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वैशाली: बालू माफियाओं की दबंगई, मल्लाहों से जबरन वसूलते हैं रंगदारी

सोनपुर के सैदपुर गांव में रहने वाले पांच हजार की आबादी वाले मल्लाहों को रोजाना मछली पकड़ने से लेकर अवैध बालू का उत्खनन करना इनके लिये मजबूरी बन गई हैं. मछुवारे को अपनी कमाई का आधा हिस्सा बालू माफियाओं को देना पड़ता हैं. और नहीं दिया तो इनकी हत्या कर दी जाती है.

मल्लाह
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Published : Aug 23, 2019, 12:32 PM IST

Updated : Aug 24, 2019, 9:08 AM IST

वैशाली/ सारण: सोनपुर के सैदपुर गांव में पांच हजार से ज्यादा आबादी मल्लाहों की हैं. यहां Etv भारत की टीम ने पड़ताल करने पर पाया कि ये लोग रोजाना दो जून की रोटी के लिये नदी से मछली पकड़ने से लेकर लाल बालू के उत्खनन पर निर्भर है. जिसे वर्तमान में प्रदेश सरकार ने अवैध करार दे दिया हैं. लेकिन क्या करें पांच हजार से ज्यादा परिवार के लिये भोजन इकट्टठा करना होता है. जिसके लिए अवैध बालू का उत्खनन करना इनके लिये मजबूरी बन गई हैं.

बालू माफियाओं से परेशान मछुवारे

20 वर्षों से बालू माफिया का बढ़ रहा आतंक
पिछले 20 वर्षों से बालू माफिया की सैकड़ों की संख्या में गिरोह हो गई हैं, जो दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं. गिरोह में 20 से 30 वर्ष के युवक हैं. यह गिरोह महीने में लाखों की कमाई कर लेता हैं. पुलिस भी इनके साथ मिली होती हैं. तीन दिन पहले जिले के दिघवारा क्षेत्र में माफिया के वर्चस्व की लड़ाई में दो शख्स की मौत हो गई थी. इसमे एक मछुवारा और एक बालू माफिया की मृत्यु हो गई. इस घटना के बाद क्षेत्र में तनाव और दहशत बना हुआ हैं.

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मल्लाह समुदाय में इकट्टठा भीड़

बालू माफियाओं की है बुरी नजर
पटना से लेकर सारण जिले के गंगा किनारे इनके हजारो समुदाय के लोग रोजाना लाखों रुपये का मछली और अवैध बालू का उत्खनन कर उसका व्यापार करते हैं. लेकिन इनके इस काम पर बालू माफियाओं की बुरी नजर गड़ गयीं हैं. यही वजह हैं कि इन सभी मछुवारे की बालू माफिया गिरोह से भिड़ंत हो जाती हैं. और उनके जरिए हथियार से डराया धमकाए जानें पर, मछुवारे को अपनी कमाई का आधा हिस्सा बालू माफियाओं को देना पड़ता हैं. और नहीं दिया तो इनकी हत्या कर दी जाती है.

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मल्लाह समुदाय के मुखिया मंगल राय

मुआवजे से रह जाते है वंचित
मछुवारों के घरों में जाकर हमने पड़ताल करने पर इनकी दर्द भरी दास्तान सामने आई. मछुवारों की मानें तो गंगा नदी में पहले बालू और मछली पकड़ने के लिये सरकार द्वारा कोई कानून नही बना था. एक नाविक ने बताया कि जिस काम को हमारे पुरखे करते आ रहे थे, वही काम को हमलोग आगे बढ़ा रहे हैं. मछली पकड़ने में खतरा हैं कई बार तो नदी के गहराई वाले क्षेत्र में डूबने से मौत भी होती हैं. मछुवारों का कहना है कि, हमारे समुदाय में कम शिक्षित होने के चलते हम कानूनी हक और मुआवजे से वंचित रह जाते है.

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हताश बैठे मछुवारे

बालू माफियाओं को देना पड़ता है आधा हिस्सा

समुदाय के मुखिया मंगल राय ने बैठक बुलाकर लोगों से से बात की. और कहा कि हमारे समुदाय के लोग सिर्फ जीविको-पार्जन के लिये अवैध बालू का उत्खनन करते हैं. लेकिन हमे इस बात का दु:ख हैं कि हमें अपनी कमाई का आधा हिस्सा बालू माफियाओं को देना पड़ता है. जरूरत हैं कि सरकार इनके कला को देखते हुए इन्हे छूट देकर कुछ राशि फिक्स कर दे. इससे सरकार की राजस्व में वृद्धि होंगी, साथ ही इनकी आर्थिक स्थिती में भी सुधार हो सकेगा.

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मछुवारे

वैशाली/ सारण: सोनपुर के सैदपुर गांव में पांच हजार से ज्यादा आबादी मल्लाहों की हैं. यहां Etv भारत की टीम ने पड़ताल करने पर पाया कि ये लोग रोजाना दो जून की रोटी के लिये नदी से मछली पकड़ने से लेकर लाल बालू के उत्खनन पर निर्भर है. जिसे वर्तमान में प्रदेश सरकार ने अवैध करार दे दिया हैं. लेकिन क्या करें पांच हजार से ज्यादा परिवार के लिये भोजन इकट्टठा करना होता है. जिसके लिए अवैध बालू का उत्खनन करना इनके लिये मजबूरी बन गई हैं.

बालू माफियाओं से परेशान मछुवारे

20 वर्षों से बालू माफिया का बढ़ रहा आतंक
पिछले 20 वर्षों से बालू माफिया की सैकड़ों की संख्या में गिरोह हो गई हैं, जो दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं. गिरोह में 20 से 30 वर्ष के युवक हैं. यह गिरोह महीने में लाखों की कमाई कर लेता हैं. पुलिस भी इनके साथ मिली होती हैं. तीन दिन पहले जिले के दिघवारा क्षेत्र में माफिया के वर्चस्व की लड़ाई में दो शख्स की मौत हो गई थी. इसमे एक मछुवारा और एक बालू माफिया की मृत्यु हो गई. इस घटना के बाद क्षेत्र में तनाव और दहशत बना हुआ हैं.

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मल्लाह समुदाय में इकट्टठा भीड़

बालू माफियाओं की है बुरी नजर
पटना से लेकर सारण जिले के गंगा किनारे इनके हजारो समुदाय के लोग रोजाना लाखों रुपये का मछली और अवैध बालू का उत्खनन कर उसका व्यापार करते हैं. लेकिन इनके इस काम पर बालू माफियाओं की बुरी नजर गड़ गयीं हैं. यही वजह हैं कि इन सभी मछुवारे की बालू माफिया गिरोह से भिड़ंत हो जाती हैं. और उनके जरिए हथियार से डराया धमकाए जानें पर, मछुवारे को अपनी कमाई का आधा हिस्सा बालू माफियाओं को देना पड़ता हैं. और नहीं दिया तो इनकी हत्या कर दी जाती है.

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मल्लाह समुदाय के मुखिया मंगल राय

मुआवजे से रह जाते है वंचित
मछुवारों के घरों में जाकर हमने पड़ताल करने पर इनकी दर्द भरी दास्तान सामने आई. मछुवारों की मानें तो गंगा नदी में पहले बालू और मछली पकड़ने के लिये सरकार द्वारा कोई कानून नही बना था. एक नाविक ने बताया कि जिस काम को हमारे पुरखे करते आ रहे थे, वही काम को हमलोग आगे बढ़ा रहे हैं. मछली पकड़ने में खतरा हैं कई बार तो नदी के गहराई वाले क्षेत्र में डूबने से मौत भी होती हैं. मछुवारों का कहना है कि, हमारे समुदाय में कम शिक्षित होने के चलते हम कानूनी हक और मुआवजे से वंचित रह जाते है.

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हताश बैठे मछुवारे

बालू माफियाओं को देना पड़ता है आधा हिस्सा

समुदाय के मुखिया मंगल राय ने बैठक बुलाकर लोगों से से बात की. और कहा कि हमारे समुदाय के लोग सिर्फ जीविको-पार्जन के लिये अवैध बालू का उत्खनन करते हैं. लेकिन हमे इस बात का दु:ख हैं कि हमें अपनी कमाई का आधा हिस्सा बालू माफियाओं को देना पड़ता है. जरूरत हैं कि सरकार इनके कला को देखते हुए इन्हे छूट देकर कुछ राशि फिक्स कर दे. इससे सरकार की राजस्व में वृद्धि होंगी, साथ ही इनकी आर्थिक स्थिती में भी सुधार हो सकेगा.

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मछुवारे
Intro:लोकेशन: वैशाली
रिपोर्टर: राजीव कुमार श्रीवास्तवा
गंगा के गहराई में जाकर रोजाना मछली पकड़ने से लेकर अवैध बालू का उत्खनन करना उनके लिये मजबूरियां हैं साथ-ही साथ उनके जैसे पांच हजार से ज्यादा परिवार के लिये जीविका पार्जन भी हैं । हम बात कर रहें हैं सोनपुर प्रखण्ड क्षेत्र के सैदपुर गांव में रहने वाले पांच हजार की आबादी वाले मल्लाहों की ।


Body:सारण जिले के सोनपुर प्रखण्ड क्षेत्र में स्थित हैं सैदपुर ।यहा पांच हजार से कही ज्यादा आबादी मल्लाहों की हैं। यहां Etv भारत टीम द्वारा पड़ताल करने पर यह पाया गया कि ये जाति के लोग रोजाना दो जून की रोटी के लिये गंगा नदी से मछली पकड़ने से लेकर लाल बालू का उत्खनन जो वर्तमान में प्रदेश सरकार अवैध करार दिया हैं पर निर्भर हैं ।

मालूम हो कि ये मल्लाह यानी इन्हें आप नाविक के तौर पर जानते हैं। इनकी मानें तो इनके पिता और दादा पुरखों द्वारा इन्हें गंगा नदी में जाकर मछली पकड़ने से लेकर बालू उत्खनन करने की कला विरासत में मिली थी ।यही वजह हैं कि इनकी अशिक्षित और गरीब होने की चलते यह वर्षो से यह धंधा करते आ रहें हैं।

मछुवारे नाम से जानें वाले ये समुदाय के घरों में जाकर हमने पड़ताल करने पर पाया कि यह आज भी बेहद गरीब हैं। कम पढ़े- लिखें होने के चलते यह बिल्कुल सीधे- साधे होते हैं। हमने इनके कई लोगों से मिलने पर महसूस किया कि ये जीते तो है पर इनकी जिंदगी काफी संघर्ष पूर्ण हैं। आपको बतादें कि रोजाना यह मौत से सीधी टक्कर करते हैं और इसके तहत गंगा में बाढ़ का पानी आया हो फिर भी यह रोजाना चोरी चुपके दिन हो या रात गंगा में तेज धारा बहाव हो फिर भी अपनी जान की बाजी लगाकर नदियों के अंदर जाकर मछली और अवैध बालू उत्खनन करने में कोई गुरेज नहीं करते हैं। प्रशासन द्वारा इनकी गिरफ्तारी होती हैं फिर जेल में सजा काटने के बाद फिर से उसी धंधे में लग जाते हैं।

बालू माफिया गिरोह कौन लोग हैं :-
पटना से लेकर सारण जिले के गंगा किनारे इनके हजारो समुदाय के लोग रोजाना लाखों राशि के मछली एवं अवैध बालू उत्खनन कर उसका व्यापार करते हैं ।पर इनके इस धंधे पर बालू माफियाओं की बुरी नजर गड़ गयीं हैं। यही वजह हैं कि इन सभी मछुवारे को ऐसे बालू माफिया वाले को जिनका कई गिरोह हैं उनसे भिड़ंत होती हैं और उनके द्वारा हथियार से डराया धमकाए जानें पर इन बेचारों को अपनी मेहनत द्वारा कमाई की आधा हिस्सा इन बालू माफिया को देने पड़ते हैं । नहीं देने पर इनकी हत्या तक माफिया द्वारा कर देना आम बात हो गई हैं।


मछुवारे से मिलने के बाद इनका दर्द भरे बातें सामने आई इनकी मानें तो गंगा नदी में पहले बालू और मछली पकड़ने के लिये सरकार द्वारा कोई कानून नही बना था । तबसे यह धंधा करते आ रहें हैं। एक नाविक ने बताया कि जिस धंधे को हमारे पुरखों द्वारा करते आ रहा हैं वही धंधे को हमलोग आगें बढ़ा रहे हैं ।उंसने आगें कहा कि बाबू पढ़ाई लिखाई नही किये तो यह कला करने में भी कम मुश्किल नहीं हैं ।इसमें खतरा हैं ।कई बार कितने को नदी के गहराई वाले क्षेत्र में डूबने से मौत भी होती हैं जिसकी खबर की जानकारी सरकार को नही होती हैं। उंसने बताया कि हमारे समुदाय में कम शिक्षित होने के चलते हम कानूनी हक से मुआवजा से वंचित होते हैं।

पिछले 20 वर्षों से बालू माफिया की सैकड़ों की संख्या में गिरोह हो गई हैं और दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं। इसमे 20 से 30 वर्ष के युवक हैं। कम समय मे लाखो की कमाई महीने में यह गिरोह द्वारा कर लिया जाता हैं। पुलिस भी इनके साथ लालच देने के चलते मिल जाती हैं ।

तीन रोज पूर्व जिले के दिघवारा क्षेत्र में माफिया के वर्चस्व की लड़ाई में दो शख्स की मौत हुई थी इसमे एक मछुवारा और एक बालू माफिया वाला था ।इस घटना के बाद क्षेत्र में तनाव और दहशत बनी हुई हैं।

चूंकि जीविकापार्जन नदी में यही धंधा हैं तो घटना के बाद उसे भुलाने के लिये यहा के समुदाय मीटिंग कर एक दूसरे को मानसिक तौर पर मजबूत बनाने हुए देखे गए ।

क्षेत्र में यह समुदाय के मुखिया मंगल राय ने आवश्यक बैठक बुलाकर लोगों से अपील करते हुए देखा गया ।उंसने बताया कि हमारे समुदाय के लोग सिर्फ जीविकापार्जन के लिये अवैध बालू का उत्खनन करते हैं तो सरकार उनपर कारवाही करने के लिय आजाद हैं पर उंसने आगे बताया कि उसे सिर्फ इस बात का विरोध हैं कि उनके मछुवारे भाई अपनी कमाई की जरिया नदी में अवैध बालू उत्खनन करते हैं तो बालू माफिया उससे क्यों रंगदारी कर मोटी रकम उसूली करती हैं ।इसका वे विरोध करते हैं।


Conclusion:बहरहाल, गरीबी और अशिक्षित इनकी पीछा नही छोड़ती यही वजह हैं कि एक अरसे मुद्दत इस धंधे में गुजार जानें के बाद अब इनको आगे कुँआ और पीछे खाई वाली बात चरितार्थ साबित होती हैं। जरूरत हैं कि सरकार इनके कला को देखते हुए इनके द्वारा नदियों में कुछ छूट देकर इनसे राशि फिक्स कर दे इससे सरकार की राजस्व में वृद्धि होंगी साथ ही इनकी आर्थिक स्थितियों में रुकावट नही बनेंगी ।

VO: स्टोरी
PTC ओपन , संवाददाता , राजीव , वैशाली
बाइट : मुखिया मंगल राय मुखिया समुदाय मछुवारा सोनपुर
Last Updated : Aug 24, 2019, 9:08 AM IST
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