वैशाली/सारण: देश के सभी पुराने सरकारी स्कूल और कॉलेजों के नवीनीकरण के लिये सरकार ने आश्वस्त किया था. पर सरकार का यह भी दावा छलावा साबित होता दिख रहा है. सारण जिले के सोनपुर प्रखंड क्षेत्र में स्थित एक मात्र डिग्री कॉलेज पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय की स्थिति बद से बदतर हो गई है. सरकार के उदासीन रवैये के कारण कई सालों से इसका मेंटेनेंस नहीं हो रहा है.
1978 में रेलवे विभाग ने इस कॉलेज को बनाने के लिये कई एकड़ जमीन दिया था. तत्कालिन रेलमंत्री स्व: मधु दंडवते ने इसका विधिवत उद्घाटन किया था. इस कॉलेज की स्थापना के 41 वर्ष हो चुके हैं. लेकिन कॉलेज के मेनटेनेंस के लिये प्रदेश सरकार ने आजतक कोई राशि नहीं दी. वर्तमान में इस कॉलेज का मेंटेनेंस आंतरिक व्यवस्था से किया जाता है.
सरकार की उदासीनता
पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय में 43 से ज्यादा शिक्षक सरकारी मापदंड के तहत पिछले कई वर्षों से पढ़ा रहे हैं. पर आपके यह जानकर हैरानी होगी कि इनमें से मात्र 5 ही शिक्षकों को सरकार तनख्वाह देती है. बाकी शिक्षकों को इतने सालों मे मात्र एक बार अनुदान मिला है. ईटीवी भारत ने जब पूरे मामले की पड़ताल की तो पाया कि यहां 6 हजार छात्र-छात्रओं का नामांकन है जबकि कॉलेज में छात्रों की संख्या काफी कम है.
शिक्षकों को कई सालों से नहीं मिला अनुदान
कॉलेज के प्रिसिंपल ने बताया कि परीक्षा होने के कारण अभी छात्रों की संख्या कम है. वहीं, यहां पढ़ा रहे शिक्षकों का कहना है कि वो 25 सालों से इस कॉलेज में पढ़ रहे हैं. लेकिन आजतक सिर्फ एक बार उन्हें डिग्री का अनुदान मिला है. उन्हें कहा कि सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात तो करती है पर शिक्षकों को कोई सुविधा मुहैया नहीं कराती. कॉलेज इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी ध्यान नहीं दिया जाता है जिस कारण बिहार में शिक्षा व्यवस्था चौपट हो रहा है.
पढ़ाई हो रही बाधित
कॉलेज के प्रिंसिपल ब्रज किशोर सिंह ने बताया कि सरकार से कई बार लिखित एवं मौखिक रूप से इस संस्थान के मेंटेनेंस के लिये राशि मांगी गई. 37 शिक्षकों को भी समय समय पर अनुदान देने की मांग की गई पर सरकार इसपर कोई सुध नहीं ली. उन्होंने कहा कि कॉलेज में इंटर, आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस की पढ़ाई होती है. लेकिन सरकार से उदासीन रवैये से छात्रों की पढ़ाई बर्बाद हो रही है.