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सोनपुर मेला में रहेगी इस बार खास रौनक, दर्शकों के लिए होंगे 7 थियेटर - Theater program in Sonepur

विश्वप्रसिद्ध सोनपुर मेला में घोड़े सहित 20 हाथी अभी से ही पहुंच चुके हैं. दुकानें अभी से ही सजने लगी हैं. इसके साथ ही इस बार यहां दर्शकों के लिए सात थियेटर भी पहुंचे चुके हैं.

सोनपुर
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Published : Nov 8, 2019, 11:43 AM IST

Updated : Nov 8, 2019, 3:05 PM IST

सोनपुर: 10 नवंबर से विश्वप्रसिद्ध सोनपुर मेला शुरू होने जा रहा है. यहां इसकी युद्धस्तर पर तैयारी चल रही है. इस बार यहां दर्शकों के लिए 7 थियेटर होंगे. प्रशासन से इसके लिए लाइसेंस की अनुमति मांगे जाने की बात कही जा रही है.

सोनपुर पशु मेला की तैयारी अंतिम चरण में है. अभी से ही यहां कई पशुओं का जमघट लगने लगा है. घोड़े सहित 20 हाथी अभी ही मेले में पहुंच चुके हैं. दुकाने अभी से ही सजने लगी है. इसके साथ इस बार यहां दर्शकों के लिए सात थियेटर भी पहुंचे चुके हैं. पिछले बार थियेटर की संख्या 5 ही था. इससे मेले का रौनक बढ़ने लगा है.

थियेटर संचालक का बयान

थियेटर की होगी पहले शुरुआत
थियेटर मालिकों ने बताया कि प्रशासन इस बार मेला की शुरुआत के दिन से ही थियेटर शुरू करने की अनुमति मिल जाएगी. मेले के दो दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा में लाखों लोग गंगा स्नान करने सोनपुर पहुंचते हैं. थियेटर की शुरुआत हो जाने से अच्छी कमाई हो सकेगी. पिछले बार थियेटर की अनुमति में देरी से नुकसान उठाना पड़ा था.

सोनपुर
सोनपुर मेला के लिए लगा पोस्टर

2 करोड़ 74 लाख की रही डाक
बता दें कि इस बार सोंनपुर के हरिहर क्षेत्र मेला परिसर में सरकारी डाक 2 करोड़ 74 लाख की लगी है. यह पिछले साल से 70 लाख ज्यादा है. पिछले साल मेला परिसर के सरकारी जमीन का डाक 2 करोड़ 4 लाख लगी थी. यहां सरकारी जमीन पर प्रति थियेटर को जमीन और डेक्रोशन में 40 लाख की राशि खर्च उठानी पड़ती है.

सोनपुर: 10 नवंबर से विश्वप्रसिद्ध सोनपुर मेला शुरू होने जा रहा है. यहां इसकी युद्धस्तर पर तैयारी चल रही है. इस बार यहां दर्शकों के लिए 7 थियेटर होंगे. प्रशासन से इसके लिए लाइसेंस की अनुमति मांगे जाने की बात कही जा रही है.

सोनपुर पशु मेला की तैयारी अंतिम चरण में है. अभी से ही यहां कई पशुओं का जमघट लगने लगा है. घोड़े सहित 20 हाथी अभी ही मेले में पहुंच चुके हैं. दुकाने अभी से ही सजने लगी है. इसके साथ इस बार यहां दर्शकों के लिए सात थियेटर भी पहुंचे चुके हैं. पिछले बार थियेटर की संख्या 5 ही था. इससे मेले का रौनक बढ़ने लगा है.

थियेटर संचालक का बयान

थियेटर की होगी पहले शुरुआत
थियेटर मालिकों ने बताया कि प्रशासन इस बार मेला की शुरुआत के दिन से ही थियेटर शुरू करने की अनुमति मिल जाएगी. मेले के दो दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा में लाखों लोग गंगा स्नान करने सोनपुर पहुंचते हैं. थियेटर की शुरुआत हो जाने से अच्छी कमाई हो सकेगी. पिछले बार थियेटर की अनुमति में देरी से नुकसान उठाना पड़ा था.

सोनपुर
सोनपुर मेला के लिए लगा पोस्टर

2 करोड़ 74 लाख की रही डाक
बता दें कि इस बार सोंनपुर के हरिहर क्षेत्र मेला परिसर में सरकारी डाक 2 करोड़ 74 लाख की लगी है. यह पिछले साल से 70 लाख ज्यादा है. पिछले साल मेला परिसर के सरकारी जमीन का डाक 2 करोड़ 4 लाख लगी थी. यहां सरकारी जमीन पर प्रति थियेटर को जमीन और डेक्रोशन में 40 लाख की राशि खर्च उठानी पड़ती है.

Intro:लोकेशन: वैशाली ।
रिपोर्टर: राजीव कुमार श्रीवास्तवा ।
: सोंनपुर का विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र पशु मेला का शुभारंभ परसों रोज तारीख 10 नवम्बर को हो रहा हैं। इस बार 7 थियेटर दर्शकों की भरपूर मनोरंजन करने पहुँच गए हैं। इनकी मानें तो प्रशासन द्वारा मेला की आरंभ के दिन से ही इन्हें लाइसेंस मिल जाएगा । जिससे इनकी कमाई ज्यादा बढ़ जाएंगी । गौरतलब हैं कि पिछले वर्ष प्रशासन द्वारा सभी थियेटर के संचालकों को मेले के कार्तिक पूर्णिमा के बाद मिलने से इनकी भारी नुकशान हुआ था ।


Body:प्रदेश का सोंनपुर का विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र पशु मेला की शुरुवात दस नवम्बर को हो रहीं हैं। इसके साथ ही मेला परिसर में पशु जानवर में अभी तक घोड़े का आगमन हो चुका हैं ।वही बाकी अन्य पशु आज रात से आने लगेंगे ।इस बार 20 हाथी के आगमन से मेला का रौनक काफी बढ़ गया हैं। मेले में छोटी- बड़ी दुकानें सजने लगीं हैं।

पर्यटन विभाग द्वारा इस मेला को संचालित किया जा रहा हैं। मालूम हो कि इस बार सोंनपुर के हरिहर क्षेत्र मेला परिसर में सरकारी का डाक 2 करोड़ 74 लाख की हैं। जो कि पिछले वर्ष से 70 लाख ज्यादा हैं। मालूम हो कि पिछले वर्ष मेला परिसर के सरकारी जमीन का डाक 2 करोड़ , 4 लाख थी ।

सोंनपुर मेला परिसर में इस बार सात थियेटर आ चुके हैं। जबकि पिछले वर्ष मात्र 5 ही थे ।माना जाता हैं कि इस बार सरकार द्वारा मेला में 20 हाथी दर्शकों के लिये उतारने के चलते दो और थियेटर की संख्या में इजाफा हो गया हैं।

इन थियेटर मालिको की बात करें तो इस बार प्रशासन द्वारा इन्हें मेला की आगाज के दिन से ही इन्हें थियेटर शुरू करने की इजाजत के तौर पर लाइसेंस मिल जाएगी ।इससे वे काफी उत्साहित हैं। एक थियेटर के सदस्य राजेश की मानें तो सरकार इस मेला को जिस तरह से प्रचार- प्रसार करने में जुटी हुई हैं ।इसके तहत हाथी को भी दर्शकों के लिये लाये जाएंगे ।तो क्यों नहीं ..? हमें भी मेला की आरम्भ के ही दिन से थियेटर स्टार्ट करने की इजाजत दे देती ताकि मेले के दो दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा में लाखों लोग गंगा - स्नान, पूजा करने के बाद मनोरंजन के लिये रात को थियेटर देखने आते ।इससे हमें आर्थिक तौर पर कमाई हो जाती ।


पिछले वर्ष यहा सभी पांच थियेटर को दर्शकों के लिये खोलने में देरी हुई थी । मेला का आरंभ होने के बाद कार्तिक पूर्णिमा के कुछ दिन बाद ही लाइसेंस मिल सका था ।इससे इनकी कमाई में आशानुरूप फायदा नहीं हुआ था ।


थियेटर का एक सदस्य राजेश ने वताया कि प्रशासन पिछले बार की स्थिति को देखते हुए इस बार हमें लाइसेंस पहले ही दे ।इसके लिये गुहार भी लगाते नजर आए । वही एक थियेटर के सदस्य को भरोषा हैं कि प्रशासन मेले को लेकर शुरुवाती बैठक में सकरात्मक रुख अपनाया था ।उंसने आगें बताया कि हमें प्रशासन पर पूरा भरोषा हैं कि वे अपनी कही हुई बात जरूर पूरा करने का कार्य करेंगी ।

मालूम हो कि यहा कुल सात थियेटर में से तीन थियेटर नखास क्षेत्र यानी कि सरकारी जमीन में हैं। वहीं अन्य चार थियेटर प्राइवेट जमीन पर हैं। बतादें की सरकारी जमीन पर प्रति थियेटर को जमीन और डेक्रोशन में 40 लाख की राशि खर्च उठानी पड़ती हैं। इसके अलावे प्रति थियेटर में 100 से ज्यादा डांस नर्तकी के साथ 50 अन्य कर्मचारी की खर्च में भी लाखों की खर्च होती हैं।

सभी कलाकार की सुरक्षा, ठहरने, खाने- पीने की अलग से व्यवस्था करना होता हैं। इसके अलावे प्रत्येक दिन प्रति डांस बाला नतर्की को 500 रुपये से लेकर 2000 से ज्यादा रुपये देनी होती हैं। मालूम हो कि इन सभी को ब्रोकर द्वारा 32 दिनों के लिये बुक किया जाता हैं।

प्रशासन द्वारा शुरुवाती दिनों में इन्हें लाइसेंस देने में असहज का सामना करना पड़ता हैं। इसके लिये प्रशासन सभी थियेटर में सीसीटीवी लगाने साथ ही प्रत्येक थियेटर में प्रशानिक अधिकारी जो खुद एक मजिस्ट्रेट भी होता हैं ।सभी थिएटरों में एक - एक मजिस्ट्रेट की प्रति नियुक्ति करती हैं। वहीं पूरी रात तक उसे ड्यूटी करनी पड़ती हैं ।ताकि शांति व्यवस्था कायम रहा सकें। सभी रात की नृत्य -डांस को अगले दिन एक अधिकारी की यूनिट जो मेला के शुरू होने से पहले गठित की जाती हैं ।उसे सभी विजुअल्स देखकर आलाधिकारी को इसकी रिपोर्ट देनी पड़ती हैं ।इसके बाद ही दूसरे दिन संध्या को उक्त थियेटर के संचालक को फिर से एक दिन के लिये लाइसेंस बढ़ाया जाता हैं। ऐसे में कोई थियेटर निर्धारित रूल नियम को अनदेखी करने पर साथ ही अश्लीलता परोसता पाया जाता हैं तो प्रशासन उस थियेटर की लाइसेंस समाप्त कर देता हैं।

पिछले वर्ष Etv भारत द्वारा इस मसले पर पड़ताल करने पर यह पाया गया था कि सभी पांच थियेटर को प्रशासन की ओर से जारी किए गए दिशा - निर्देश को ईमानदारी पूर्वक पालन किया था ।शायद यही वजह हैं कि इस बार ज्यादातर सभी थियेटर के संचालक को इस वर्ष दस नवम्बर से मेला की आगाज होने में शिरकत के लिये इजाजत मिल गयी हैं। अब इन सभी को इंतजार है कि प्रशासन इनकी थियेटर को मेले की शुरुआती आरम्भ के दिन खोलने के लिये इजाजत भी दे देंगी या नहीं !!

कुछ वर्ष पहले इसी सोंनपुर के विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र पशु मेला में थियेटर में अश्लीलता परोसने की घटना घट चुकी हैं । मीडिया द्वारा खबर की कवरेज करने की घटना प्रकाशित करने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया था । इसके बाद जिला प्रशासन ने आनन फानन में कई थिएटरों की लाइसेंस की प्रमिशन खत्म कर दिया था।

सदियों से सोंनपुर के विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र मेला में मनोरंजन के लिये नाच- गाना गीत की दौर होती रहीं हैं। इसके स्वरूप में काफी तेजी से बदलाव हुआ हैं।

एक थियेटर मालिक की मानें तो पर्यटन विभाग द्वारा विगत कुछ वर्षों से यह मेला का संचालन किया जाता आ रहा हैं। आज से 7 वर्ष पूर्व सरकार द्वारा मेला का डाक सिर्फ 15 से 20 लाख हुआ करती थी। उसके पूर्व जिला प्रशासन द्वारा जिले में ही एक ही दिन खुला डाक हुआ करता था ।उस समय महज 4 से 5 लाख की राशि मे ही तय हो जाता था ।समय के साथ इसमें महँगाई की डायन ने इसे भी नहीं बख्शा ।आज देखते ही देखते इस बार मेला परिसर की सरकारी जमीन की डाक 2 करोड़ 74 लाख की हो गई हैं।


थियेटर का प्रचलन अब व्यवसायिक रूप ले लिया हैं। हमने पड़ताल किया तो पता चला कि प्रत्येक थियेटर के संचालक में आठ से बारह पार्टनर होते हैं। यह सभी शुरुवाती समय में जमीन पूरे मेले के लिये बुक करते हैं। जमीन से लेकर साज- सजावट और डेक्रोशन में प्रति थिएयर को संचालित करने में कुल 35 से 40 लाख रुपये लगता हैं। इसमें सभी पार्ट्नर बराबर की राशि मिलाती हैं। यानी कि ये थियेटर के लिये जमीन डेक्रोशन के साथ साथ अन्य सुविधा देते हैं । ये एक तरह से एक तैयार प्लेटफॉर्म देते हैं वो भी पूरे 32 दिनों के लिये । थियेटर शुरू होने के पहले ब्रोकर द्वारा 100% में अपनी रोजाना या पूरे मेले तक 32 दिनों का लेखा जोखा की हिसाब में अपनी परसेंटेज बांध देते है ।

पिछले कई वर्षों से थियेटर के संचालित करने में इन्हें बहुत फायदा होता हैं।


Conclusion:बहरहाल, प्रशासन इनकी मांग मान जाए यही उम्मीद ये करते नजर आते हैं।
राजा महाराजाओं द्वारा भी मेला में डांस- नृत्य का आनंद लेने की बातों की चर्चा हमें मिलती हैं।

स्टोरी
01. VO से.. शुरू हैं।
OPEN PTC संवाददाता, राजीव, वैशाली ।
बाईट्स: थियेटर मालिक सदस्य
संख्या: 02

02: VO
CLOSE PTC संवाददाता, राजीव, वैशाली ।
Last Updated : Nov 8, 2019, 3:05 PM IST
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