बेतिया: जिले के वाल्मीकिनगर स्थित गंडक बराज के फाटकों को बाढ़ आने के भय से पहले दुरुस्त कर लिया गया है. विभाग ने इस वर्ष बराज के 7 फाटकों को बदल दिया है, जबकि 3 फाटकों को बरसात बाद बदलने की योजना है. पिछले वर्ष के बरसात में गंडक बराज के दो फाटक बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे. जिस वजह से शहर पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा था.
जल संसाधन विभाग के मेकैनिकल डिवीजन ने इस वर्ष बरसात के पहले ही फाटकों को बदल दिया है. गौरतलब है कि जब नेपाल में ज्यादा बारिश होती है तो गंडक नदी अपने उफान पर होती है. नेपाल से बरसात के समय में 4 लाख से 5 लाख क्यूसेक तक पानी छोड़ा जाता है. जिस वजह से गंडक नदी अपना विकराल रूप धारण कर लेती है.
बरसात के समय बन जाती है भयावह स्थिति
बरसात के समय मे बराज के फाटकों पर दबाव बढ़ जाता है. पिछले साल चर्चा तो यहां तक शुरू हो गई थी कि विभाग की लापरवाही के कारण से कोसी बराज जैसी घटना दोबारा न हो जाए. यही वजह है कि पिछले वर्ष की बरसात से सीख लेकर विभाग ने एहतियात के तौर पर फाटकों को दुरुस्त करने को प्राथमिकता दी. जल संसाधन विभाग के मुख्य अधीक्षण अभियंता नंदलाल झा के अनुसार इस वर्ष 36 में से 7 फाटक बदल दिए गए हैं. जो थोड़े बहुत खराब थे, उनकी रिपेयरिंग जल संसाधन विभाग के मेकैनिकल डिवीजन ने करा दी है.
नेपाल और भारत के मैत्री का परिचायक है यह पुल
नेपाल के राजा महाराजा वीरेंद्र वीर विक्रम शाह और जवाहर लाल नेहरू के समय में दो पड़ोसी देशों के बीच परस्पर बेहतर सम्बंध को लेकर यह पुल बनवाया गया था. नेपाल और भारत के लोगों के लिए यह पुल लाइफ लाइन माना जाता है. ऐसे में बराज का रख-रखाव हमेशा से सरकार के लिए चुनौती रहा है.