बगहा: पश्चिमी चंपारण जिले के भितहा प्रखंड में फर्जी निवास प्रमाण पत्र निर्गत करने का एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. दरअसल शिक्षक बहाली में बिहार के अभ्यर्थियों को आरक्षण मिलने और दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलने का नियम लागू होने के बाद यूपी के शिक्षक अभ्यर्थी बिहार में अपना निवास प्रमाण पत्र बनवा रहे हैं और वह भी फर्जी तरीके से.
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यूपी के शिक्षक अभ्यर्थियों ने बनवाए फर्जी प्रमाण पत्र: बिहार छोड़कर अन्य राज्यों के सभी आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी सामान्य मेधा सूची में ही शामिल होंगे. इसी को लेकर यूपी के दुधही निवासी जयप्रकाश वर्मा व अनिल वर्मा का भितहा अंचल कार्यालय से निवास प्रमाण पत्र निर्गत हुआ है, जबकि इन दोनों के नाम से ना तो निवास प्रमाण पत्र वाले गांव में जमीन है और ना ही इनका वहां घर है.
बीएलओ व भितहा सीओ पर ग्रामीणों का आरोप: इस मामले का खुलासा तब हुआ जब भुईधरवा पंचायत निवासी दिग्विजय तिवारी, उदय कुर्मी, राजकुमार यादव, शेषनाथ पटेल, बीरेंद्र गुप्ता, संजय यादव इत्यादि ने इस मामले में डीएम को आवेदन लिखा और बताया कि भुईधरवा पंचायत के हल्का कर्मचारी व इनके प्राइवेट अटॉर्नी समेत बीएलओ व भितहा सीओ द्वारा फर्जी तरीके से निवास प्रमाण पत्र निर्गत किया गया है, जिसकी जांच होनी चाहिए.
"उत्तर प्रदेश के कई लोगों का निवास प्रमाण पत्र बनाया गया है. ये वैसे लोग हैं जो यहां निवास नहीं करते हैं. उनको हम जानते भी नहीं है. इस बात को हमने प्रमाणित कर डीएम से शिकायत की. डीएम ने जांच की जिम्मेदारी एसडीओ को दी और एसडीओ ने जांच की जिम्मेदारी उसी सीओ को दे दी जिन पर आरोप था. समझिए किस तरह की जांच हो रही है. फिर से हमने आवेदन दिया तब जाकर एलआरडीसी बगहा को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया है."- दिग्विजय तिवारी, शिकायतकर्ता
भूईधरवा के वार्ड नंबर 6 से निवास प्रमाण पत्र निर्गत: ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत राज भूईधरवा के वार्ड नंबर 6 से निवास प्रमाण पत्र निर्गत किया गया है, जबकि किसी भी वार्ड में ना तो इनकी जमीन है और ना हीं किसी तरह का घर. ये दोनों सगे भाई यूपी के कुशीनगर जिला में दुदही के निवासी हैं. आरोप है कि इन लोगों ने रिश्वत देकर भितहा अंचल के भुईधरवा का अवैध निवास प्रमाण पत्र निर्गत करा लिया है. इसमें से एक भाई अनिल वर्मा गोपालगंज जिला में शिक्षक पद पर कार्यरत हैं.
"उत्तर प्रदेश के लोगों का भितहा सीओ द्वारा फर्जी प्रमाण पत्र बनाया जा रहा है.उसका लाभ सरकारी नौकरी के लिए लिया जा रहा है. सीओ द्वारा मोटी रकम लेकर फर्जी प्रमाण पत्र बनाया जा रहा है. हम उम्मीद करते हैं कि बिहार के लोगों को सरकारी नौकरी मिले."-रविंद्र मिश्रा, स्थानीय ग्रामीण
पहले आरोपी सीओ को दिया गया था जांच का जिम्मा: हालांकि जब इस मामले की शिकायत डीएम को मिली तो उन्होंने एसडीएम बगहा को जांच कराने का निर्देश दिया, लेकिन हैरत की बात यह है की एसडीएम ने इस मामले की जांच उसी सीओ को दी जिस पर नजराना लेकर निवास प्रमाण पत्र निर्गत करने का आरोप है. लिहाजा दोबारा शिकायतकर्ताओं ने डीएम से मुलाकात की और पूरा मामला बताया. जिसके बाद एलआरडीसी को मामले की जांच दी गई है.
अधिकारियों ने मामले में साधी चुप्पी: इधर भितहा सीओ अबू अफसर से जब इस मामले पर बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने सक्षम पदाधिकारी नहीं होने की बात कही और मामले से कन्नी काटते नजर आए. उन्होंने कहा कि "राजस्व कर्मचारी के प्रतिवेदन के आधार पर ही निवास प्रमाण पत्र निर्गत किया जाता है. सब कुछ ऑनलाइन होता है तो गलत होने का सवाल ही नहीं उठता है."
सरकारी नौकरी के लिए फर्जी प्रमाण पत्र बनाने का खेल: बता दें कि इस मामले से जुड़ा एक ऑडियो भी वायरल हो रहा है जिस ऑडियो में कर्मचारी के अटॉर्नी द्वारा किसी अन्य शिक्षक अभ्यर्थी का निवास प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पहले एडवांस रकम देने की बात की जा रही है. इस बाबत पूछने पर भी भितहा के अंचल अधिकारी अबु अफसर ने सफाई देते हुए कहा कि इसका क्या प्रमाण है कि ऑडियो में बात कर रहा व्यक्ति किसी का अटॉर्नी है.
प्रशासनिक महकमे में हड़कंप: फिलहाल भूईधरवा पंचायत में फर्जी निवास प्रमाण पत्र का मामला काफी गरम है और प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मचा है. यहां के कुल 10 वार्ड सदस्यों में से 7 वार्ड सदस्यों और बीडीसी ने यह प्रमाणित कर डीएम को दिया है कि उक्त निर्गत निवास प्रमाण पत्र के लोगों का इस पंचायत में निवास स्थान नहीं है. ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासनिक जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो पाता है या नहीं. क्योंकि शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि इसके लिए मोटी रकम ली गई है.