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Bagaha News: आदिवासी समुदाय और मुखिया समर्थक आमने-सामने, बैराटी मेला विवाद का मामला गरमाया

बिहरा के बगहा में बैराटी मेला विवाद (Bairati Mela Controversy in Bagaha) का मामला बढ़ता जा रहा है. इसे लेकर आदिवासी समुदाय और मुखिया समर्थक एक-दूसरे के सामने खड़े हैं. विवाद इतना गरमा गया कि मेले को समय से पहले ही बंद करने का फैसला किया गया है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

बगहा में विवाद
बगहा में विवाद
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Published : Apr 3, 2023, 4:13 PM IST

बगहा में बैराटी मेला विवाद

बगहा: बिहार के बगहा स्थित चिउटाहा थाना अंतर्गत वैरागी सोनवर्षा के बैराट माई देवी स्थान मेला (Bairat Mai Devi Sthan Mela) का मामला तूल पकड़ने लगा है. दरअसल इस विवाद में मुखिया समर्थक और आदिवासी समुदाय आमने-सामने आ गए हैं. आदिवासियों का आरोप है कि मुखिया द्वारा साजिश के तहत पूरे आदिवासी समुदाय को बदनाम किया जा रहा है और मामूली विवाद को नक्सली रंग दिया जा रहा है. आदिवासी समुदाय ने बैठक कर प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की है.

पढ़ें-बगहा में पुलिस टीम पर हमला: जमीन विवाद का सुलह कराने गई पुलिस से भिड़े लोग, जमादार की फाड़ी वर्दी


दोनों आमने-सामने: बैराट देवी स्थान मेले में मुखिया पर गोली चलाए जाने के मामले को लेकर आदिवासी समुदाय के लोगों ने बैठक की. इस बैठक में गुमास्ता समेत अन्य पंचायतों के मुखिया और आदिवासी समुदाय के लोग शामिल हुए. उन्होंने बताया की मेला में मुखिया और उनके समर्थकों द्वारा वाहन जाम हटाने के क्रम में एक टेंपू को पलटा दिया गया. मुखिया द्वारा टेंपू पलटाए जाने के बाद विवाद शुरू हुआ और फिर यह मारपीट तक पहुंच गया. जिसमें तीन मुखिया समर्थक घायल हो गए. जिसके बाद मुखिया ने आरोप लगाया कि आदिवासी बहुल गांव हसनापुर के उरांव समाज के लोगों ने गोली चलाई जिसमें वह बाल बाल बच गए. इसको लेकर अब मुखिया समर्थक और आदिवासी समुदाय आमने सामने आ गए हैं.


मेला बंद होने से लाखों का नुकसान: आदिवासी समुदाय का कहना है कि मुखिया पर गोली किसी ने नहीं चलाई है. उनके समुदाय बहुल लोगों को बदनाम करने के लिए साजिश रची गई है. आदिवासियों ने बैठक करने के बाद बताया कि किसी एक के दोषी होने पर पूरे समाज पर कीचड़ उछालना गलत है. मुखिया इसको नक्सली हमले का रंग रूप देकर माहौल बिगड़ना चाहते हैं. बता दें की मेला विवाद इतना गहरा गया है कि 15 दिनों तक चलने वाले मेला को समय से पहले हीं बंद कर दिया गया. जिससे दुकानदारों को भारी नुकसान हुआ है. दुकानदारों में खासकर होटल संचालकों ने बताया कि अचानक मेला बंद कराने से लाखों का कच्चा माल बर्बाद हो गया जिसकी भरपाई कब होगी कोई अंदाजा नहीं है.

आदिवासी समुदाय की प्रशासन से गुहार: आदिवासी समुदाय का यह भी कहना है कि मुखिया समर्थकों द्वारा जबरन मेला बंद कराने से गरीब व्यवसाईयों को भारी क्षति हुई है. आदिवासी समुदाय ने पुलिस प्रशासन से गुहार लगाते हुए निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई की मांग की है. मामले में एसपी किरण कुमार गोरख जाधव ने बताया कि दोनों पक्ष की तरफ से केस हुआ है. मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है. एएसपी ऑपरेशन समेत थानाध्यक्ष और डीएसपी मामले की जांच कर रहे हैं. मेले में टेंपू पलटाने का विवाद हुआ था जिसमें गोली चलने की बात सामने आई है. लिहाजा पूरी निष्पक्षता से जांच कर कार्रवाई की जाएगी.

"दोनों पक्ष की तरफ से केस हुआ है. मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है. एएसपी ऑपरेशन समेत थानाध्यक्ष और डीएसपी मामले की जांच कर रहे हैं. मेले में टेंपू पलटाने का विवाद हुआ था जिसमें गोली चलने की बात सामने आई है. लिहाजा पूरी निष्पक्षता से जांच कर कार्रवाई की जाएगी."- किरण कुमार गोरख जाधव, एसपी

बगहा में बैराटी मेला विवाद

बगहा: बिहार के बगहा स्थित चिउटाहा थाना अंतर्गत वैरागी सोनवर्षा के बैराट माई देवी स्थान मेला (Bairat Mai Devi Sthan Mela) का मामला तूल पकड़ने लगा है. दरअसल इस विवाद में मुखिया समर्थक और आदिवासी समुदाय आमने-सामने आ गए हैं. आदिवासियों का आरोप है कि मुखिया द्वारा साजिश के तहत पूरे आदिवासी समुदाय को बदनाम किया जा रहा है और मामूली विवाद को नक्सली रंग दिया जा रहा है. आदिवासी समुदाय ने बैठक कर प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की है.

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दोनों आमने-सामने: बैराट देवी स्थान मेले में मुखिया पर गोली चलाए जाने के मामले को लेकर आदिवासी समुदाय के लोगों ने बैठक की. इस बैठक में गुमास्ता समेत अन्य पंचायतों के मुखिया और आदिवासी समुदाय के लोग शामिल हुए. उन्होंने बताया की मेला में मुखिया और उनके समर्थकों द्वारा वाहन जाम हटाने के क्रम में एक टेंपू को पलटा दिया गया. मुखिया द्वारा टेंपू पलटाए जाने के बाद विवाद शुरू हुआ और फिर यह मारपीट तक पहुंच गया. जिसमें तीन मुखिया समर्थक घायल हो गए. जिसके बाद मुखिया ने आरोप लगाया कि आदिवासी बहुल गांव हसनापुर के उरांव समाज के लोगों ने गोली चलाई जिसमें वह बाल बाल बच गए. इसको लेकर अब मुखिया समर्थक और आदिवासी समुदाय आमने सामने आ गए हैं.


मेला बंद होने से लाखों का नुकसान: आदिवासी समुदाय का कहना है कि मुखिया पर गोली किसी ने नहीं चलाई है. उनके समुदाय बहुल लोगों को बदनाम करने के लिए साजिश रची गई है. आदिवासियों ने बैठक करने के बाद बताया कि किसी एक के दोषी होने पर पूरे समाज पर कीचड़ उछालना गलत है. मुखिया इसको नक्सली हमले का रंग रूप देकर माहौल बिगड़ना चाहते हैं. बता दें की मेला विवाद इतना गहरा गया है कि 15 दिनों तक चलने वाले मेला को समय से पहले हीं बंद कर दिया गया. जिससे दुकानदारों को भारी नुकसान हुआ है. दुकानदारों में खासकर होटल संचालकों ने बताया कि अचानक मेला बंद कराने से लाखों का कच्चा माल बर्बाद हो गया जिसकी भरपाई कब होगी कोई अंदाजा नहीं है.

आदिवासी समुदाय की प्रशासन से गुहार: आदिवासी समुदाय का यह भी कहना है कि मुखिया समर्थकों द्वारा जबरन मेला बंद कराने से गरीब व्यवसाईयों को भारी क्षति हुई है. आदिवासी समुदाय ने पुलिस प्रशासन से गुहार लगाते हुए निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई की मांग की है. मामले में एसपी किरण कुमार गोरख जाधव ने बताया कि दोनों पक्ष की तरफ से केस हुआ है. मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है. एएसपी ऑपरेशन समेत थानाध्यक्ष और डीएसपी मामले की जांच कर रहे हैं. मेले में टेंपू पलटाने का विवाद हुआ था जिसमें गोली चलने की बात सामने आई है. लिहाजा पूरी निष्पक्षता से जांच कर कार्रवाई की जाएगी.

"दोनों पक्ष की तरफ से केस हुआ है. मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है. एएसपी ऑपरेशन समेत थानाध्यक्ष और डीएसपी मामले की जांच कर रहे हैं. मेले में टेंपू पलटाने का विवाद हुआ था जिसमें गोली चलने की बात सामने आई है. लिहाजा पूरी निष्पक्षता से जांच कर कार्रवाई की जाएगी."- किरण कुमार गोरख जाधव, एसपी

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