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जान जोखिम में डाल नदी पार करते हैं किसान, सरकार की बदइंतजामी से हैं नाराज - Bihar News

जिले में स्थित गण्डक नदी में जलस्तर बढ़ने से पूरा इलाका जलमग्न हो चुका है. बगहा क्षेत्र के किसान जान जोखिम में डालकर खेती करने नदी के पार जाते हैं.

बेतिया
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Published : Jul 15, 2019, 9:40 PM IST

बेतिया: प्रदेश के लगभग आधे जिले बाढ़ की चपेट में है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों का जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित है. जिले के लोग भी इससे काफी परेशान हैं. लेकिन प्रशासन बाढ़ की तैयारी को लेकर सुस्त है. जिले के किसान खेती करने के लिए जान जोखिम में डालकर नाव से नदी पार करने को मजबूर हैं.

मामला जिले के बगहा का है. गण्डक नदी में जलस्तर बढ़ने से यह पूरा इलाका जलमग्न हो चुका है. यहां के लोग पूरी तरह खेती पर ही आश्रित हैं. इस बरसात के मौसम में किसान खेती के लिए नदी पार कर जाते हैं. लेकिन सरकार ने इसको लेकर कोई व्यवस्था नहीं की है.

किसान और नाविक का बयान

यहां हो सकता है कभी भी हादसा
किसानों का कहना है कि हम लोंगो का खेत दियारा इलाके में है. यह इलाका नदी के उस पार है. इसलिए प्रतिदिन नदी के पार जाना पड़ता है. हमलोग किसान समिति बनाकर नाव की व्यवस्था कर नदी के उस जाते हैं. नाव पर लोगों का ओवरलोड हो जाता है. इससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. लेकिन प्रशासन ने इसको लेकर कोई व्यवस्था तक नहीं की है.

हर साल होती है यहां कई दुर्घटनाएं
बता दें कि यहां हर साल कई नाव दुर्घटनाएं होती हैं. यहां किसी भी नाव का अनुबंध तक नहीं है. लेकिन किसानों के लिए यहां नाव संचालन करना मजबूरी है. बरसात के मौसम में हर साल गण्डक नदी का जलस्तर काफी बढ़ जाता है. लेकिन यहां किसानों के लिए सरकार ने नावों तक की व्यवस्था नहीं की है.

बेतिया: प्रदेश के लगभग आधे जिले बाढ़ की चपेट में है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों का जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित है. जिले के लोग भी इससे काफी परेशान हैं. लेकिन प्रशासन बाढ़ की तैयारी को लेकर सुस्त है. जिले के किसान खेती करने के लिए जान जोखिम में डालकर नाव से नदी पार करने को मजबूर हैं.

मामला जिले के बगहा का है. गण्डक नदी में जलस्तर बढ़ने से यह पूरा इलाका जलमग्न हो चुका है. यहां के लोग पूरी तरह खेती पर ही आश्रित हैं. इस बरसात के मौसम में किसान खेती के लिए नदी पार कर जाते हैं. लेकिन सरकार ने इसको लेकर कोई व्यवस्था नहीं की है.

किसान और नाविक का बयान

यहां हो सकता है कभी भी हादसा
किसानों का कहना है कि हम लोंगो का खेत दियारा इलाके में है. यह इलाका नदी के उस पार है. इसलिए प्रतिदिन नदी के पार जाना पड़ता है. हमलोग किसान समिति बनाकर नाव की व्यवस्था कर नदी के उस जाते हैं. नाव पर लोगों का ओवरलोड हो जाता है. इससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. लेकिन प्रशासन ने इसको लेकर कोई व्यवस्था तक नहीं की है.

हर साल होती है यहां कई दुर्घटनाएं
बता दें कि यहां हर साल कई नाव दुर्घटनाएं होती हैं. यहां किसी भी नाव का अनुबंध तक नहीं है. लेकिन किसानों के लिए यहां नाव संचालन करना मजबूरी है. बरसात के मौसम में हर साल गण्डक नदी का जलस्तर काफी बढ़ जाता है. लेकिन यहां किसानों के लिए सरकार ने नावों तक की व्यवस्था नहीं की है.

Intro:बाढ़ आपदा प्रबंधन जैसे हालात से निपटने के लिए बगहा प्रशासन के पास निजी नाव की व्यवस्था नही है। बगहा के दर्जनों घाटों से प्रतिदिन हजारों लोग खेती करने गण्डक नदी पार कर दियारा जाते हैं और वो भी निजी नावों से अपना जान जोखिम में डालकर। हालात ऐसे हैं कि अगर गण्डक अपना रौद्र रूप अपना ले तो दियारा पार खेती करने गए पुरुष व महिला देर रात तक नदी के लहर का शांत होने का इन्तेजार करते हैं।


Body:इसे लोगों की मजबूरी ही कहेंगे कि जब गण्डक अपने पूरे उफान पर हो और अपना विकराल रूप धारण किये हुए हो फिर भी जान की परवाह किये बिना निजी नाव से दियारा क्षेत्र में खेती करने जाने को विवश होते हैं। ये नजारा प्रतिदिन का है, जब सुबह होते हीं बगहा के किसान व मजदूर गण्डक नदी किनारे आकर अपने जीवन यापन के लिए अपनी जान दांव पर लगाते हैं। बगहा के अनेक घाटों से दर्जनों निजी नाव पर सवार होकर किसान और मजदूर गण्डक पार कर दियारा खेती करने जाते हैं और देर रात तक लौटते हैं।
किसानों की मानें तो पेट के खातिर रिस्क लेना उनकी मजबूरी है। उनका कहना है कि जिन लोगों की खेती दियारा क्षेत्र में है उनके पास नदी पार कर जाने के अलावा कोई चारा नही है। यही वजह है कि किसान समिति बनाकर खुद के नावों का संचालन करते हैं। उनके लिए प्रशासन द्वारा कोई व्यवस्था नही की जाती।
वही नाविकों का कहना है कि गण्डक नदी में चलने वाले किसी भी नाव का निबंधन प्रशासन द्वारा नही किया जाता है। 4 वर्ष पूर्व से ही नावों के डाक का निबंधन प्रक्रिया खटाई में है। ऐसे में मजबूरीवश निजी नाव बनाकर उसी से रोजी रोटी का जुगाड़ हो पाता है।
बाइट- रमाकांत यादव, किसान
बाइट- संजय भगत, नाविक
बता दें कि प्रत्येक साल नाव दुर्घटनाएं होती हैं , फिर भी प्रशासन इससे सबक नही ले रहा। नियम यह है कि नदी में बिना अनुबंध के नावों का संचालन नही हो सकता। लेकिन नियमो को ताक पर रख कर किसानों का नाव संचालन करना मजबूरी है। और वो भी उस दरम्यान जब गण्डक में जलस्तर का आंकड़ा प्रशासन से छुपा नही है। बावजूद इसके प्रशासन ना तो गैर अनुबंधित नाव का संचालन रोक रही और ना ही उनके लिए सरकारी नावों की व्यवस्था ही कर रही।


Conclusion:लगातार हो रही बारिश से गण्डक अपना विकराल रूप धारण की हुई है। ऐसे में प्रशासन द्वारा नावों के अवैध परिचालन पर उदासीन रवैया अपनाना किसी बड़ी घटना को न्योता दे रहा। हालात तो ये हैं कि बाढ़ जैसे हालात से निपटने के लिए प्रशासन के पास खुद के नाव की भी व्यवस्था नही है, उसे भी इन गैर अनुबंधित नावों का ही सहारा ले कर अपना काम निकालना पड़ेगा।
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