लेकर वन विभाग द्वारा कोई ठोस और कारगर उपाय नहीं किया जाता है. दरअसल जंगल में अग्निशमन वाहन जा नहीं सकता है. लिहाजा रेंज में तैनात फायर वाच की टीम ब्लोअर, वाटर टैंक, झाड़ी और बालू-मिट्टी की मदद से आग बुझाती है. इसके अलावा जंगल में आग लगने से बचाव को लेकर वन विभाग चार मीटर चौड़ी एक लाइन तैयार करता है और इस लाइन की सभी सूखी पत्तियों को जला दिया जाता है ताकि आग लगने व फैलने से रोका जा सके.