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सारण: कई सालों से शिक्षकों को नहीं मिला है अनुदान, राज्य सरकार कर रही अनदेखी

सोनपुर प्रखंड क्षेत्र स्थित एक मात्र डिग्री कॉलेज पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय की स्थापना के 41 वर्ष हो चुके हैं. लेकिन कॉलेज के मेनटेनेंस के लिये सरकार ने आजतक कोई राशि नहीं दी. शिक्षकों को भी नियमित अनुदान नहीं मिलता है. सरकार के इस उदासीन रवैये से शिक्षकों में मायूसी है,

कई सालों से शिक्षकों को नहीं मिला अनुदान
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Published : Aug 22, 2019, 12:33 PM IST

वैशाली/सारण: देश के सभी पुराने सरकारी स्कूल और कॉलेजों के नवीनीकरण के लिये सरकार ने आश्वस्त किया था. पर सरकार का यह भी दावा छलावा साबित होता दिख रहा है. सारण जिले के सोनपुर प्रखंड क्षेत्र में स्थित एक मात्र डिग्री कॉलेज पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय की स्थिति बद से बदतर हो गई है. सरकार के उदासीन रवैये के कारण कई सालों से इसका मेंटेनेंस नहीं हो रहा है.

1978 में रेलवे विभाग ने इस कॉलेज को बनाने के लिये कई एकड़ जमीन दिया था. तत्कालिन रेलमंत्री स्व: मधु दंडवते ने इसका विधिवत उद्घाटन किया था. इस कॉलेज की स्थापना के 41 वर्ष हो चुके हैं. लेकिन कॉलेज के मेनटेनेंस के लिये प्रदेश सरकार ने आजतक कोई राशि नहीं दी. वर्तमान में इस कॉलेज का मेंटेनेंस आंतरिक व्यवस्था से किया जाता है.

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कई सालों से शिक्षकों को नहीं मिला है अनुदान

सरकार की उदासीनता
पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय में 43 से ज्यादा शिक्षक सरकारी मापदंड के तहत पिछले कई वर्षों से पढ़ा रहे हैं. पर आपके यह जानकर हैरानी होगी कि इनमें से मात्र 5 ही शिक्षकों को सरकार तनख्वाह देती है. बाकी शिक्षकों को इतने सालों मे मात्र एक बार अनुदान मिला है. ईटीवी भारत ने जब पूरे मामले की पड़ताल की तो पाया कि यहां 6 हजार छात्र-छात्रओं का नामांकन है जबकि कॉलेज में छात्रों की संख्या काफी कम है.

saran
परीक्षा देते छात्र

शिक्षकों को कई सालों से नहीं मिला अनुदान
कॉलेज के प्रिसिंपल ने बताया कि परीक्षा होने के कारण अभी छात्रों की संख्या कम है. वहीं, यहां पढ़ा रहे शिक्षकों का कहना है कि वो 25 सालों से इस कॉलेज में पढ़ रहे हैं. लेकिन आजतक सिर्फ एक बार उन्हें डिग्री का अनुदान मिला है. उन्हें कहा कि सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात तो करती है पर शिक्षकों को कोई सुविधा मुहैया नहीं कराती. कॉलेज इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी ध्यान नहीं दिया जाता है जिस कारण बिहार में शिक्षा व्यवस्था चौपट हो रहा है.

पेश है रिपोर्ट

पढ़ाई हो रही बाधित
कॉलेज के प्रिंसिपल ब्रज किशोर सिंह ने बताया कि सरकार से कई बार लिखित एवं मौखिक रूप से इस संस्थान के मेंटेनेंस के लिये राशि मांगी गई. 37 शिक्षकों को भी समय समय पर अनुदान देने की मांग की गई पर सरकार इसपर कोई सुध नहीं ली. उन्होंने कहा कि कॉलेज में इंटर, आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस की पढ़ाई होती है. लेकिन सरकार से उदासीन रवैये से छात्रों की पढ़ाई बर्बाद हो रही है.

वैशाली/सारण: देश के सभी पुराने सरकारी स्कूल और कॉलेजों के नवीनीकरण के लिये सरकार ने आश्वस्त किया था. पर सरकार का यह भी दावा छलावा साबित होता दिख रहा है. सारण जिले के सोनपुर प्रखंड क्षेत्र में स्थित एक मात्र डिग्री कॉलेज पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय की स्थिति बद से बदतर हो गई है. सरकार के उदासीन रवैये के कारण कई सालों से इसका मेंटेनेंस नहीं हो रहा है.

1978 में रेलवे विभाग ने इस कॉलेज को बनाने के लिये कई एकड़ जमीन दिया था. तत्कालिन रेलमंत्री स्व: मधु दंडवते ने इसका विधिवत उद्घाटन किया था. इस कॉलेज की स्थापना के 41 वर्ष हो चुके हैं. लेकिन कॉलेज के मेनटेनेंस के लिये प्रदेश सरकार ने आजतक कोई राशि नहीं दी. वर्तमान में इस कॉलेज का मेंटेनेंस आंतरिक व्यवस्था से किया जाता है.

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कई सालों से शिक्षकों को नहीं मिला है अनुदान

सरकार की उदासीनता
पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय में 43 से ज्यादा शिक्षक सरकारी मापदंड के तहत पिछले कई वर्षों से पढ़ा रहे हैं. पर आपके यह जानकर हैरानी होगी कि इनमें से मात्र 5 ही शिक्षकों को सरकार तनख्वाह देती है. बाकी शिक्षकों को इतने सालों मे मात्र एक बार अनुदान मिला है. ईटीवी भारत ने जब पूरे मामले की पड़ताल की तो पाया कि यहां 6 हजार छात्र-छात्रओं का नामांकन है जबकि कॉलेज में छात्रों की संख्या काफी कम है.

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शिक्षकों को कई सालों से नहीं मिला अनुदान
कॉलेज के प्रिसिंपल ने बताया कि परीक्षा होने के कारण अभी छात्रों की संख्या कम है. वहीं, यहां पढ़ा रहे शिक्षकों का कहना है कि वो 25 सालों से इस कॉलेज में पढ़ रहे हैं. लेकिन आजतक सिर्फ एक बार उन्हें डिग्री का अनुदान मिला है. उन्हें कहा कि सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात तो करती है पर शिक्षकों को कोई सुविधा मुहैया नहीं कराती. कॉलेज इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी ध्यान नहीं दिया जाता है जिस कारण बिहार में शिक्षा व्यवस्था चौपट हो रहा है.

पेश है रिपोर्ट

पढ़ाई हो रही बाधित
कॉलेज के प्रिंसिपल ब्रज किशोर सिंह ने बताया कि सरकार से कई बार लिखित एवं मौखिक रूप से इस संस्थान के मेंटेनेंस के लिये राशि मांगी गई. 37 शिक्षकों को भी समय समय पर अनुदान देने की मांग की गई पर सरकार इसपर कोई सुध नहीं ली. उन्होंने कहा कि कॉलेज में इंटर, आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस की पढ़ाई होती है. लेकिन सरकार से उदासीन रवैये से छात्रों की पढ़ाई बर्बाद हो रही है.

Intro:लोकेशन: वैशाली: रिपोर्टर: राजीव कुमार श्रीवास्तव सारण जिले के सोनपुर प्रखण्ड क्षेत्र में स्थित एक मात्र डिग्री कॉलेज पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय सरकार के उदासीन रवैये के चलते इसका मेंटेनेंस नहीं होने से बदहाल होता जा रहा हैं।


Body: क्षेत्र में बने इकलौता डिग्री रेलवे विभाग द्वारा 1978 में दी गई कई एकड़ जमीन में बनी हैं। बतादें तात्कालिक रेलमंत्री स्व: मधु दंडवते इसका विधिवत उद्घाटन भी किये थे ।तबसे लेकर अभी तक 41 वर्ष का हो चुका यह पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय को प्रदेश सरकार ने मेंटेनेंस के लिये कॉलेज को एक फूटी कौड़ी राशि नही दी, जिसके चलते यह दिन पर दिन बदहाल होता चला गया । वर्तमान में यह कॉलेज का मेंटेनेंस आंतरिक व्यवस्था द्वारा होता हैं । आपको जानकर हैरानी होंगी की यहा कागज पर 43 से ज्यादा शिक्षक सरकारी मापदंड के तहत पिछले कई वर्षों से पढ़ाते आ रहे हैं पर सरकार यहा सभी शिक्षकों में से मात्र 5 ही शिक्षकों को ही सैलरी देती हैं जबकि बाकी 37 शिक्षको को इतने वर्षों में सिर्फ एक बार ही अनुदान दी हैं। Etv द्वारा पड़ताल करने पर यह पाया गया कि यहा कागज पर 6 हजार छात्र एवं छात्राएं हैं जबकि कॉलेज में छात्रों की संख्या नगण्य थी ।इस बाबत कॉलेज के नियमित प्रिंसिपल ने बताया कि अभी परीक्षा चलने से छात्र एवं छात्राएं कॉलेज में कम दिखाई दे रहें हैं । कॉलेज में इंटर और डिग्री के आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस की पढ़ाई होती हैं। क्षेत्र में यह कॉलेज को सरकार द्वारा ध्यान दिया जाता तो निःसंदेह इसे बदहाली से बेहतर किया जा सकता हैं । कॉलेज के 37 शिक्षकों द्वारा सरकार के मापदंड के अनुसार विश्वविद्यालय में चयन बहुत वर्ष पहले से हुआ था पर इन्हें सरकार द्वारा वित्तरहित समझकर भेदभाव किया जा रहा हैं। इस कॉलेज में पढ़ाने वाले एक शिक्षक की मानें तो उसे पढ़ाते हुए काफी वर्ष हो चुका हैं पर उसे सरकार द्वारा कोई मदद नही मिलती हैं जिसके चलते उसकी आर्थिक स्थिति काफी बदहाल हो गईं हैं । वह आगें भावुक होकर आगें कहता हैं कि वह यहा एक अर्से मुद्दत से पढ़ाते उसका बहुत समय बीत चुका हैं तो बाकी भी बचे जिंदगी का समय इसमें गुजार देगा । पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय के सरकारी व नियमित पांच शिक्षको में से एक वर्तमान में यहा के प्रिंसिपल ब्रज किशोर सिंह ने बताया कि सरकार को इसके लिये कई बार लिखित एवं मौखिक रूप से इस संस्थान के मेंटेनेंस के लिये राशि मांगी गई साथ ही साथ यहा योगदान देने वाले 37 शिक्षकों को भी उनके तजुर्बे और लंबे समय से योगदान देने पर उन्हें अनुदान समय समय पर देने की मांग होती रही हैं पर सरकार इस पर कोई सुध नही लेती हैं। पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय खोलवाने के लिये रेलवे विभाग ने अपनी ज्यादा जमीन दी थी । विदित हो कि रेलवे का जोनल कार्यालय तब गोरखपुर हुआ करता था ।यहा स्टेशन होने के चलते रेलवे के कर्मचारियों, अधिकारियों के बेटे और बिटियो के पढ़ाई के लिये भी यह डिग्री कॉलेज खोला गया था फिर क्षेत्र के लोगो के लिये भी बाद में खोल दिया गया । प्रदेश सरकार से संबंध और मान्यता मिलने के बाद भी 41 वर्ष गुजर गया पर इस पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय शिक्षण संस्थान को न ही रेलवे विभाग ने ही कोई मदद की न ही प्रदेश सरकार ने ही आज तक इसका मेंटेनेंस के लिये एक पैसे की राशि ही दी । यही वजह हैं कि इसके लिये रेलवे विभाग और प्रदेश सरकार इसका बदहाली के लिये जिम्मेवार हैं।


Conclusion:बहरहाल, यह डिग्री कॉलेज सरकार और रेलवे विभाग द्वारा उपेक्षित की शिकार हैं। प्रदेश का सारण जिले के सोनपुर के क्षेत्र में यह कॉलेज होने से क्षेत्र के आसपास के रहने वाले बच्चे एवं बच्चियों को निश्चित तौर पर लाभ मिलता हैं ।सरकार को इसकी बदहाली को दूर करने में दिलचस्पी लेना चाहिए । VO: PKG बाइट: शिक्षक बाइट: प्रिंसिपल ब्रज किशोर सिंह PTC: संवाददाता, राजीव, वैशाली
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