वैशाली: सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी जिले में AIDS के मरीजों की संख्या में कमी दिखाई नहीं दे रही है. जिले में AIDS के मरीजों की संख्या 4 हजार 215 पहुंच गयी हैं. इसमें अबतक 596 मरीजों की मौत हो चुकी है. यह आंकड़ा 2013 से लेकर 2019 के जून महीने तक का है.
सिविल सर्जन ने की लोगों से अपील
जिला के सिविल सर्जन डॉ. इंद्रदेव रंजन ने ETV भारत से रूबरू होते हुए बताया कि AIDS की रोकथाम के लिए जिले भर में युद्धस्तर पर कार्यक्रम चलाया जा रहा है. जिले के सभी पंचायतों में स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का काम किया जा रहा है. इस जटिल बीमारी के बारे में लोगों को वहम भी है. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि HIV पॉजिटिव मरीज के संपर्क में रहने, खानेपीने या एक-दूसरे को छूने से यह बीमारी नहीं फैलती है. यह सैक्सुअल रिलेशनशिप बनाने या पीड़ित मरीज के ब्लड को दूसरे किसी के शरीर में ट्रांसफर करने से फैलता है.
मरीजों को एक महीने की दवा निशुल्क
हाजीपुर के सदर अस्पताल के AIDS विभाग में पड़ताल करने पर पता चला कि यहां पीड़ित मरीजों को शुरूआत में एक महीने की दवा निशुल्क दी जाती है. इसके बाद दो महीने का डोज दिया जाता है. पीड़ित मरीजों को कुछ महीने दवा देने के बाद उनके शरीर की क्षमता को देखते हुए दवा दी जाती है. विभाग के एक काउंसलर ने बताया कि AIDS की जांच एक बार करने के बाद फिर दो बार किया जाता है. इसके बाद हीं नतीजे पर पहुंचा जाता है. एक बार किसी को AIDS हो जाने पर उम्र भर दावा खानी पड़ती है.
किसी ने बताई खुद की गलती, जो कोई AIDS होने पर हैरान
आपको बता दें कि AIDS मरीजों की पहचान तबतक छुपाई जाती है, जबतक पीड़ित खुद सार्वजनिक न करे. ETV भारत ने आधे दर्जन पीड़ित मरीजों से बात की. किसी ने खुद की गलती बताई तो किसी ने गलत ढ्ंग से खून चढ़ाने की बात कही, तो वहीं किसी ने कहा कि वह खुद हैरान है कि उसे AIDS कैसे हो गया. विभाग ने HIV से ग्रसित एक लड़का और एक लड़की के बालिक होने पर उनके परिवार से बात कर शादी भी करवाया है.
छोटी सोच के लोगों की वजह से समाज में रहना दुर्लभ
एक पीड़ित महिला ने बताया कि AIDS के कारण गांव के लोग उसे हीन भावना से देखते हैं. वह खुद को घर में कैद करके रखती है. वह भी समाज में रहना चाहती है. लेकिन, भेदभाव, छुआछूत जैसी छोटी मानसिकता रखने वाले लोगों की वजह से इसके जैसे लाखों पीड़ित मरीजों का समाज में रहना दुर्लभ हो गया है. इन्हें भी जीने का हक है. समाज को अपनी सोच बदलकर इन्हें भी समाज के मुख्य धारा में लाने की जरुरत है.
जिले में एड्स के मरीजों की ताजा रिपोर्ट:
2013: 787 मरीज
2014: 721 मरीज
2015: 754 मरीज
2016: 525 मरीज
2017: 561 मरीज
2018: 544 मरीज
2019 के जून महीने तक: 322 मरीज
कुल AIDS मरीजों की संख्या : 4215
सभी मरीज रजिस्टर्ड हैं. इनकी निगरानी भी स्वास्थ्य विभाग करती है.