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वैशाली: लगातार बढ़ रही AIDS मरीजों की संख्या, किसी की खुद की गलती, तो कोई इससे हैरान

HIV पॉजिटिव के मरीज के संपर्क में रहने, खाने पीने या एक-दूसरे को छूने से यह बीमारी नहीं फैलती है. यह सैक्सुअल रिलेशनशिप बनाने या पीड़ित मरीज के ब्लड को दूसरे किसी के शरीर में ट्रांसफर करने से फैलता है.

सिविल सर्जन
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Published : Jul 19, 2019, 10:11 AM IST

वैशाली: सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी जिले में AIDS के मरीजों की संख्या में कमी दिखाई नहीं दे रही है. जिले में AIDS के मरीजों की संख्या 4 हजार 215 पहुंच गयी हैं. इसमें अबतक 596 मरीजों की मौत हो चुकी है. यह आंकड़ा 2013 से लेकर 2019 के जून महीने तक का है.

सिविल सर्जन ने की लोगों से अपील
जिला के सिविल सर्जन डॉ. इंद्रदेव रंजन ने ETV भारत से रूबरू होते हुए बताया कि AIDS की रोकथाम के लिए जिले भर में युद्धस्तर पर कार्यक्रम चलाया जा रहा है. जिले के सभी पंचायतों में स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का काम किया जा रहा है. इस जटिल बीमारी के बारे में लोगों को वहम भी है. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि HIV पॉजिटिव मरीज के संपर्क में रहने, खानेपीने या एक-दूसरे को छूने से यह बीमारी नहीं फैलती है. यह सैक्सुअल रिलेशनशिप बनाने या पीड़ित मरीज के ब्लड को दूसरे किसी के शरीर में ट्रांसफर करने से फैलता है.

मामले की जानकारी देते हुए सिविल सर्जन

मरीजों को एक महीने की दवा निशुल्क
हाजीपुर के सदर अस्पताल के AIDS विभाग में पड़ताल करने पर पता चला कि यहां पीड़ित मरीजों को शुरूआत में एक महीने की दवा निशुल्क दी जाती है. इसके बाद दो महीने का डोज दिया जाता है. पीड़ित मरीजों को कुछ महीने दवा देने के बाद उनके शरीर की क्षमता को देखते हुए दवा दी जाती है. विभाग के एक काउंसलर ने बताया कि AIDS की जांच एक बार करने के बाद फिर दो बार किया जाता है. इसके बाद हीं नतीजे पर पहुंचा जाता है. एक बार किसी को AIDS हो जाने पर उम्र भर दावा खानी पड़ती है.

वैशाली
जानकारी देते हुए AIDS विभाग की डॉक्टर

किसी ने बताई खुद की गलती, जो कोई AIDS होने पर हैरान
आपको बता दें कि AIDS मरीजों की पहचान तबतक छुपाई जाती है, जबतक पीड़ित खुद सार्वजनिक न करे. ETV भारत ने आधे दर्जन पीड़ित मरीजों से बात की. किसी ने खुद की गलती बताई तो किसी ने गलत ढ्ंग से खून चढ़ाने की बात कही, तो वहीं किसी ने कहा कि वह खुद हैरान है कि उसे AIDS कैसे हो गया. विभाग ने HIV से ग्रसित एक लड़का और एक लड़की के बालिक होने पर उनके परिवार से बात कर शादी भी करवाया है.

वैशाली
HIV जांच केन्द्र, सदर अस्पताल हाजीपुर

छोटी सोच के लोगों की वजह से समाज में रहना दुर्लभ
एक पीड़ित महिला ने बताया कि AIDS के कारण गांव के लोग उसे हीन भावना से देखते हैं. वह खुद को घर में कैद करके रखती है. वह भी समाज में रहना चाहती है. लेकिन, भेदभाव, छुआछूत जैसी छोटी मानसिकता रखने वाले लोगों की वजह से इसके जैसे लाखों पीड़ित मरीजों का समाज में रहना दुर्लभ हो गया है. इन्हें भी जीने का हक है. समाज को अपनी सोच बदलकर इन्हें भी समाज के मुख्य धारा में लाने की जरुरत है.

जिले में एड्स के मरीजों की ताजा रिपोर्ट:
2013: 787 मरीज
2014: 721 मरीज
2015: 754 मरीज
2016: 525 मरीज
2017: 561 मरीज
2018: 544 मरीज
2019 के जून महीने तक: 322 मरीज
कुल AIDS मरीजों की संख्या : 4215
सभी मरीज रजिस्टर्ड हैं. इनकी निगरानी भी स्वास्थ्य विभाग करती है.

वैशाली: सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी जिले में AIDS के मरीजों की संख्या में कमी दिखाई नहीं दे रही है. जिले में AIDS के मरीजों की संख्या 4 हजार 215 पहुंच गयी हैं. इसमें अबतक 596 मरीजों की मौत हो चुकी है. यह आंकड़ा 2013 से लेकर 2019 के जून महीने तक का है.

सिविल सर्जन ने की लोगों से अपील
जिला के सिविल सर्जन डॉ. इंद्रदेव रंजन ने ETV भारत से रूबरू होते हुए बताया कि AIDS की रोकथाम के लिए जिले भर में युद्धस्तर पर कार्यक्रम चलाया जा रहा है. जिले के सभी पंचायतों में स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का काम किया जा रहा है. इस जटिल बीमारी के बारे में लोगों को वहम भी है. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि HIV पॉजिटिव मरीज के संपर्क में रहने, खानेपीने या एक-दूसरे को छूने से यह बीमारी नहीं फैलती है. यह सैक्सुअल रिलेशनशिप बनाने या पीड़ित मरीज के ब्लड को दूसरे किसी के शरीर में ट्रांसफर करने से फैलता है.

मामले की जानकारी देते हुए सिविल सर्जन

मरीजों को एक महीने की दवा निशुल्क
हाजीपुर के सदर अस्पताल के AIDS विभाग में पड़ताल करने पर पता चला कि यहां पीड़ित मरीजों को शुरूआत में एक महीने की दवा निशुल्क दी जाती है. इसके बाद दो महीने का डोज दिया जाता है. पीड़ित मरीजों को कुछ महीने दवा देने के बाद उनके शरीर की क्षमता को देखते हुए दवा दी जाती है. विभाग के एक काउंसलर ने बताया कि AIDS की जांच एक बार करने के बाद फिर दो बार किया जाता है. इसके बाद हीं नतीजे पर पहुंचा जाता है. एक बार किसी को AIDS हो जाने पर उम्र भर दावा खानी पड़ती है.

वैशाली
जानकारी देते हुए AIDS विभाग की डॉक्टर

किसी ने बताई खुद की गलती, जो कोई AIDS होने पर हैरान
आपको बता दें कि AIDS मरीजों की पहचान तबतक छुपाई जाती है, जबतक पीड़ित खुद सार्वजनिक न करे. ETV भारत ने आधे दर्जन पीड़ित मरीजों से बात की. किसी ने खुद की गलती बताई तो किसी ने गलत ढ्ंग से खून चढ़ाने की बात कही, तो वहीं किसी ने कहा कि वह खुद हैरान है कि उसे AIDS कैसे हो गया. विभाग ने HIV से ग्रसित एक लड़का और एक लड़की के बालिक होने पर उनके परिवार से बात कर शादी भी करवाया है.

वैशाली
HIV जांच केन्द्र, सदर अस्पताल हाजीपुर

छोटी सोच के लोगों की वजह से समाज में रहना दुर्लभ
एक पीड़ित महिला ने बताया कि AIDS के कारण गांव के लोग उसे हीन भावना से देखते हैं. वह खुद को घर में कैद करके रखती है. वह भी समाज में रहना चाहती है. लेकिन, भेदभाव, छुआछूत जैसी छोटी मानसिकता रखने वाले लोगों की वजह से इसके जैसे लाखों पीड़ित मरीजों का समाज में रहना दुर्लभ हो गया है. इन्हें भी जीने का हक है. समाज को अपनी सोच बदलकर इन्हें भी समाज के मुख्य धारा में लाने की जरुरत है.

जिले में एड्स के मरीजों की ताजा रिपोर्ट:
2013: 787 मरीज
2014: 721 मरीज
2015: 754 मरीज
2016: 525 मरीज
2017: 561 मरीज
2018: 544 मरीज
2019 के जून महीने तक: 322 मरीज
कुल AIDS मरीजों की संख्या : 4215
सभी मरीज रजिस्टर्ड हैं. इनकी निगरानी भी स्वास्थ्य विभाग करती है.

Intro:लोकेशन : वैशाली
रिपोर्टर: राजीव कुमार श्रीवास्तवा

प्रदेश के वैशाली जिले में AIDS के चार हजार, दो सौ, पंद्रह मरीजों की संख्या पहुँच गयीं हैं। बतादें इसमें से अभी तक पांच सौ, छानबे मरीजों की मौत हो चुकी हैं ।


Body:प्रदेश सरकार के लाख प्रयास करने के बाद भी वैशाली जिले में एड्स AIDS मरीजों की संख्या में कमी दिखाई नहीं दे रहीं हैं। जिले में चार हजार, दो सौ, पन्द्रह मरीजों की संख्या हो गई हैं। और इसमें से 596 पीड़ित मरीज़ों की मौत हो चुकी हैं । इस बाबत जिला के सिविल सर्जन डॉ इंद्रदेव रंजन ने ETV भारत से रूबरू होते हुए बताया कि यह आंकड़ा 2013 से लेकर इस वर्ष के जून महीनें तक कि हैं। उन्होंने आगें बताया कि AIDS की रोकथाम के लिये जिले भर में युद्धस्तर पर कार्यक्रम किया जा रहा हैं। इसके तहत जिले के सभी प्रखंडो के पंचायतों में भी स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का काम किया जा रहा हैं। उन्होंने आगें कहा कि इस जटिल बीमारी के बारे में नॉर्मल लोगों को वहम भी हैं ।उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि HIV पॉज़िटिव के मरीज के संपर्क में रहने से, खानेपीने, एक दूसरे को छूने से यह बीमारी दूसरों को नही होती ।यह सैक्सुअल रिलेशनशिप बनाने से साथ ही पीड़ित मरीज के ब्लड को दूसरे किसी के शरीर मे ट्रांसफर करने से फैलता हैं ।

जिले में पूरे एड्स मरीज का ताज स्थिति इस प्रकार हैं :

2013: 787 मरीज
2014: 721 मरीज
2015: 754 मरीज
2016: 525 मरीज
2017: 561 मरीज
2018:544 मरीज
2019 के जून महीने तक: 322 मरीज
कुल AIDS मरीजों की संख्या : 4215

मालूम हो कि यहा सभी 4215 पीड़ित मरीज रजिस्टर्ड हैं। इनकी निगरानी भी स्वास्थ्य विभाग से होता हैं।
हाजीपुर के सदर अस्पताल के AIDS विभाग में पड़ताल करने पर पता चला कि यहा पीड़ित मरीजों को शुरुवात में एक महीनें की दवा निशुल्क तौर पर दिया जाता हैं ।इसके बाद दो महीने का डोज दिया जाता हैं । जानकारों की मानें तो पीड़ित मरीज अगर कुछ महिनों तक दवा अच्छा से हाजमा कर लेता हैं तो उसे उसी मुताबिक दवा भी दी जाती हैं। विभाग के एक काउंसलर ने बताया कि एक बार AIDS की बीमारी की जांच होने के बाद हमलोग फिर से दो बार और जांच करते हैं इसके बाद ही फाइनली नतीजा पर पहुँचते हैं। मरीज को एक बार इस बीमारी का रोग लग जाने पर उसे ताउम्र दवा खानी पड़ती हैं।

पड़ताल करने पर यह भी पता चला कि पीड़ित मरीज का पहचान छिपाया जाता हैं तबतक जबतक कि मरीज इस पीड़ित बीमारी से खुद के द्वारा सार्वजनिक नहीं करे । ETV भारत को आधे दर्जन पीड़ित मरीजों से बात कि पर विभाग के द्वारा अनुग्रह पर हम उन्हें आपको चेहरा नहीं दिखा रहे हैं।

Etv भारत ने पीड़ित मरीजों से बात करके पाया कि इन्हें इस स्थिति तक पहुँचने के लिये कुछ खुद की गलती मानते हैं तो कुछ गलत ढंग से ब्लड खून चढ़ाने पर तो कुछ ने माना कि मुझे कैसे AIDS हो गया इसके बारे में असज भी सोच सोच कर हैरान हूं ।

विभाग द्वारा पीड़ित एचआइवी के मरीज लड़का एवं लड़की के बालिग होने पर दोनों परिवार से बात कर शादी भी करवाया हैं।
एक महिला पीड़ित मरीज ने अपना पहचान नहीं बताने के शर्त पर बताया कि मेरा पति आज से बारह वर्ष पूर्व एड्स बीमारी से चल गुजरा , और मुझे भी यह बीमारी होने से दवा लेने के लिये यहा आना पड़ता हैं। उसने भावुक होकर बताया कि गांव में लोगों द्वारा हीन भावना से मुझे देखा जाता हैं तो मैं भी इससे ग्रस्त होकर घर मे खुद को कैद कर लेती हूं ।समाज के मुख्य धारा से यह जुड़ना चाहती है पर भेदभाव, छुआछूत जैसी संकीर्ण मानशिकता वाले लोग इन जैसे लाखों पीड़ित मरीजों को घृणा, तिरस्कार, इग्नोर करके देखते हैं।

इन्हें जीने के लिये हक हैं ।यह मरीज का ही कहना हैं। उनकी मानें तो इस बीमारी के चपेट में आने की सजा परिवार से वहिष्कार तो कर दिए गए हैं फिर समाज से । ऐसे में जिंदगी बोझिल जैसी लगती हैं।

चिकित्सको और मनोविज्ञान कहते हैं कि इनके बाकी बची जिंदगी में थोड़ी बहुत प्यार, सम्मान और प्रेम से व्यवहार करने पर इनकी जिंदगी को एक नजरिया मिल जायेगा ।इनकी जिंदगी आसान और खुशनुमा बनाई जा सकती हैं।


Conclusion:बहरहाल, पूरे देश में इस बीमारी ने जिस तरह से अपना पाँव फैलाया हैं यह चिंता की विषय हैं ।जरूरत हैं कि इस बीमारी को पनपने से रोका जाए इसके लिये अपने आपको स्ट्रांग बनाना होंगा ।सकरात्मक सोच, और शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों रहते हुए इस बाबत खबरदार होने की जरूरत हैं जिससे असमय अपनी जिंदगी को जिंदा लाश नहीं बना सकें।

विज़ुअल्स
बाइट : सिविल सर्जन डॉ इंद्रदेव रंजन वैशाली
पैकेज विओ राजीव
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