ETV Bharat / state

बाढ़ से निबटने के लिए सरकार सतर्क, बरसात से पहले बराज डैम फाटकों की मरम्मत पूरी

नेपाल से बरसात के समय में 4 लाख से 5 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जाता है. जिस वजह से गंडक नदी अपना विकराल रूप धारण कर लेती है.

गंडक बराज
author img

By

Published : Jun 12, 2019, 10:22 PM IST

बेतिया: जिले के वाल्मीकिनगर स्थित गंडक बराज के फाटकों को बाढ़ आने के भय से पहले दुरुस्त कर लिया गया है. विभाग ने इस वर्ष बराज के 7 फाटकों को बदल दिया है, जबकि 3 फाटकों को बरसात बाद बदलने की योजना है. पिछले वर्ष के बरसात में गंडक बराज के दो फाटक बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे. जिस वजह से शहर पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा था.

जल संसाधन विभाग के मेकैनिकल डिवीजन ने इस वर्ष बरसात के पहले ही फाटकों को बदल दिया है. गौरतलब है कि जब नेपाल में ज्यादा बारिश होती है तो गंडक नदी अपने उफान पर होती है. नेपाल से बरसात के समय में 4 लाख से 5 लाख क्यूसेक तक पानी छोड़ा जाता है. जिस वजह से गंडक नदी अपना विकराल रूप धारण कर लेती है.

जानकारी देते अभियंता

बरसात के समय बन जाती है भयावह स्थिति
बरसात के समय मे बराज के फाटकों पर दबाव बढ़ जाता है. पिछले साल चर्चा तो यहां तक शुरू हो गई थी कि विभाग की लापरवाही के कारण से कोसी बराज जैसी घटना दोबारा न हो जाए. यही वजह है कि पिछले वर्ष की बरसात से सीख लेकर विभाग ने एहतियात के तौर पर फाटकों को दुरुस्त करने को प्राथमिकता दी. जल संसाधन विभाग के मुख्य अधीक्षण अभियंता नंदलाल झा के अनुसार इस वर्ष 36 में से 7 फाटक बदल दिए गए हैं. जो थोड़े बहुत खराब थे, उनकी रिपेयरिंग जल संसाधन विभाग के मेकैनिकल डिवीजन ने करा दी है.

नेपाल और भारत के मैत्री का परिचायक है यह पुल
नेपाल के राजा महाराजा वीरेंद्र वीर विक्रम शाह और जवाहर लाल नेहरू के समय में दो पड़ोसी देशों के बीच परस्पर बेहतर सम्बंध को लेकर यह पुल बनवाया गया था. नेपाल और भारत के लोगों के लिए यह पुल लाइफ लाइन माना जाता है. ऐसे में बराज का रख-रखाव हमेशा से सरकार के लिए चुनौती रहा है.

बेतिया: जिले के वाल्मीकिनगर स्थित गंडक बराज के फाटकों को बाढ़ आने के भय से पहले दुरुस्त कर लिया गया है. विभाग ने इस वर्ष बराज के 7 फाटकों को बदल दिया है, जबकि 3 फाटकों को बरसात बाद बदलने की योजना है. पिछले वर्ष के बरसात में गंडक बराज के दो फाटक बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे. जिस वजह से शहर पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा था.

जल संसाधन विभाग के मेकैनिकल डिवीजन ने इस वर्ष बरसात के पहले ही फाटकों को बदल दिया है. गौरतलब है कि जब नेपाल में ज्यादा बारिश होती है तो गंडक नदी अपने उफान पर होती है. नेपाल से बरसात के समय में 4 लाख से 5 लाख क्यूसेक तक पानी छोड़ा जाता है. जिस वजह से गंडक नदी अपना विकराल रूप धारण कर लेती है.

जानकारी देते अभियंता

बरसात के समय बन जाती है भयावह स्थिति
बरसात के समय मे बराज के फाटकों पर दबाव बढ़ जाता है. पिछले साल चर्चा तो यहां तक शुरू हो गई थी कि विभाग की लापरवाही के कारण से कोसी बराज जैसी घटना दोबारा न हो जाए. यही वजह है कि पिछले वर्ष की बरसात से सीख लेकर विभाग ने एहतियात के तौर पर फाटकों को दुरुस्त करने को प्राथमिकता दी. जल संसाधन विभाग के मुख्य अधीक्षण अभियंता नंदलाल झा के अनुसार इस वर्ष 36 में से 7 फाटक बदल दिए गए हैं. जो थोड़े बहुत खराब थे, उनकी रिपेयरिंग जल संसाधन विभाग के मेकैनिकल डिवीजन ने करा दी है.

नेपाल और भारत के मैत्री का परिचायक है यह पुल
नेपाल के राजा महाराजा वीरेंद्र वीर विक्रम शाह और जवाहर लाल नेहरू के समय में दो पड़ोसी देशों के बीच परस्पर बेहतर सम्बंध को लेकर यह पुल बनवाया गया था. नेपाल और भारत के लोगों के लिए यह पुल लाइफ लाइन माना जाता है. ऐसे में बराज का रख-रखाव हमेशा से सरकार के लिए चुनौती रहा है.

Intro:वाल्मीकिनगर स्थित गण्डक बराज के फाटकों को बाढ़ पूर्व दुरुस्त कर लिया गया है। विभाग ने इस वर्ष बराज के 7 फाटकों को बदल दिया है जबकि 3 फाटकों को बरसात बाद बदलने की योजना है। पिछले वर्ष की बरसात में गण्डक बराज के दो फाटक बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे जिस वजह से शहर पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा था।


Body:वाल्मीकिनगर स्थित गण्डक नदी पर 1964 में बने गण्डक बराज पूल के सभी फाटकों को बरसात पूर्व दुरुस्त करने का अधिकारियों ने दावा किया है। जल संसाधन विभाग के मेकैनिकल डिवीजन द्वारा इस वर्ष बरसात पूर्व ही 7 फाटकों को बदल दिया गया है।
गौरतलब हो कि जब नेपाल में ज्यादा बारिश होती है तो गण्डक नदी अपने उफान पर होती है। नेपाल से बरसात के समय मे 4 लाख से 5 लाख क्यूसेक तक पानी छोड़ा जाता है जिस वजह से गण्डक नदी अपना विकराल रूप धारण कर लेती है। बरसात के समय मे बराज के फाटकों पर दबाव बढ़ जाता है। यहीं वजह है कि पिछले वर्ष के बरसात में गण्डक बराज के दो फाटक बुरी तरह डैमेज हो गए थे और क्षेत्र में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा था। चर्चा तो यहाँ तक शुरू हो गई थी कि विभाग की लापरवाही की वजह से कोसी बराज जैसी घटना की पुनरावृत्ति न हो जाये। यही वजह है कि विगत वर्ष का बरसात जैसे बिता विभाग ने एहतियात के तौर पर फाटकों को दुरुस्त करने को प्राथमिकता दी।जल संसाधन विभाग के मुख्य अधीक्षण अभियंता नंदलाल झा के अनुसार इस वर्ष बरसात पूर्व 36 में से 7 फाटक बदल दिए गए हैं और जो थोड़े बहुत खराब थे उनकी रिपेयरिंग जल संसाधन विभाग के मेकैनिकल डिवीजन द्वारा करा दी गई है। बरसात बाद 3 और फाटकों को बदलने की योजना है।


Conclusion:नेपाल के राजा महाराजा वीरेंद्र वीर विक्रम शाह व जवाहर लाल नेहरू के समय में दो पड़ोसी देशों के बीच परस्पर बेहतर सम्बंध को लेकर बनवाया गया यह पूल नेपाल व भारत के लोगों के लिए लाइफ लाइन माना जाता है । ऐसे में बराज का मेंटेनेंस हमेशा से सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण रहता है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.