पटना: दिल्ली चुनाव के नतीजों ने राजनीतिक फोकस को बिहार की ओर मोड़ दिया है. अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप को बीजेपी से करारी हार का सामना करना पड़ा. 27 वर्षों के बाद दिल्ली में बीजेपी की सरकार बन रही है. दिल्ली विधानसभा चुनाव की जीत का असर अब बिहार में होने वाले इस विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिलेगा. दिल्ली विधानसभा चुनाव की जीत से एक बार फिर से एनडीए एक बार उत्साहित है.वहीं सवाल उठता है कि बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन एनडीए को कितना चुनौती दे पाएगा.
27 वर्षों के बाद बीजेपी की वापसी: दिल्ली विधानसभा चुनाव में 27 वर्षों के बाद भाजपा एक बार फिर से सरकार बनाने जा रही है. विधानसभा चुनाव में बीजेपी 48 सीट जीतकर पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है. 12 वर्षों से दिल्ली की सत्ता में बैठे अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा. दिल्ली विधानसभा के चुनाव में इस बार कांग्रेस ने भी 68 सीटों पर अपना उम्मीदवार खड़ा किया था. जिसकी सीटें 62 से गिरकर 22 पर आ गईं। कांग्रेस ने आप को 14 सीटों पर हराकर इस नतीजे में अहम भूमिका निभाई.
महागठबंधन के सामने चुनौती: बिहार विधानसभा का चुनाव इसी वर्ष होने वाला है. विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने पहले से ही 2020 के सीट शेयरिंग के फार्मूले पर चुनाव लड़ने की बात कही. 2020 में महागठबंधन के तहत कांग्रेस ने बिहार की 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था. इस बार भी कांग्रेस इस फार्मूले के तहत चुनाव लड़ने की बात कहती रही है.
राजद की मजबूरी: वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय का मानना है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव का बिहार की राजनीति पर भी असर देखने को मिलेगा. कुछ दिन पहले तेजस्वी यादव ने इंडिया गठबंधन की भविष्य पर सवाल उठाया था, लेकिन कुछ ही दिनों में वह अपने बयान से पलट गए और उन्हें लगा कि उनका यह बयान इंडिया गठबंधन के लिए या यूं कहें बिहार में महागठबंधन के लिए सही नहीं है. अब दिल्ली विधानसभा चुनाव में जिस तरीके से कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को 8 से 10 सीट पर नुकसान पहुंचा है इससे आरजेडी भी यह सोचने पर मजबूर हो गई है कि कांग्रेस महागठबंधन के लिए बिहार में जरूरी है.
![जीतन राम मांझी के साथ सीएम नीतीश कुमार](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/09-02-2025/23508157_p1.jpg)
दिल्ली फतह के बाद बीजेपी उत्साहित: दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत से उत्साहित भाजपा दावा करने लगी है कि इसी वर्ष होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में भी उनके गठबंधन की जीत होगी. बीजेपी के प्रवक्ता मनीष पांडेय का दावा है कि दिल्ली तो अभी झांकी है बिहार अभी बाकी है. बिहार में जिस प्रकार इंडी गठबंधन के सारे नेता और पार्टियां एक दूसरे से आपस में भिड़े हुए हैं लड़ रहे हैं यह बिहार में एनडीए के जीत को और ज्यादा आसान करेगा.
"पीएम मोदी पर जिस प्रकार दिल्ली की जनता ने अपना भरोसा दिखाया उसी प्रकार बिहार की जनता भी यहां की डबल इंजन की सरकार जिसमें नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व पर जो पिछले कई वर्षों से बिहार की जनता का विश्वास रहा है. उस विश्वास को आगे बढ़ते हुए बिहार में एक बार फिर से जितने भी इंडी गठबंधन के नेता हैं चाहे वह तेजस्वी यादव हों या राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी रही हो या अन्य नेता इसका मिट्टी पलीद कर देंगे."-मनीष पांडेय, प्रवक्ता, बीजेपी
![नेताओं के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/09-02-2025/23508157_p4.jpg)
225 सीट जीतने का संकल्प: दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली जीत से बिहार में एनडीए के सहयोगी जेडीयू भी उत्साहित है. जेडीयू की प्रवक्ता अंजुम आरा का कहना है कि
बिहार में एनडीए की सरकार बिहार को विकसित बनाने के लिए कृत संकल्पित है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में एनडीए गठबंधन पूरी तरीके से इंटैक्ट है. बिहार में एनडीए का संकल्प है कि आगामी विधानसभा चुनाव में 225 सीट जीतना है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में जो बिहार में सुशासन का राज चल रहा है यही कारण है कि बिहार की जनता उनको अपना पूरा समर्थन देती रही है.
![महागठबंधन के नेता](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/09-02-2025/23508157_p5.jpg)
"एनडीए एक तरफ एकजुट है तो वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन में कांग्रेस का अहंकार दिख रहा है. क्षेत्रीय पार्टियों पर निर्भर रहकर परजीवी की तरह रहकर वह आगे की राजनीति कर रही है. लेकिन क्षेत्रीय पार्टी की भूमिका को ही कांग्रेस नकार रही है. दूसरी तरफ राष्ट्रीय जनता दल कांग्रेस को उसकी औकात बता रही है. महागठबंधन में अपनी डफली अपना राग की स्थिति बनी हुई है." -अंजुम आरा, प्रवक्ता, जेडीयू
सम्मानजनक सीट के साथ समझौता: कांग्रेस के विधायक विजय शंकर दुबे का कहना है कि बिहार में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में एनडीए के खिलाफ महागठबंधन मजबूती के साथ चुनाव लड़ेगा और चुनाव में उसे परास्त करेगा.
"आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महागठबंधन में सम्मानजनक सीट के साथ समझौता करेगी और सम्मानजनक स्थिति में महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी." -विजय शंकर दुबे, विधायक, कांग्रेस
दिल्ली और बिहार की राजनीति अलग: दिल्ली विधानसभा में बीजेपी को मिली जीत के बावजूद आरजेडी को भरोसा है कि बिहार में उनकी स्थिति मजबूत है.राजद के प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि दिल्ली के चुनाव में और बिहार के चुनाव में बहुत अंतर है. दिल्ली के चुनाव में बीजेपी ने जिस तरह का परसेप्शन खड़ा किया. उस भ्रम की राजनीति में दिल्ली की जनता फंस गई है. वह स्थिति बिहार में नहीं होने वाली है क्योंकि बिहार के लोग बिहार में परिवर्तन चाहते हैं.
![पटना में कांग्रेस नेताओं के साथ राहुल गांधी](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/09-02-2025/23508157_p2.jpg)
"तेजस्वी यादव के नेतृत्व में जो बिहार में 17 महीना में काम हुए उसे काम को बिहार के लोग पसंद कर रहे हैं. 17 वर्षों में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में एनडीए की सरकार ने जो नहीं किया वह 17 महीना में तेजस्वी यादव ने करके दिखा दिया. जहां तक महागठबंधन की बात है तो यहां सभी समान विचार वाले लोगों का सकारात्मक गठबंधन है."-एजाज अहमद, राजद, प्रवक्ता
एनडीए में दिख रहा विवाद: आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत के बाद बीजेपी बिहार में ड्राइविंग सीट पर बैठना चाहती है. यही कारण है कि एनडीए गठबंधन में आपसी विवाद होने लगा है. बीजेपी नीतीश कुमार को नेपथ्य की राजनीति में भेजना चाह रही है.
"दिल्ली विधानसभा चुनाव का परिणाम का बिहार की राजनीति पर असर पड़ेगा. क्योंकि इस जीत से एनडीए उत्साहित है और पिछले एक महीने से एनडीए के सभी घटक दल एकजुट होकर जिला में सम्मेलन करके अपने शक्ति का एहसास करवा रहे हैं. वहीं महागठबंधन में अभी यह एकजुटता नहीं दिख रही है." -सुनील पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार
![पटना में तेजस्वी यादव व अन्य](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/09-02-2025/23508157_p3.jpg)
आरजेडी चुनाव में रिस्क नहीं लेना चाहेगी: वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि देश के अन्य राज्यों में कांग्रेस जो भी अपने सहयोगी दल पर दबाव बना सके लेकिन बिहार में स्थिति उलट है. यह कांग्रेस के सीट से लेकर उम्मीदवार तक के चयन में राजद और खास कर लालू प्रसाद यादव का हस्तक्षेप रहता. लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव में जिस तरीके से कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को कुछ सीटों पर नुकसान पहुंचा है इसको देखते हुए आरजेडी भी बिहार विधानसभा चुनाव में यह रिस्क नहीं लेना चाहेगी जिसका कुछ राजनीतिक लाभ कांग्रेस को मिल सकता है.
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