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बेतिया: किसानों ने सोलर ऊर्जा से शुरू की खेती, नई मुहिम की चौतरफा हो रही है सराहना

किसानों ने बताया कि सोलर विधि से खेती करने से पर्यावरण प्रदूषण की समस्या नहीं होती है. साथ ही बिजली की भी बचत होती है और डीजल की भी बर्बादी नहीं होती है. वहीं 30 से 35 प्रतिशत तक पानी की बर्बादी भी कम होती है.

farming with solar energy in bettiah
32 किसानों ने मिलकर सोलर ऊर्जा से शुरू की खेती
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Published : Jan 8, 2020, 8:42 AM IST

बेतिया: नौतन प्रखंड के मनियारी झखरा गांव में 32 किसान का समूह सोलर ऊर्जा से सिंचाई कर रहे हैं, जिससे लगभग 30 प्रतिशत पानी की बर्बादी रुक गई है. आज ये किसान 35 एकड़ जमीन में खेती कर रहे हैं. इन किसानों ने अपने समूह का नाम शीतल किसान रखा है. किसान इसके जरिये जल, जीवन और पर्यावरण को बचा रहे हैं.

किसानों की हो रही है सराहना
सोलर पंप से खेती कर रहे किसानों ने 3 हजार फीट अंडरग्राउंड लंबी पाइप लाइन बिछाई है. इसके साथ ही 16 आउटलेट बनाए गए हैं. सोलर पंप लगाने की लागत, आउटलेट और पाइप पर 4 लाख रुपये लगे हैं. इसके साथ ही अन्य खर्च भी 3 लाख रुपये तक आए हैं. यह सारी लागत इन 32 किसानों के समूह ने आपस में चंदा एकत्रित कर दिया है. जिसकी चारों तरफ सराहना हो रही है. क्योंकि चंपारण में इस तरह का प्रयोग करने वाले ये पहले किसान हैं, जिन्होंने बिना किसी सरकारी सहयोग से इस कार्य को अंजाम तक पहुंचाया है. जो कृषि के क्षेत्र में मिसाल बन गई है.

farming with solar energy in bettiah
किसानों ने मिलकर सोलर ऊर्जा से शुरू की खेती

बिजली की होती है बचत
किसानों ने बताया कि सोलर विधि से खेती करने से पर्यावरण और प्रदूषण की समस्या नहीं होती है. साथ ही बिजली की भी बचत होती है और डीजल की भी बर्बादी नहीं होती है. वहीं 30 से 35 प्रतिशत तक पानी की बर्बादी भी कम होती है. उन्होंने बताया कि अंडरग्राउंड खेतों में आउटलेट लगे हुए हैं. जिस खेत को जिस समय पानी चाहिए, वह खेत में ही उपलब्ध है.

देखें ये रिपोर्ट

ये भी पढ़ें: RCP सिंह की अपील- मानव श्रृंखला के बाद सभी लगाएं एक पेड़

सब्जी की खेती के लिए उपयुक्त
इन किसानों की सोलर सिंचाई मॉडल पर बैरिया में भी 24 किसानों का समूह सोलर पंप पर काम कर रहा है. सब्जी की खेती के लिए यह मॉडल काफी उपयुक्त है. जब-जब पानी की जरूरत जितनी मात्रा में चाहिए, बिना किसी लागत के खेत में मिल जाती है. किसानों का कहना है कि इसके जरिये जल की बर्बादी, डीजल की बर्बादी, बिजली की बचत और पर्यावरण प्रदूषण को भी बचाया जा रहा है.

बेतिया: नौतन प्रखंड के मनियारी झखरा गांव में 32 किसान का समूह सोलर ऊर्जा से सिंचाई कर रहे हैं, जिससे लगभग 30 प्रतिशत पानी की बर्बादी रुक गई है. आज ये किसान 35 एकड़ जमीन में खेती कर रहे हैं. इन किसानों ने अपने समूह का नाम शीतल किसान रखा है. किसान इसके जरिये जल, जीवन और पर्यावरण को बचा रहे हैं.

किसानों की हो रही है सराहना
सोलर पंप से खेती कर रहे किसानों ने 3 हजार फीट अंडरग्राउंड लंबी पाइप लाइन बिछाई है. इसके साथ ही 16 आउटलेट बनाए गए हैं. सोलर पंप लगाने की लागत, आउटलेट और पाइप पर 4 लाख रुपये लगे हैं. इसके साथ ही अन्य खर्च भी 3 लाख रुपये तक आए हैं. यह सारी लागत इन 32 किसानों के समूह ने आपस में चंदा एकत्रित कर दिया है. जिसकी चारों तरफ सराहना हो रही है. क्योंकि चंपारण में इस तरह का प्रयोग करने वाले ये पहले किसान हैं, जिन्होंने बिना किसी सरकारी सहयोग से इस कार्य को अंजाम तक पहुंचाया है. जो कृषि के क्षेत्र में मिसाल बन गई है.

farming with solar energy in bettiah
किसानों ने मिलकर सोलर ऊर्जा से शुरू की खेती

बिजली की होती है बचत
किसानों ने बताया कि सोलर विधि से खेती करने से पर्यावरण और प्रदूषण की समस्या नहीं होती है. साथ ही बिजली की भी बचत होती है और डीजल की भी बर्बादी नहीं होती है. वहीं 30 से 35 प्रतिशत तक पानी की बर्बादी भी कम होती है. उन्होंने बताया कि अंडरग्राउंड खेतों में आउटलेट लगे हुए हैं. जिस खेत को जिस समय पानी चाहिए, वह खेत में ही उपलब्ध है.

देखें ये रिपोर्ट

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सब्जी की खेती के लिए उपयुक्त
इन किसानों की सोलर सिंचाई मॉडल पर बैरिया में भी 24 किसानों का समूह सोलर पंप पर काम कर रहा है. सब्जी की खेती के लिए यह मॉडल काफी उपयुक्त है. जब-जब पानी की जरूरत जितनी मात्रा में चाहिए, बिना किसी लागत के खेत में मिल जाती है. किसानों का कहना है कि इसके जरिये जल की बर्बादी, डीजल की बर्बादी, बिजली की बचत और पर्यावरण प्रदूषण को भी बचाया जा रहा है.

Intro:एंकर: नौतन प्रखंड के मनियारी झखरा गांव के 32 किसानों का समूह सोलर ऊर्जा से सिंचाई कर रहे है, जिससे लगभग 30 प्रतिशत पानी की बर्बादी रुक गई है,आज यह किसान 35 एकड़ जमीन पर खेती कर रहे हैं, इन किसानों ने अपने समूह का नाम शीतल किसान रखा है।


Body:सच में किसी ने कहां है जहां चाहे वहां राह है, जी हां 32 किसानों के समूह ने बेतिया में कुछ ऐसा ही कर दिखाया है, सोलर ऊर्जा से जल और जीवन पर्यावरण को बचा रहे हैं, सोलर पंप से खेती कर रहे किसान 3 हजार फीट अंडरग्राउंड लंबी पाइप लाइन को बिछाया है, 16 आउटलेट बनाए गए हैं, सोलर पंप लगाने की लागत आउटलेट व पाइप पर 4 लाख रुपये लगे हैं, तो वहीं अन्य खर्च भी 3 लाख रुपये लगे हुए हैं और इससे भी बढ़कर यह बात है कि यह सारी लागत इन 32 किसानों के समूह ने आपस में चंदा एकत्रित कर इतने बड़े कार्य को अंजाम दिया है, जिसकी चारों तरफ सराहना हो रही है, क्योंकि चंपारण में इस तरह का प्रयोग करने वाले यह पहले किसान है जो बिना किसी सरकारी सहयोग से इस कार्य को अंजाम तक पहुंचाया है, जो कृषि के क्षेत्र में मिसाल बन गया है।


सोलर विधि से खेती करने से पर्यावरण प्रदूषण की समस्या नहीं है, तो दूसरी बात बिजली की बचत भी है, डीजल की बर्बादी नहीं है और तो और 30 से 35 प्रतिशत तक पानी की बर्बादी भी कम है, अंडरग्राउंड खेतों में आउटलेट लगे हुए हैं, जिस खेत को जिस समय पानी चाहिए वह खेत में ही उपलब्ध है, इन किसानों की सोलर सिंचाई मॉडल पर बैरिया में भी 24 किसानों का समूह सोलर पंप पर काम कर रहा है, सब्जी की खेती के लिए मॉडल उपयुक्त है, जब जब पानी की जरूरत जितनी मात्रा में चाहिए बिना किसी लागत के खेत में मिल रहा है, किसानों का कहना है कि जल की बर्बादी, डीजल की बर्बादी, बिजली की बचत और पर्यावरण प्रदूषण को भी बचाया जा रहा है।

बाइट- संजय कुशवाहा, अध्यक्ष, शीतल किसान समूह
बाइट- चंद्रिका यादव, किसान
बाइट - अनिल कुमार, कर्मचारी,दलहन परियोजना


Conclusion:किसानों की इस पहल ने तो मिसाल कायम कर दिया है, बिना किसी सहयोग के इन किसानों ने वह कर दिखाया जो किसी ने सोचा भी नहीं था, तो सच ही किसी ने कहा है जहां चाह वहां राह है, इन 32 किसानों ने वह कर दिखाया है।

जितेंद्र कुमार गुप्ता
ईटीवी भारत बेतिया
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