वैशाली: कहा जाता है कि घोड़ा में दैवीय अंश होता है. यही कारण है कि वफादारी में घोड़ा नंबर वन श्रेणी में आता है. हमारे धार्मिक ग्रंथ सहित इतिहास के पन्नों में घोड़ों की अद्भुत कहानियां अंकित है. जो यह बताने के लिए काफी है कि पौराणिक काल में घोड़े हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण और उपयोगी थे. आज के आधुनिक दौर में भी घोड़े के शौकीन कम नहीं है. ऐसे में अपने मनपसंद और पसंदीदा घोड़ा खरीदने के लिए लोग लाखों करोड़ों खर्च करने को तैयार हैं. ऐसा ही एक घोड़ा विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेले (sonepur mela 2022 ) की शान बना हुआ है. घोड़े का नाम बादल है.
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11 साल पहले खरीदा गया यह घोड़ा: यह घोड़ा राजस्थान के मल्होत्रा नस्ल (Malhotra breed Horse in Sonepur fair) का है. जिसे सबलपुर दियारा के रहने वाले विजेंद्र राय ने एक 11 साल पहले खरीदा था. मौजूदा समय में इस घोड़े की कीमत 1 करोड़ रुपए (One crore horse in Sonepur mela) रखी गई. घोड़े के मालिक विजेंदर राय ने बताया कि इस घोडे़ को उसने 11 साल पहले खरीदा था. उसने घोड़ा को लकी बताते हुए कहा कि इस घोड़े के आने के बाद घर में खुशहाली और तरक्की हुई. गांव के दर्जनों लोगों ने भी घोड़ा खरीदा और अपने घोड़े को बादल के साथ ही बांधने लगा ताकि उनका घोड़ा भी बादल की तरह लकी बन जाए. घोडे के मालिक ने कहा कि 11 साल पहले जब घोडे को 2.5 लाख रुपये में खरीदा था. तब भी खरीददार इसे 10-20 लाख रुपये देकर खरीदने के तैयार थे. लेकिन उसे यह घोड़ा बेचना नहीं है.
घोड़ा को लकी मानता है मालिक: राजस्थान के मल्होत्रा नस्ल के घोड़े को उसका मालिक काफी लकी मानता है. यही वजह है कि घोडे़ को महंगे दाम पर भी वो बेचने को तैयार नहीं है. बताया जा रहा है कि इस नस्ल का घोड़ा पूरे हिंदुस्तान में कहीं भी नहीं है. यह घोड़ा काफी तेज दौड़ता है. घोडे के मालिक ने बताया कि बादल घोड़े की वजह से 1000 लोगों का गुजारा होता है. गौरतलब है कि सोनपुर मेले मे इस तरह के जानवरों को हर बार देखा जाता है. जो पूरे राज्य में चर्चा का विषय बनी रहती है.
"यह घोड़ा एक करोड़ का है और 1 रुपया भी दाम नहीं है. इसे बेचना भी नहीं है. घोड़ा आए हुए आज 12 साल होने जा रहा है. इसने 1000 लोगों का व्यवस्था किया है. इसमें इतना लक्षण है, इतना देन है. इसलिए यह लकी घोड़ा है. 11 साल पहले इसे 2.5 लाख में खरीदे थें. उस समय लोग इसकी कीमत 10-20 लाख देने को तैयार था लेकिन हम इसे नहीं बेचेंगे".- विजेंदर राय, सबलपुर.
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