पटनाः प्रदेश में कोरोना का प्रकोप लगातार जारी है. लोगों में इसे लेकर इस कदर भय समाया है कि 'संक्रमण' रिश्तों तक पहुंचने लगा है. पटना में एक युवक की कोरोना से मौत के बाद परिवार वालों ने इस तरह दूरी बनाई कि 20 घंटे तक शव यूं ही पड़ा रहा, कोई छुने को तैयार नहीं था. अंत में प्रशासन ने शव का अंतिम संस्कार कराया.
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दरअसल, पूरा मामला राजधानी से सटे फुलवारी शरीफ इलाके का है. जहां जानीपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत नगवा डेरा में 20 वर्षाय सुधीर पिछले एक सप्ताह से बीमार था. कोरोना के तमाम लक्षण के बावजूद अस्पताल नहीं गया. घरेलू उपचार और स्थानीय डॉक्टर की सलाह पर घर पर ही इलाज करता रहा. बुधवार की रात करीब 8 बजे अचानक तबीयत ज्यादा बिगड़ी, इससे पहले की परिजन कुछ सोच पाते युवक ने दम तोड़ दिया.
घर में पड़ा रहा शव, परिजन थे बाहर
जिसके बाद परिजन और ग्रामीणों में संक्रमण के भय समा गया. कोई उसके शव में सटने को तैयार नहीं था. लोगों ने स्थानीय प्रशासन को इसकी सूचना दी लेकिन कोई सुध नहीं लिया. इस तरह शव 20 घंटे तक घर में यूं ही पड़ा रहा. इस दौरान परिजन घर के बाहर रहे.
किसी तरह इसकी सूचना भाकपा माले के स्थानीय विधायक गोपाल रविदास को मिली. जिसके बाद वे डीएम से बातकर उन्हें पूरे मामले से अवगत कराया. फिर डीएम के आदेश पर जिला प्रशासन सक्रिय हुआ और एंबुलेंस से युवक के शव को बांस घाट ले जाकर दाह संस्कार कराया गया. डीएम ने मृतक के परिजनों को आपदा के तहत मिलने वाली 4 लाख की राशि दिलाने का आश्वासन दिया है.
विधायक ने स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठाया सवाल
गोपाल रविदास ने बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्थआ पर सवाल खड़े करते हुए सराकर को जमकर कोसा. उन्होंने कहा ‘बिहार की आबादी 13 करोड़ है. लेकिन 1300 कोरोना पीड़ितों को भी सरकार अस्पताल में समुचित इलाज देने में सक्षम नहीं है. अस्पतालों की हालत देखकर मरीज वहां जाना नहीं चाह रहे हैं और इलाज के अभाव में संक्रमितों की मौत रही है.’
विधायक ने कहा कि बिहार को फिलहाल डॉक्टर और पारा मेडिकल स्टाफ की जरूरत है. ऐसे में सरकार को बड़े पैमाने पर बहाली करनी चाहिए. यहां लाखों की संख्या में नौजवान बेरोजगार हैं, यदि सरकार आदेश दे तो ये सेवा में जुटने के लिए तैयार हैं.