सुपौल: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को सुपौल जिले (CM Nitish Kumar In supaul) के बीरपुर स्थित नव निर्माणाधीन फिजिकल मॉडलिंग सेंटर (cm nitish inspect physical modeling center) और कोसी तटबंध पर बाढ़ पूर्व तैयारियों का निरीक्षण किया. सबसे पहले मुख्यमंत्री बीरपुर में बन रहे फिजिकल मॉडलिंग सेंटर (वॉटर रिचर्स सेंटर) का निरीक्षण करने पहुंचे. इसके बाद, कोसी के पूर्वी तटबंध के कई स्पर का बारीकी से जायजा लिया और जल संसाधन के अधिकारियों को निर्देश दिए.
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बता दें कि बिहार के सुपौल जिले के बीरपुर में बाढ़ प्रबंधन, बिहार कोसी बेसिन विकास परियोजना (Bihar Kosi Basin Development Project) के अंतर्गत फिजिकल मॉडलिंग सेंटर (भौतिकीय प्रतिमान केंद्र) (Establishment of Physical Modelling Centre at Birpur) का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा हैं. फिजिकल मॉडलिंग सेंटर निर्माण कार्य दिसंबर 2022 में बनकर तैयार होना हैं.
बाढ़ पूर्व तैयारियों पर नजर: संसाधन मंत्री संजय झा (Minister Sanjay Jha) लगातार सभी प्रमंडलों में बाढ़ पूर्व तैयारियों का पिछले कई दिनों से जायजा ले रहे हैं. जल संसाधन विभाग का दावा है कि इस बार तैयारी पूरी है. कई तरह के आधुनिक टेक्नोलॉजी का भी प्रयोग किया गया है. उत्तर बिहार के 1 दर्जन से अधिक जिलों में हर साल बाढ़ आती है. कोसी, गंडक, बागमती नदियों में नेपाल से आने वाले पानी के कारण तबाही मचाती है. ऐसे तो हर साल तैयारियों को लेकर बड़ी राशि खर्च की जाती है. बड़े-बड़े दावे भी किये जाते हैं लेकिन लोगों की मुश्किल कम नहीं हो रही है. अब देखना है इस बार की तैयारी किस तरह की है और लोगों को कितनी राहत मिलती है.
पिछले साल 6.64 लाख हेक्टेयर फसल को नुकसान: पिछले साल बाढ़ से लगभग 80 लाख की आबादी प्रभावित हुई थी. 21 जिलों के 294 प्रखंडों में बाढ़ ने तबाही मचायी थी. 6.64 लाख हेक्टेयर फसल की क्षति हुई थी और राज्य सरकार की तरफ से 900 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का बाढ़ प्रभावितों के बीच भुगतान किया गया था. ऐसे तो जल संसाधन विभाग के मंत्री का दावा है कि बाढ़ से निपटने की पूरी तैयारी हो रही है. आधुनिक टेक्नोलॉजी का भी प्रयोग किया जा रहा है.
अब 3 से 4 महीने आपदा पर नजर : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने भी कहा है कि अब हम लोगों का पूरा ध्यान 3 से 4 महीने आपदा पर ही रहेगा. जल्द ही उसकी बैठक भी करेंगे. जल संसाधन विभाग की ओर से बाढ़ की जानकारी, बचाव और सुरक्षा को लेकर आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है. तटबंद पर स्टील शीट पाइलिंग तकनीक का भी उपयोग किया जा रहा है.
बिहार में बाढ़ का सबसे बड़ा कारण नेपाल से आने वाला बारिश का पानी है. कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक सहित कई नदियां नेपाल में अप्रत्याशित बारिश के कारण बाढ़ लाती हैं. नेपाल में डैम बनाने की चर्चा भी लंबे समय से हो रही है. अभी हाल में नेपाल के शिष्टमंडल ने पटना में अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी. डैम बनाने को लेकर भारत और नेपाल के बीच समझौता भी है लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी है. यहां तक कि नेपाल के लोगों ने डैम के लिए सर्वे तक नहीं करने दिया है.
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