वैशाली (हाजीपुर): बिहार के वैशाली जिले के हाजीपुर सदर अस्पताल (Hajipur Sadar Hospital) की एक तस्वीर सामने आई है. जो अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था पर प्रश्न खड़ा कर रहा है. तस्वीर में दिखाई दे रहा है कि एक मरीज का इलाज बेड की जगह कुर्सियों पर किया जा रहा है. मरीज के परिजनों को बैठने के लिए लगाई गई कुर्सी पर मरीज को लिटाकर स्लाइन चढ़ाया जा रहा है.
ये भी पढ़ें-नीतीश के गृह जिले के सदर अस्पताल का हाल, मरीजों का वार्ड बना आवारा कुत्तों का रैन बसेरा
हाजीपुर सदर अस्पताल का हाल बेहाल: स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलती हैरतअंगेज वीडियो में दिख रहा है कि गंभीर रूप से बीमार एक व्यक्ति कुर्सियों पर लेटा हुआ है. उसके बगल में एक महिला बैठी हुई है. वहीं एक महिला स्वास्थ्य कर्मी पानी की बोतल को किसी तरह टांग कर मरीज को स्वास्थ्य लाभ देने का प्रयास कर रही है. लेकिन जिस तरीके से मरीज को कुर्सियों पर लिटा कर सलाइन चलाया चढ़ाया जा रहा है. यह तस्वीर अपने आप में न सिर्फ स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत बयां कर रहा है. बल्कि, मरीज के लिए खतरनाक भी हो सकता है. बावजूद इसके जिला मुख्यालय के सदर अस्पताल में यह सब कुछ किया जा रहा है.
कुर्सी पर बैठकर मरीज का हो रहा इलाज: इस मामले को लेकर अस्पताल प्रशासन की ओर से दलील दी जा रही है कि अचानक अधिक मरीज आ गए हैं संख्या बढ़ गई है, इस वजह से ऐसा हुआ होगा. दो-तीन दिनों में इसको ठीक कर लिया जाएगा. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस वीडियो ने उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के उन दावों कि सच्चाई सामने ला दी है, जिसमें बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त करने की बात कही गई थी. व्यवस्था कितनी दुरुस्त है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अस्पताल में इलाज कराने आया मरीज रणधीर कुमार ने बताया कि अंदर बेड नहीं था तो बाहर आना पड़ा. अंदर सीट नहीं मिला है.
अस्पताल प्रबंधक दे रही दलील: मरीज ने आगे बताया कि जितने भी बेड हैं, सब पर मरीज मौजूद है यही कारण था कि एक हॉस्पिटल स्टाफ ने यहां कुर्सियों पर सुला दिया है. वहीं मरीज के साथ आई उनके परिजन रीता देवी का कहना है कि एक एक बेड पर दो-दो तीन-तीन आदमी सोया हुआ है. हम अपने मरीज को लेकर गए तो बोला गया कि चलिए बाहर में आपको पानी चढ़ा देते हैं. बाहर में बहुत परेशानी हो रही है. रीता देवी ने बताया कि इलाज करवाने में भी नहीं बन रहा है. मच्छर काट रहा है. काफी दिक्कत से यहां पर हैं. मरीज और उनके परिजनों के बयान यह साफ हो जाता है कि स्वास्थ्य व्यवस्था खुद कितनी बीमार है.
पुराने इमरजेंसी वार्ड का चल रहा है काम: सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर पुराने इमरजेंसी वार्ड को ठीक किया जा रहा था तो इसकी वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की गई. जबकि सदर अस्पताल में कई भवन बनकर तैयार है. कई ऐसे विभाग हैं जिसमे इमरजेंसी वार्ड को शिफ्ट किया जा सकता था. जेनरल मरीजों की तुलना में इमरजेंसी में आए मरीजों को तत्काल ही चिकित्सा की आवश्यकता होती है.
स्वास्थ्य व्यवस्था खोल रही सरकार की पोल: कई मरीजों की जान तत्काल मिलने वाली बेहतर चिकित्सा से ही बच पाती है. ऐसे में अस्पताल प्रशासन चाहे कोई भी दलील दे, लेकिन साफ तौर से यह कहा जा सकता है कि वैशाली जिले के राघोपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनकर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव स्वास्थ्य विभाग की कमान पूरे प्रदेश में संभाल रहे हैं और उन्ही के जिले के मुख्यालय अस्पताल का बुरा हाल है. जो कहीं न कहीं स्वास्थ्य के प्रति सरकार के तमाम दावों के अकेले पोल खोल हो रहा है.
"अचानक अधिक मरीज आ गए हैं. मरीजों की संख्या ज्यादा हो गई है. बेड से ज्यादा मरीज हो गए हैं. इस वजह से ऐसा हुआ होगा. पुराने इमरजेंसी वार्ड को ठीक किया जा रहा है. इस वजह से ऐसा हुआ हो सकता है. दो-तीन दिनों में इसको ठीक कर दिया जाएगा."- डॉ एसके वर्मा, डिप्युटी सिविल सर्जन
"एक बेड पर दो-दो, तीन-तीन आदमी सोए हुए हैं. हम गए तो हमे बोला गया कि चलिए बाहर में आपको पानी चढ़ा देते हैं. बाहर में बहुत परेशानी हो रही है, इलाज में नहीं बन रहा है मच्छर काट रहे हैं. दिक्कत के साथ यहां पर सोए हुए हैं." -रीता देवी
"अंदर बेड नहीं था तो बाहर आना पड़ा. अंदर सीट नहीं मिली है. बेड सब पर मरीज है. यहां एक हॉस्पिटल स्टाफ सुला कर चला गया है. आधे घंटे से यहां हैं." - रणधीर कुमार, मरीज
ये भी पढ़ें-वैशाली सदर अस्पताल से 12 साल की बच्ची गायब, मां ने कहा- 'लक्ष्मी को बैठाकर दवा लाने गई थी'