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मिड-डे-मील में परोसा जा रहा सड़ा भोजन, अधिकारियों ने मूंदी आंखें - मिड-डे-मील

विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावकों का कहना है कि स्कूल में विगत कई दिनों से सड़े हुए चावल और अन्य घटिया स्तर का खाना बनाकर परोसा जा रहा था. इसको लेकर कई बार शिकायत भी की गई. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.

मिड-डे-मील
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Published : Nov 21, 2019, 1:16 PM IST

Updated : Nov 21, 2019, 1:36 PM IST

बेतिया: प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बच्चों को नियमित खाना मिले, इसके लिए मध्याह्न भोजन योजना की शुरुआत की गई थी. लेकिन सरकार की यह महात्कांक्षी योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. ताजा मामला बेतिया के मझौलिया प्रखंड अंतर्गत राजकीय प्राथमिक विद्यालय मुशहर टोली का है. जहां नौनिहालों को मिड-डे-मील में कीड़ा युक्त चावल से बनाया हुआ भोजन परोसा जा रहा है.

चावल को दिखाती स्कूल की रसोईया
चावल को दिखाती स्कूल की रसोईया

'पिछले कई दिनों से बन रहा है सड़ा हुआ चावल'
इस मामले पर विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावकों का कहना है कि स्कूल में विगत कई दिनों से सड़े हुए चावल और अन्य घटिया स्तर का खाना बनाकर परोसा जा रहा था. इसको लेकर कई बार शिकायत भी की गई. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. विभाग इस संबंध में कोई ध्यान नहीं दे रहा है. अगर ऐसे ही चलता रहा तो हम अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगें.

स्कूल में पढ़ने वाले छात्र के अभिभावक
स्कूल में पढ़ने वाले छात्र के अभिभावक

ये भी पढ़ें- नवादा: 'राष्ट्रीय वयोश्री योजना' के तहत बुजुर्गों को दिए जाएंगे कृत्रिम यंत्र, इन जगहों पर लगेगा शिविर

'बहुत जल्द बदला जाएगा चावल'
इस संबंध में विद्यालय के एचएम सीखा कुमारी बताती है कि इस बार स्कूल में आया हुआ चावल बहुत सड़ा हुआ है. इसको खाने से छात्रों को फूड प्वाइजनिंग हो सकता है. इस मामले में शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों को सूचना दे दी गई है. जल्द ही चावल को बदल दिया जाएगा.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

दोषियों पर होगी कार्रवाई- डीईओ
वहीं, इस मामले पर जब ईटीवी भारत की टीम ने जिले के डीईओ हरेंद्र झा से बात कि तो उन्होंने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में आया है. फिलहाल जांच चल रही है. बच्चों के स्वास्थ्य के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा. जांच के बाद दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी.

हरेंद्र झा, डीईओ
हरेंद्र झा, डीईओ

'मीनू के अनुसार भोजन परोसने का है नियम'
गौरतलब है कि मध्याह्न भोजन के तहत जारी नियमों के अनुसार विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को भोजन मीनू के अनुसार दिए जाने से लेकर भोजन परोसने तक की व्यवस्था दी गई है. विद्यालय में माता समितियां गठित है. बच्चों को खाना परोसने से पहले रसोइयां, माता समिति के सदस्य और शिक्षक द्वारा खाने को चखने की व्यवस्था शामिल है. लेकिन ये सभी नियम सरकारी कागजों तक ही सीमित हैं.

विद्यालय की एचएम
विद्यालय की एचएम

क्या है मिड-डे-मील?
मिड-डे-मील मतलब मध्याह्न भोजन योजना भारत सरकार की एक ऐसी योजना है जिसके तहत देश के प्राथमिक-लघु माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों को दोपहर का भोजन निशुल्क प्रदान किया जाता है. इस योजना का उद्देश्य विद्यालयों में छात्रों का नामांकन बढ़ाने और उपस्थिति को लेकर किया गया था.

बेतिया: प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बच्चों को नियमित खाना मिले, इसके लिए मध्याह्न भोजन योजना की शुरुआत की गई थी. लेकिन सरकार की यह महात्कांक्षी योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. ताजा मामला बेतिया के मझौलिया प्रखंड अंतर्गत राजकीय प्राथमिक विद्यालय मुशहर टोली का है. जहां नौनिहालों को मिड-डे-मील में कीड़ा युक्त चावल से बनाया हुआ भोजन परोसा जा रहा है.

चावल को दिखाती स्कूल की रसोईया
चावल को दिखाती स्कूल की रसोईया

'पिछले कई दिनों से बन रहा है सड़ा हुआ चावल'
इस मामले पर विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावकों का कहना है कि स्कूल में विगत कई दिनों से सड़े हुए चावल और अन्य घटिया स्तर का खाना बनाकर परोसा जा रहा था. इसको लेकर कई बार शिकायत भी की गई. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. विभाग इस संबंध में कोई ध्यान नहीं दे रहा है. अगर ऐसे ही चलता रहा तो हम अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगें.

स्कूल में पढ़ने वाले छात्र के अभिभावक
स्कूल में पढ़ने वाले छात्र के अभिभावक

ये भी पढ़ें- नवादा: 'राष्ट्रीय वयोश्री योजना' के तहत बुजुर्गों को दिए जाएंगे कृत्रिम यंत्र, इन जगहों पर लगेगा शिविर

'बहुत जल्द बदला जाएगा चावल'
इस संबंध में विद्यालय के एचएम सीखा कुमारी बताती है कि इस बार स्कूल में आया हुआ चावल बहुत सड़ा हुआ है. इसको खाने से छात्रों को फूड प्वाइजनिंग हो सकता है. इस मामले में शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों को सूचना दे दी गई है. जल्द ही चावल को बदल दिया जाएगा.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

दोषियों पर होगी कार्रवाई- डीईओ
वहीं, इस मामले पर जब ईटीवी भारत की टीम ने जिले के डीईओ हरेंद्र झा से बात कि तो उन्होंने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में आया है. फिलहाल जांच चल रही है. बच्चों के स्वास्थ्य के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा. जांच के बाद दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी.

हरेंद्र झा, डीईओ
हरेंद्र झा, डीईओ

'मीनू के अनुसार भोजन परोसने का है नियम'
गौरतलब है कि मध्याह्न भोजन के तहत जारी नियमों के अनुसार विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को भोजन मीनू के अनुसार दिए जाने से लेकर भोजन परोसने तक की व्यवस्था दी गई है. विद्यालय में माता समितियां गठित है. बच्चों को खाना परोसने से पहले रसोइयां, माता समिति के सदस्य और शिक्षक द्वारा खाने को चखने की व्यवस्था शामिल है. लेकिन ये सभी नियम सरकारी कागजों तक ही सीमित हैं.

विद्यालय की एचएम
विद्यालय की एचएम

क्या है मिड-डे-मील?
मिड-डे-मील मतलब मध्याह्न भोजन योजना भारत सरकार की एक ऐसी योजना है जिसके तहत देश के प्राथमिक-लघु माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों को दोपहर का भोजन निशुल्क प्रदान किया जाता है. इस योजना का उद्देश्य विद्यालयों में छात्रों का नामांकन बढ़ाने और उपस्थिति को लेकर किया गया था.

Intro:मझौलिया प्रखंड के राजकीय प्राथमिक विद्यालय मुशहर टोली विद्यालय में बच्चों के लिए बनाये जा रहे मध्यहान भोजन सड़े हुये और कीड़े युक्त चालव से बनाया जा रहा है और बच्चों को खिलाया जा रहा है, कभी भी बड़ी संख्या में छात्र फूड पवाईजनिंग का शिकार हो सकते है, बता दे कि पिछले एक हप्ते से स्कूल में सड़े हुये चावल से भोजन बनाकर बच्चों के बीच मे खिलाया जा रहा है, विद्यालय के एचएम सिखा कुमारी से पूछने पर बताया कि चावल बहुत सड़ा हुआ है बच्चों को खिलाने से कोई भी हादसा हो सकता है, ऐसे में चावल को बहुत जल्द बदल दिया जायेगा, वही विद्यालय के सचिव का कहना है कि चावल सड़ा हुआ है बच्चों के खाने से कभी भी कोई घटना हो सकती है।






Body:----- मामले में स्कुल के छात्रों के अभिवावकों का कहना है स्कुल में कई दिनों से सड़ा हुआ चावल बन रहा है खाने से बच्चे कभी भी बीमार हो सकते है वहीं जिला शिक्षापदाधिकारी हरेंद्र झा ने बताया है कि मामले की जांच की जा रही है बच्चो के स्वास्थ से खिलवाड़ बर्दाश्त नही की जायेगी दोषियों पर कार्यवाही की जायेगी।Conclusion:ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार सरकार की अति  महत्वकांक्षी योजना मिड़ डे मिल इस विद्यालय में दम तोड़ता नजर आ रहा है,क्योकि विद्यालय में पिछले सात दिन से सड़ा हुआ चावल का उपयोग किया गया है, सूचना मिलने पर मिडिया की टीम ने पहुंचकर प्रधानाध्यपिका से जब बात की तो एचएम ने इसे गम्भीर समस्या बताते हुये सड़ा हुआ चावल को बदलने की बात कही है, उपरवाले कि गनीमत है कि सात दिनों में बच्चें फूड पवाईजनिंग के शिकार नही हुये है, नही तो स्कूल प्रशासन ने छात्रों को सात दिन तक लगातार सड़ा हुआ चावल खिलाने में कोई कोर कसर नही छोडा है।

बाईट---- हरेंद्र झा--- जिला शिक्षा पदाधिकारी
बाईट:-एचएम सिखा कुमारी
बाईट:-सचिव प्रेमी देवी
बाईट-----छात्रों के अभिवावक
पीटीसी
Last Updated : Nov 21, 2019, 1:36 PM IST
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