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बेतिया: कार्रवाई नहीं होने से नाराज CPI(M) कार्यकर्ताओं ने किया प्रदर्शन, पुलिस पर लगाया पक्षपात का आरोप

बेतिया के महादेवा में 107 आदिवासियों के घर उजाड़ने और आगजनी की प्राथमिकी दर्ज नहीं से लोगों में आक्रोश दिख रहा है. इसी क्रम में भाकपा माले कार्यकर्ताओं ने न्याय यात्रा निकाली और इंसाफ की मांग की.

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Published : Sep 22, 2020, 7:43 PM IST

बेतिया(वाल्मीकिनगर): जिले के वाल्मीकिनगर विधानसभा क्षेत्र स्थित महादेवा गांव के 107 दलित आदिवासी परिवारों के घर उजाड़ने और आगजनी करने के मामले को लेकर लोगों में गुस्सा दिख रहा है. उन्होंने पुलिस के पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया. पुलिसिया कार्रवाई से नाराज पीड़ितों ने भाकपा माले के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए.

भाकपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर आरोपियों से मिली-भगत कर प्राथमिकी दर्ज नहीं करने का आरोप लगाया. साथ ही पीड़ितों को इंसाफ नहीं मिलने पर आंदोलन की चेतावनी दी. दरअसल, बगहा दो प्रखंड के महादेवा गांव के 107 दलित आदिवासी परिवारों की लूट, आगजनी और उजाड़ कांड के प्रतिवाद में पीड़ित परिवारों के साथ बड़ी संख्या में लोगों ने दलित आदिवासी ने मंगलवार को न्याय मार्च निकाला.

पीड़ितों ने बताई आपबीती
पीड़ितों ने बताया कि महादेवा, कलवरिनिया डीह टोला के दलित आदिवासी टोले में बेखौफ तरीके से लूट ,आगजनी और अपहरण कांड सोमवार को किया गया. पीड़ित परिवार जब नजदीकी लौकरिया थाना पहुंचे. तब थानाध्यक्ष ने यह कह कर लोगों को लौटा दिया कि मामला उनके थानाक्षेत्र का नहीं है. इसी प्रकार विगत कुछ वर्ष पहले एक युवक के अपहरण के मामले में भी पुलिस का रवैया ऐसा ही था. जिसमें अपहृत युवक के परिजनों को तीनों थानों का बार बार चक्कर लगाने के कई दिनों बाद प्राथमिकी दर्ज हुई थी. परिणाम स्वरूप कटहरवा गोली काण्ड में 6 छात्र युवाओं की जान चली गई थी.

सरकार के इशारे पर हो रहे अपराध
दलित आदिवासी न्याय मार्च को सम्बोधित करते हुए भाकपा-माले केन्द्रीय कमेटी सदस्य वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि महादेवा कलवरिनिया डीह टोला की घटना भाजपा-जदयू सरकार के संरक्षण में सामंती अपराधी पुलिस गठजोड़ की साजिश के तहत हुई है. जिसके चलते अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी है. माले नेता ने चुनाव पूर्व बेला में अब तक इतनी बड़ी घटना में पुलिस प्रशासन के द्वारा कोई कदम नहीं उठाए जाने की निन्दा की. साथ ही पुलिस की इस भूमिका को भाजपा-जदयू के पक्ष में बताया. उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया और चुनाव आयोग से इसमें लिप्त पुलिस प्रशासन पर लगाम लगाने की अपील की.

मुआवजे की मांग
माले नेता ने आगे कहा कि भाजपा-जदयू सरकार द्वारा ऐसी घटनाओं के संरक्षण ने बिहार को दलित आदिवासी उत्पीड़न के बर्बर आतंक राज में तब्दील कर दिया है. सरकार दलितों आदिवासियों, गरीब व कमजोर लोगों के जान माल की सुरक्षा नहीं कर पा रही है. मार्च को सम्बोधित करते हुए भाकपा-माले के लोकप्रिय नेता कामरेड परशुराम यादव ने पुलिस प्रशासन से महादेवा कलवरिनिया डीह टोला लूट, आगजनी, अपहरण, और उजाड़ कांड के तमाम दोषियों को गिरफतार करने, लूट और नष्ट सामानों का मुआवजा देने, वहां के दलितों आदिवासियों की गैरमजरुआ जमीन पर पर्चा देने, गरीबों का पक्का मकान देने जैसी कई अन्य मांग की.

बेतिया(वाल्मीकिनगर): जिले के वाल्मीकिनगर विधानसभा क्षेत्र स्थित महादेवा गांव के 107 दलित आदिवासी परिवारों के घर उजाड़ने और आगजनी करने के मामले को लेकर लोगों में गुस्सा दिख रहा है. उन्होंने पुलिस के पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया. पुलिसिया कार्रवाई से नाराज पीड़ितों ने भाकपा माले के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए.

भाकपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर आरोपियों से मिली-भगत कर प्राथमिकी दर्ज नहीं करने का आरोप लगाया. साथ ही पीड़ितों को इंसाफ नहीं मिलने पर आंदोलन की चेतावनी दी. दरअसल, बगहा दो प्रखंड के महादेवा गांव के 107 दलित आदिवासी परिवारों की लूट, आगजनी और उजाड़ कांड के प्रतिवाद में पीड़ित परिवारों के साथ बड़ी संख्या में लोगों ने दलित आदिवासी ने मंगलवार को न्याय मार्च निकाला.

पीड़ितों ने बताई आपबीती
पीड़ितों ने बताया कि महादेवा, कलवरिनिया डीह टोला के दलित आदिवासी टोले में बेखौफ तरीके से लूट ,आगजनी और अपहरण कांड सोमवार को किया गया. पीड़ित परिवार जब नजदीकी लौकरिया थाना पहुंचे. तब थानाध्यक्ष ने यह कह कर लोगों को लौटा दिया कि मामला उनके थानाक्षेत्र का नहीं है. इसी प्रकार विगत कुछ वर्ष पहले एक युवक के अपहरण के मामले में भी पुलिस का रवैया ऐसा ही था. जिसमें अपहृत युवक के परिजनों को तीनों थानों का बार बार चक्कर लगाने के कई दिनों बाद प्राथमिकी दर्ज हुई थी. परिणाम स्वरूप कटहरवा गोली काण्ड में 6 छात्र युवाओं की जान चली गई थी.

सरकार के इशारे पर हो रहे अपराध
दलित आदिवासी न्याय मार्च को सम्बोधित करते हुए भाकपा-माले केन्द्रीय कमेटी सदस्य वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि महादेवा कलवरिनिया डीह टोला की घटना भाजपा-जदयू सरकार के संरक्षण में सामंती अपराधी पुलिस गठजोड़ की साजिश के तहत हुई है. जिसके चलते अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी है. माले नेता ने चुनाव पूर्व बेला में अब तक इतनी बड़ी घटना में पुलिस प्रशासन के द्वारा कोई कदम नहीं उठाए जाने की निन्दा की. साथ ही पुलिस की इस भूमिका को भाजपा-जदयू के पक्ष में बताया. उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया और चुनाव आयोग से इसमें लिप्त पुलिस प्रशासन पर लगाम लगाने की अपील की.

मुआवजे की मांग
माले नेता ने आगे कहा कि भाजपा-जदयू सरकार द्वारा ऐसी घटनाओं के संरक्षण ने बिहार को दलित आदिवासी उत्पीड़न के बर्बर आतंक राज में तब्दील कर दिया है. सरकार दलितों आदिवासियों, गरीब व कमजोर लोगों के जान माल की सुरक्षा नहीं कर पा रही है. मार्च को सम्बोधित करते हुए भाकपा-माले के लोकप्रिय नेता कामरेड परशुराम यादव ने पुलिस प्रशासन से महादेवा कलवरिनिया डीह टोला लूट, आगजनी, अपहरण, और उजाड़ कांड के तमाम दोषियों को गिरफतार करने, लूट और नष्ट सामानों का मुआवजा देने, वहां के दलितों आदिवासियों की गैरमजरुआ जमीन पर पर्चा देने, गरीबों का पक्का मकान देने जैसी कई अन्य मांग की.

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