ETV Bharat / state

बगहाः आदिवासी महासभा का 34वां स्थापना दिवस, मंत्री रमेश ऋषिदेव और श्रवण कुमार ने किया उद्घाटन

चंपारण आदिवासी महासभा के अध्यक्ष सह जिला पार्षद सुरेंद्र उरांव ने बताया कि 1985 को चम्पारण में आदिवासी महासभा की स्थापना की गई थी.

बगहा
author img

By

Published : Oct 14, 2019, 2:46 PM IST

बगहाः जिले के डढ़िया और रतनपुरवा में आदिवासी महासभा ने अपने 34वें स्थापना के दिवस के मौके पर रविवार को करमा-धरमा उत्सव का आयोजन किया. दोनों ही जगहों पर मंत्री डॉ. रमेश ऋषिदेव और श्रवण कुमार मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे. डढ़िया में कार्यक्रम का उद्घाटन मंत्री श्रवण कुमार ने किया तो वहीं रतनपुरवा में मंत्री डॉ. रमेश ऋषिदेव ने इसका उद्घाटन किया.

1985 में हुई थी स्थापना
इस अवसर पर आदिवासी समाज के लोगों ने पारंपरिक प्रकृति पूजा की. साथ ही वृक्षों और इष्ट देव की भी पूजा की गई. आदिवासी महिलाओं ने करमा-धरमा नृत्य किए. चंपारण आदिवासी महासभा के अध्यक्ष सह जिला पार्षद सुरेंद्र उरांव ने बताया कि 13 अक्टूबर 1985 को चम्पारण में आदिवासी महासभा की स्थापना की गई थी.

पेश है रिपोर्ट

प्रकृति की होती है पूजा
आदिवासी महासभा के अध्यक्ष सुरेंद्र उरांव ने कहा कि इसकी स्थापना के बाद से हर साल इस दिन करमा धरमा उत्सव स्थापना दिवस समारोह के तौर पर मनाया जाता है. इस पूजा का उद्देश्य मनुष्य के कर्म और धर्म के अनुरूप प्रकृति और वृक्ष पूजा कर पर्यावरण संतुलन का संदेश देना है. इस अवसर पर मुख्य रूप से नए अनाज की पैदावार को लेकर प्रकृति की पूजा की जाती है.

बगहाः जिले के डढ़िया और रतनपुरवा में आदिवासी महासभा ने अपने 34वें स्थापना के दिवस के मौके पर रविवार को करमा-धरमा उत्सव का आयोजन किया. दोनों ही जगहों पर मंत्री डॉ. रमेश ऋषिदेव और श्रवण कुमार मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे. डढ़िया में कार्यक्रम का उद्घाटन मंत्री श्रवण कुमार ने किया तो वहीं रतनपुरवा में मंत्री डॉ. रमेश ऋषिदेव ने इसका उद्घाटन किया.

1985 में हुई थी स्थापना
इस अवसर पर आदिवासी समाज के लोगों ने पारंपरिक प्रकृति पूजा की. साथ ही वृक्षों और इष्ट देव की भी पूजा की गई. आदिवासी महिलाओं ने करमा-धरमा नृत्य किए. चंपारण आदिवासी महासभा के अध्यक्ष सह जिला पार्षद सुरेंद्र उरांव ने बताया कि 13 अक्टूबर 1985 को चम्पारण में आदिवासी महासभा की स्थापना की गई थी.

पेश है रिपोर्ट

प्रकृति की होती है पूजा
आदिवासी महासभा के अध्यक्ष सुरेंद्र उरांव ने कहा कि इसकी स्थापना के बाद से हर साल इस दिन करमा धरमा उत्सव स्थापना दिवस समारोह के तौर पर मनाया जाता है. इस पूजा का उद्देश्य मनुष्य के कर्म और धर्म के अनुरूप प्रकृति और वृक्ष पूजा कर पर्यावरण संतुलन का संदेश देना है. इस अवसर पर मुख्य रूप से नए अनाज की पैदावार को लेकर प्रकृति की पूजा की जाती है.

Intro:बगहा के डढ़िया और रतनपुरवा में आदिवासी महासभा द्वारा उनके स्थापना दिवस पर करमा- धरमा उत्सव का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन बिहार सरकार के मंत्री डॉ रमेश ऋषिदेव व श्रवण कुमार ने किया। उत्सव के इस मौके पर आदिवासियों ने अपनी पारम्परिक प्रकृति पूजा अर्चना की।


Body:आदिवासियों के 34 वे स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में बगहा प्रखण्ड 2 के डढ़िया और रतनपुरवा गांव में करमा- धरमा पूजा महोत्सव का आयोजन आदिवासी महासभा द्वारा किया गया। आदिवासी इस पूजा में अपनी परम्परा के मुताबिक वृक्ष व प्रकृति पूजा करते हैं। उराँव महासभा द्वारा आयोजित इस पूजा में परम्पगत संस्कृति की झलक देखने को मिली। आदिवासी महिलाओं ने कर्मा धर्मा नृत्य कर अतिथियों का स्वागत किया और अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना की। चम्पारण आदिवासी महासभा के अध्यक्ष सह जिला पार्षद सुरेंद्र उराँव ने बताया कि 13 अक्टूबर 1985 को चम्पारण में आदिवासी महासभा की स्थापना की गई थी जिसके बाद आज का यह दिन करमा धरमा पूजा महोत्सव स्थापना दिवस समारोह के तौर पर मनाया जाता है। जिसका आज 34 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में यह आयोजन होता आ रहा है। इस पूजा का मुख्य उद्देश्य मनुष्य के कर्म और धर्म के अनुरूप प्रकृति की पूजा और वृक्ष पूजा कर पर्यावरण संतुलन का संदेश देना है। मुख्य तौर पर नए अनाज की पैदावार को लेकर प्रकृति की पूजा कि जाती है।
बाइट- सुरेंद्र उराँव, अध्यक्ष चम्पारण आदिवासी महासभा।


Conclusion:आदिवासियों द्वारा मनाया जाने वाला यह उनका विशेष पर्व है। इस मौके पर क्षेत्र के विधायक, संसद सहित कई मंत्री भी शामिल हुए।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.