वैशाली/ सारण: सोनपुर के सैदपुर गांव में पांच हजार से ज्यादा आबादी मल्लाहों की हैं. यहां Etv भारत की टीम ने पड़ताल करने पर पाया कि ये लोग रोजाना दो जून की रोटी के लिये नदी से मछली पकड़ने से लेकर लाल बालू के उत्खनन पर निर्भर है. जिसे वर्तमान में प्रदेश सरकार ने अवैध करार दे दिया हैं. लेकिन क्या करें पांच हजार से ज्यादा परिवार के लिये भोजन इकट्टठा करना होता है. जिसके लिए अवैध बालू का उत्खनन करना इनके लिये मजबूरी बन गई हैं.
20 वर्षों से बालू माफिया का बढ़ रहा आतंक
पिछले 20 वर्षों से बालू माफिया की सैकड़ों की संख्या में गिरोह हो गई हैं, जो दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं. गिरोह में 20 से 30 वर्ष के युवक हैं. यह गिरोह महीने में लाखों की कमाई कर लेता हैं. पुलिस भी इनके साथ मिली होती हैं. तीन दिन पहले जिले के दिघवारा क्षेत्र में माफिया के वर्चस्व की लड़ाई में दो शख्स की मौत हो गई थी. इसमे एक मछुवारा और एक बालू माफिया की मृत्यु हो गई. इस घटना के बाद क्षेत्र में तनाव और दहशत बना हुआ हैं.
बालू माफियाओं की है बुरी नजर
पटना से लेकर सारण जिले के गंगा किनारे इनके हजारो समुदाय के लोग रोजाना लाखों रुपये का मछली और अवैध बालू का उत्खनन कर उसका व्यापार करते हैं. लेकिन इनके इस काम पर बालू माफियाओं की बुरी नजर गड़ गयीं हैं. यही वजह हैं कि इन सभी मछुवारे की बालू माफिया गिरोह से भिड़ंत हो जाती हैं. और उनके जरिए हथियार से डराया धमकाए जानें पर, मछुवारे को अपनी कमाई का आधा हिस्सा बालू माफियाओं को देना पड़ता हैं. और नहीं दिया तो इनकी हत्या कर दी जाती है.
मुआवजे से रह जाते है वंचित
मछुवारों के घरों में जाकर हमने पड़ताल करने पर इनकी दर्द भरी दास्तान सामने आई. मछुवारों की मानें तो गंगा नदी में पहले बालू और मछली पकड़ने के लिये सरकार द्वारा कोई कानून नही बना था. एक नाविक ने बताया कि जिस काम को हमारे पुरखे करते आ रहे थे, वही काम को हमलोग आगे बढ़ा रहे हैं. मछली पकड़ने में खतरा हैं कई बार तो नदी के गहराई वाले क्षेत्र में डूबने से मौत भी होती हैं. मछुवारों का कहना है कि, हमारे समुदाय में कम शिक्षित होने के चलते हम कानूनी हक और मुआवजे से वंचित रह जाते है.
बालू माफियाओं को देना पड़ता है आधा हिस्सा
समुदाय के मुखिया मंगल राय ने बैठक बुलाकर लोगों से से बात की. और कहा कि हमारे समुदाय के लोग सिर्फ जीविको-पार्जन के लिये अवैध बालू का उत्खनन करते हैं. लेकिन हमे इस बात का दु:ख हैं कि हमें अपनी कमाई का आधा हिस्सा बालू माफियाओं को देना पड़ता है. जरूरत हैं कि सरकार इनके कला को देखते हुए इन्हे छूट देकर कुछ राशि फिक्स कर दे. इससे सरकार की राजस्व में वृद्धि होंगी, साथ ही इनकी आर्थिक स्थिती में भी सुधार हो सकेगा.