बेतिया: प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बच्चों को नियमित खाना मिले, इसके लिए मध्याह्न भोजन योजना की शुरुआत की गई थी. लेकिन सरकार की यह महात्कांक्षी योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. ताजा मामला बेतिया के मझौलिया प्रखंड अंतर्गत राजकीय प्राथमिक विद्यालय मुशहर टोली का है. जहां नौनिहालों को मिड-डे-मील में कीड़ा युक्त चावल से बनाया हुआ भोजन परोसा जा रहा है.
'पिछले कई दिनों से बन रहा है सड़ा हुआ चावल'
इस मामले पर विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावकों का कहना है कि स्कूल में विगत कई दिनों से सड़े हुए चावल और अन्य घटिया स्तर का खाना बनाकर परोसा जा रहा था. इसको लेकर कई बार शिकायत भी की गई. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. विभाग इस संबंध में कोई ध्यान नहीं दे रहा है. अगर ऐसे ही चलता रहा तो हम अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगें.
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'बहुत जल्द बदला जाएगा चावल'
इस संबंध में विद्यालय के एचएम सीखा कुमारी बताती है कि इस बार स्कूल में आया हुआ चावल बहुत सड़ा हुआ है. इसको खाने से छात्रों को फूड प्वाइजनिंग हो सकता है. इस मामले में शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों को सूचना दे दी गई है. जल्द ही चावल को बदल दिया जाएगा.
दोषियों पर होगी कार्रवाई- डीईओ
वहीं, इस मामले पर जब ईटीवी भारत की टीम ने जिले के डीईओ हरेंद्र झा से बात कि तो उन्होंने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में आया है. फिलहाल जांच चल रही है. बच्चों के स्वास्थ्य के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा. जांच के बाद दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी.
'मीनू के अनुसार भोजन परोसने का है नियम'
गौरतलब है कि मध्याह्न भोजन के तहत जारी नियमों के अनुसार विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को भोजन मीनू के अनुसार दिए जाने से लेकर भोजन परोसने तक की व्यवस्था दी गई है. विद्यालय में माता समितियां गठित है. बच्चों को खाना परोसने से पहले रसोइयां, माता समिति के सदस्य और शिक्षक द्वारा खाने को चखने की व्यवस्था शामिल है. लेकिन ये सभी नियम सरकारी कागजों तक ही सीमित हैं.
क्या है मिड-डे-मील?
मिड-डे-मील मतलब मध्याह्न भोजन योजना भारत सरकार की एक ऐसी योजना है जिसके तहत देश के प्राथमिक-लघु माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों को दोपहर का भोजन निशुल्क प्रदान किया जाता है. इस योजना का उद्देश्य विद्यालयों में छात्रों का नामांकन बढ़ाने और उपस्थिति को लेकर किया गया था.