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बाढ़ शहर में जलजमाव से जनता परेशान, सरकार नहीं निकाल रही कोई समाधान

बाढ़ अनुमंडल की स्थिति बेहद खराब होती जा रही है. यहां की जनता सुविधाओं के अभाव में त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रही है, लेकिन सरकार और प्रशासन की तरफ से अब तक कोई मदद नहींं मिली है.

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Published : Jul 26, 2020, 10:44 PM IST

पटना(बाढ़): लोकसभा के नए परिसीमन के पूर्व जब बाढ़ 'लोकसभा क्षेत्र' हुआ करता था तो इसी बाढ़ ने एक शख्स को लगातार 5 बार जिताकर देश में राजनीतिक पहचान दी. विपक्ष का आरोप है कि आज उसी व्यक्ति ने बाढ़ को हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया है. उस व्यक्ति का नाम है नीतीश कुमार, जिनके हाथ में आज पूरे बिहार की कमान है. आरोप है कि जबसे नीतीश कुमार को बाढ़ में हार का सामना करना पड़ा है, तब से वे पूर्वाग्रह से ग्रसित हो गए हैं.

थम गया बाढ़ का विकास
पिछले 2 वर्षों से तो बाढ़ नगर परिषद में ऐसे-ऐसे पदाधिकारियों की पद स्थापना हुई है कि बाढ़ का विकास ही थम गया है. बाढ़ शहर का आधा भूभाग नरक में तब्दील हो गया है. पहली बरसात में ही बाढ़ शहर के वार्ड नंबर-25 स्थित नया टोला दयाचक, लहरिया पोखर, वार्ड नंबर-8 स्थित बेली स्कूल के पीछे का भू-भाग, वार्ड नंबर-23 का काजीचक मोहल्ला जैसे शहर के कई मोहल्ले और गली आज की तारीख में जलजमाव से इस तरह ग्रसित हैं कि लोग अपने पड़ोसी के घर भी नहीं जा पा रहे हैं.

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गांव में घुसा पानी

कई बार लोगों ने लगाई है गुहार
जलजमाव पीड़ितों के लाख गुहार के बावजूद जल निकासी की तरफ किसी अधिकारी का कोई ध्यान नहीं है. यहां के बाशिंदे अपनी खींज वार्ड पार्षद पर उतार रहे हैं. हालांकि उनको क्या पता कि जब इस सरकार के शासनकाल में नेता-मंत्री का कोई कुछ नहीं सुनता है, तो बाढ़ पार्षद की कौन सुनेगा?

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सड़कें झील में तब्दील

बाढ़ में आई बाढ़
आज भी नगर परिषद के चेयरमैन की कुर्सी पर वही शख्स विराजमान है, जिन्होंने पिछले साल वादा किया था कि अगले साल से बाढ़ में कभी जलजमाव नहीं होगा. जबकि बाढ़ पहले सिर्फ नाम का बाढ़ था. आज सचमुच बाढ़ में बाढ़ आ गई है. जलजमाव से त्वरित मुक्ति के लिए पीड़ितों ने शनिवार को अनुमंडल अधिकारी से मिलकर अपना दुखड़ा सुनाया है.

जबकि इस मामले में बाढ़ नगर परिषद के पदाधिकारी पहले ही हाथ उठा चुके हैं. अब भी यदि इन्हें जलजमाव से मुक्ति नहीं मिलती है तो यह कहावत बिल्कुल सटीक बैठेगी कि-'अंधों के आगे रोना और अपना दीदा खोना' बिल्कुल बराबर है.

पटना(बाढ़): लोकसभा के नए परिसीमन के पूर्व जब बाढ़ 'लोकसभा क्षेत्र' हुआ करता था तो इसी बाढ़ ने एक शख्स को लगातार 5 बार जिताकर देश में राजनीतिक पहचान दी. विपक्ष का आरोप है कि आज उसी व्यक्ति ने बाढ़ को हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया है. उस व्यक्ति का नाम है नीतीश कुमार, जिनके हाथ में आज पूरे बिहार की कमान है. आरोप है कि जबसे नीतीश कुमार को बाढ़ में हार का सामना करना पड़ा है, तब से वे पूर्वाग्रह से ग्रसित हो गए हैं.

थम गया बाढ़ का विकास
पिछले 2 वर्षों से तो बाढ़ नगर परिषद में ऐसे-ऐसे पदाधिकारियों की पद स्थापना हुई है कि बाढ़ का विकास ही थम गया है. बाढ़ शहर का आधा भूभाग नरक में तब्दील हो गया है. पहली बरसात में ही बाढ़ शहर के वार्ड नंबर-25 स्थित नया टोला दयाचक, लहरिया पोखर, वार्ड नंबर-8 स्थित बेली स्कूल के पीछे का भू-भाग, वार्ड नंबर-23 का काजीचक मोहल्ला जैसे शहर के कई मोहल्ले और गली आज की तारीख में जलजमाव से इस तरह ग्रसित हैं कि लोग अपने पड़ोसी के घर भी नहीं जा पा रहे हैं.

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गांव में घुसा पानी

कई बार लोगों ने लगाई है गुहार
जलजमाव पीड़ितों के लाख गुहार के बावजूद जल निकासी की तरफ किसी अधिकारी का कोई ध्यान नहीं है. यहां के बाशिंदे अपनी खींज वार्ड पार्षद पर उतार रहे हैं. हालांकि उनको क्या पता कि जब इस सरकार के शासनकाल में नेता-मंत्री का कोई कुछ नहीं सुनता है, तो बाढ़ पार्षद की कौन सुनेगा?

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सड़कें झील में तब्दील

बाढ़ में आई बाढ़
आज भी नगर परिषद के चेयरमैन की कुर्सी पर वही शख्स विराजमान है, जिन्होंने पिछले साल वादा किया था कि अगले साल से बाढ़ में कभी जलजमाव नहीं होगा. जबकि बाढ़ पहले सिर्फ नाम का बाढ़ था. आज सचमुच बाढ़ में बाढ़ आ गई है. जलजमाव से त्वरित मुक्ति के लिए पीड़ितों ने शनिवार को अनुमंडल अधिकारी से मिलकर अपना दुखड़ा सुनाया है.

जबकि इस मामले में बाढ़ नगर परिषद के पदाधिकारी पहले ही हाथ उठा चुके हैं. अब भी यदि इन्हें जलजमाव से मुक्ति नहीं मिलती है तो यह कहावत बिल्कुल सटीक बैठेगी कि-'अंधों के आगे रोना और अपना दीदा खोना' बिल्कुल बराबर है.

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