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बेतिया: अधूरे पुल ने राशन पाने की दूरी और बढ़ाई, जानिए यहां के लोगों की 'दर्दभरी कहानी' - वाल्मीकिनगर में नहीं हुआ पुल का निर्माण

वाल्मीकिनगर के एक गांव में कई वर्षों से पुल का निर्माण नहीं किया गया है. जिसकी वजह से लोगों को राशन लाने में काफी परेशानी होती है.

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बेतिया में कई वर्षों से नहीं हुआ पुल का निर्माण
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Published : Jul 7, 2020, 6:56 PM IST

बेतिया: वाल्मीकिनगर विधानसभा क्षेत्र के नया गांव रामपुरवा पंचायत के पिपरा धीरोली गांव के लोगों को इस लॉकडाउन के दौरान काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. इसकी वजह यह है कि गांव के बीच में निर्माणाधीन पुल कई वर्षों से अधूरा पड़ा हुआ है. इससे लोगों को आवागमन में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.

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ट्रैक्टर से राशन लाने जाते लोग

पुल का नहीं हुआ निर्माण
ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में गांव में ही पैक्स के माध्यम से राशन का वितरण होता था, लेकिन लॉकडाउन शुरू होते ही इस गांव का राशन दूसरे डीलर के पास टैग कर दिया गया. दोनों गांव से सीधे दूरी 4 किमी है. इसमें बीच में एक नदी बहती है. इस पर कई वर्षों से पुल का निर्माण हो रहा है, लेकिन अभी पूरा नहीं हुआ है.

राशन पहुंचाने की व्यवस्था
इसकी वजह से लोगों को 4 किमी के स्थान पर दूसरे रास्ते से 22 किमी दूरी तय करके राशन लेने जाना पड़ता है. इसके लिए गांव के लोग भाड़ा पर ट्रैक्टर करते हैं. इस मामले पर प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी राजीव रंजन ने बताया कि अगर ऐसी समस्या है, तो उसकी जांच कर गांव तक राशन पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी.

बेतिया: वाल्मीकिनगर विधानसभा क्षेत्र के नया गांव रामपुरवा पंचायत के पिपरा धीरोली गांव के लोगों को इस लॉकडाउन के दौरान काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. इसकी वजह यह है कि गांव के बीच में निर्माणाधीन पुल कई वर्षों से अधूरा पड़ा हुआ है. इससे लोगों को आवागमन में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.

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ट्रैक्टर से राशन लाने जाते लोग

पुल का नहीं हुआ निर्माण
ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में गांव में ही पैक्स के माध्यम से राशन का वितरण होता था, लेकिन लॉकडाउन शुरू होते ही इस गांव का राशन दूसरे डीलर के पास टैग कर दिया गया. दोनों गांव से सीधे दूरी 4 किमी है. इसमें बीच में एक नदी बहती है. इस पर कई वर्षों से पुल का निर्माण हो रहा है, लेकिन अभी पूरा नहीं हुआ है.

राशन पहुंचाने की व्यवस्था
इसकी वजह से लोगों को 4 किमी के स्थान पर दूसरे रास्ते से 22 किमी दूरी तय करके राशन लेने जाना पड़ता है. इसके लिए गांव के लोग भाड़ा पर ट्रैक्टर करते हैं. इस मामले पर प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी राजीव रंजन ने बताया कि अगर ऐसी समस्या है, तो उसकी जांच कर गांव तक राशन पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी.

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