बेतिया: नौतन प्रखंड के मनियारी झखरा गांव में 32 किसान का समूह सोलर ऊर्जा से सिंचाई कर रहे हैं, जिससे लगभग 30 प्रतिशत पानी की बर्बादी रुक गई है. आज ये किसान 35 एकड़ जमीन में खेती कर रहे हैं. इन किसानों ने अपने समूह का नाम शीतल किसान रखा है. किसान इसके जरिये जल, जीवन और पर्यावरण को बचा रहे हैं.
किसानों की हो रही है सराहना
सोलर पंप से खेती कर रहे किसानों ने 3 हजार फीट अंडरग्राउंड लंबी पाइप लाइन बिछाई है. इसके साथ ही 16 आउटलेट बनाए गए हैं. सोलर पंप लगाने की लागत, आउटलेट और पाइप पर 4 लाख रुपये लगे हैं. इसके साथ ही अन्य खर्च भी 3 लाख रुपये तक आए हैं. यह सारी लागत इन 32 किसानों के समूह ने आपस में चंदा एकत्रित कर दिया है. जिसकी चारों तरफ सराहना हो रही है. क्योंकि चंपारण में इस तरह का प्रयोग करने वाले ये पहले किसान हैं, जिन्होंने बिना किसी सरकारी सहयोग से इस कार्य को अंजाम तक पहुंचाया है. जो कृषि के क्षेत्र में मिसाल बन गई है.
बिजली की होती है बचत
किसानों ने बताया कि सोलर विधि से खेती करने से पर्यावरण और प्रदूषण की समस्या नहीं होती है. साथ ही बिजली की भी बचत होती है और डीजल की भी बर्बादी नहीं होती है. वहीं 30 से 35 प्रतिशत तक पानी की बर्बादी भी कम होती है. उन्होंने बताया कि अंडरग्राउंड खेतों में आउटलेट लगे हुए हैं. जिस खेत को जिस समय पानी चाहिए, वह खेत में ही उपलब्ध है.
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सब्जी की खेती के लिए उपयुक्त
इन किसानों की सोलर सिंचाई मॉडल पर बैरिया में भी 24 किसानों का समूह सोलर पंप पर काम कर रहा है. सब्जी की खेती के लिए यह मॉडल काफी उपयुक्त है. जब-जब पानी की जरूरत जितनी मात्रा में चाहिए, बिना किसी लागत के खेत में मिल जाती है. किसानों का कहना है कि इसके जरिये जल की बर्बादी, डीजल की बर्बादी, बिजली की बचत और पर्यावरण प्रदूषण को भी बचाया जा रहा है.