वैशाली: बिहार में आए दिन घूसखोरों को पकड़ा जा रहा है. इसके बावजूद लोग अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं. घूसखोर सरकारी कर्मियों और अधिकारियों की गिरफ्तारी लगातार हो रही है. बुधवार को एक बार फिर से घूसखोर विजिलेंस के हत्थे चढ़ गया. इस बार रिश्वतखोर मुखिया को घूस लेते गिरफ्तार (mukhiya caught red hand while taking bribe) किया गया है.
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धर लिए गए घूसखोर मुखिया जी: वैशाली के लालगंज के एतवारपुर सिसौला के मुखिया दिनेश महतो (Aitwarpur Sisoula mukhiya Dinesh Mahto) को 2 लाख 16 हजार रुपये घूस लेते गिरफ्तार किया गया है. निगरानी की टीम ने मुखिया दिनेश लाल को लालगंज प्रखंड कार्यालय से घूस लेते रंगेहाथों पकड़ा है. गिरफ्तार मुखिया को विजिलेंस की टीम अपने साथ पटना ले गई है.
विजिलेंस से की गई थी मुखिया की शिकायत: सूत्रों के अनुसार मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों के मेठ सुरेंद्र सिंह के द्वारा पटना विजिलेंस ऑफिस में एक लिखित आवेदन दिया गया था. जिसमें स्थानीय मुखिया के बारे में शिकायत की गई थी. आवेदन में लिखा गया था कि मनरेगा में बने पंचायत भवन के दौरान लेबर का जो पैसा पेमेंट होना है, उसमें से मुखिया तय राशि की जबरन मांग कर रहे हैं. अगर मुखिया को राशि नहीं दी जाती है तो पेमेंट नहीं होने देंगे.
निगरानी ने रिश्वत में दिए जाने वाले पैसों को किया था चिन्हित: सुरेंद्र सिंह के द्वारा दिए गए कंप्लेन के आधार पर पटना निगरानी की टीम सक्रिय हुई और पहले मामले की जांच की गई. जांच के दौरान ही निगरानी को पता लग गया था कि मुखिया के द्वारा नाजायज पैसे की मांग की जा रही है. इसके बाद सुरेंद्र सिंह को चिन्हित कर दो लाख 16 हजार रुपए मुखिया को देने के लिए दिए गए.
मनरेगा में काम के बदले मांगे थे 10% की राशि: मुखिया जब प्रखंड कार्यालय में थे तब सुरेंद्र सिंह ने रुपए दिए और ठीक पीछे से निगरानी की टीम पहुंच गई. जिसके बाद मुखिया दिनेश महतो को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया. बताया गया कि दो बोलेरो गाड़ी से आधे दर्जन से ज्यादा संख्या में निगरानी की टीम पहुंची थी. हालांकि निगरानी की ओर से इस मामले में सिर्फ एक तस्वीर के साथ प्रारंभिक जानकारी साझा की गयाी है. स्थानीय लोग बताते हैं कि मनरेगा में हुए काम के बदले 10% राशि की मुखिया ने मांग की थी. बताया गया है कि दिनेश महतो पहली बार मुखिया बने हैं. इससे पहले वह चुनाव हार गए थे.