वैशाली: बिहार के वैशाली के शिव शक्ति नगर कार्यपालक अधिकारी बन गए हैं. बीपीएससी 67वीं परीक्षा में शिव शक्ति को 205वां स्थान हासिल किया है. शिव शक्ति जब 3 वर्ष के थे तभी उनके सिर से पिता रामाशंकर राय का साया उठ गया. इसके बाद पांच बच्चों की जिम्मेवारी उनकी मां कालिंदी देवी के सिर पर आ गई. तीन बहनों के बाद चौथे नंबर पर शिव शक्ति की पढ़ाई पूरी हो सके इसके लिए कालिंदी देवी खेतों में काम करती थी.
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विज्ञापन देखकर पास की बीपीएससी परीक्षा: स्थानीय सरकारी स्कूल से मैट्रिक तक पढ़ाई करने के बाद गरीबी में शिव शक्ति दिल्ली कमाने चले गए. जहां वह एक निजी कंपनी में 33 सौ के महीने पर काम करने लगे. लगभग तीन वर्षों बाद जब वह गांव आया तो उसने इंटर की पढ़ाई की और फिर वापस दिल्ली काम पर लौट गए. जहां उन्होंने ऑटो से जाते समय मेट्रो रेल के पाया पर एक विज्ञापन देखा. जिस पर लिखा था यूपीएससी की तैयारी यहां होती है. शिव शक्ति ने टेंपो चला रहे अपने चचेरे भाई से पूछा यह यूपीएससी क्या होता है. जवाब मिला इससे इंसान प्रशासनिक अधिकारी बनता है और लोगों की सेवा करता है.
5वें अटेम्प्ट में निकाला बीपीएससी: शिव शक्ति जब भी अपने घर से फैक्ट्री जाते थे तो रास्ते में उसे यूपीएससी का विज्ञापन दिखता था. बार-बार एक ही विज्ञापन को देखकर उन्होंने मन में यूपीएससी करने की ठान ली. इसके बाद शिव शक्ति ने इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया और यूपीएससी की तैयारी में जुट गए. यूपीएससी तो नहीं पास कर सके लेकिन 5वें अटेम्प्ट में उसने बीपीएससी जरूर पास कर लिया, जिसमे उसका 205वां रैंक है और अव वो नगर कार्यपालक अधिकारी बनेंगे.
हर कदम पर मिला मां का साथ: शिव शक्ति अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां को देते हैं. अपने इंटरव्यू में भी शिव शक्ति अपनी मां के साथ गए थे और रिजल्ट आने के बाद भी पटना बीपीएससी कार्यालय अपनी मां के साथ ही गए. इस विषय में फोन लाइन पर शिव शक्ति ने बताया कि उनकी मां उनकी प्रेरणा है और वो अपनी सफलता मां को समर्पित करते हैं. विकट परिस्थिति में उनकी मां ने है उनके चरित्र को गढ़ा है. इससे पहले एक बार वो बीपीएससी का इंटरव्यू भी दे चुके हैं. इस बार उनका 205वां रैंक आया है. उनका चयन नगर कार्यपालक अधिकारी के तौर पर हुआ है.
"मेरी मां मेरी प्रेरणा है और अपनी सफलता को अपनी मां को समर्पित करता हूं. विकट परिस्थिति में मां ने मेरे चरित्र को गढ़ा है. पिता की मौत के बाद मां अपने खेतों में काम करती थी और मैं वहीं बैठकर पढ़ाई करता था. स्थानीय स्कूल से मैट्रिक करने के बाद मैं एक फैक्ट्री में काम करने दिल्ली चला गया था. मेरे मैट्रिक और इंटर में लगभग ढाई साल का गैप है. फिर इंटर और ग्रेजुएशन के बीच भी गैप है. मेरे अंदर यूपीएससी करने की इच्छा जागृत हुई. मेरा सेलेक्शन नगर कार्यपालक अधिकारी के तौर पर हुआ है."-शिव शक्ति, बीपीएससी अभ्यर्थी