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18 साल बाद सरायगढ़-निर्मली रेलखंड तैयार, रेलवे सेफ्टी CSR ने ट्रैक को दी हरी झंडी.. जल्द चलेगी ट्रेन - निर्मली से तमुरिया तक निरीक्षण

मिथिलांचल के लिए जो सपना पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने देखा था. वह सपना अब पूरा होता हुआ दिखाई देने लगा है. दो भागों में विभक्त मिथिलांचल अब जल्द ही एक हो जाएगा. दरअसल, शनिवार को रेलवे सेफ्टी यानि CRS शैलेश पाठक ने स्पीड ट्रायल के बाद निर्मली से तमुरिया तक निरीक्षण किया. जिसके बाद उन्होंने ट्रेन चलाने को लेकर हरी झंडी दे दी.

सरायगढ़-निर्मली रेलखंड पर जल्द दौड़ेगी ट्रेन
सरायगढ़-निर्मली रेलखंड पर जल्द दौड़ेगी ट्रेन
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Published : Feb 19, 2022, 8:49 PM IST

सुपौल: यूं तो सहरसा से सुपौल- सरायगढ़ और निर्मली रेलखंड (Saraigarh and Nirmali railway line) से पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी द्वारा उद्घाटन के बाद जुड़ चुका है. लेकिन इस सीआरएस के बाद पूरे मिथिलांचल को सहरसा से कनेक्ट करने की हरी झंडी मिल गयी है. अब उम्मीद लगायी जा रही है कि दिल्ली और हावड़ा के लिए ट्रेन जल्द ही दौड़ने लगेगी. सीआरएस ने बताया कि रेलवे सुरक्षा एवं परिचालन को लेकर निरीक्षण किया गया है. सीआरएस पूरी तरह से सफल रहा. उनकी तरफ से ग्रीन सिग्नल हो चुका है. अब रेल मंत्रालय के द्वारा ट्रेन परिचालन को लेकर निर्णय ले लिया जाएगा.

ये भी पढ़ें- VIDEO : मधुबनी रेलवे स्टेशन पर खड़ी ट्रेन में लगी आग, धू-धू कर जल उठी बोगियां

रेल परिचालन की तिथि के संबंध में पूछे जाने पर सीआरएस ने बताया कि निरीक्षण से संबंधित रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को भेजा जाएगा. फिर विभागीय विचार विमर्श के उपरांत लिए गए निर्णय के आलोक में रेल परिचालन की तिथि घोषित की जाएगी. उम्मीद जतायी कि एक सप्ताह में झंझारपुर- सकरी- दरभंगा रेलखंड भी निर्मली स्टेशन से जुड़ जाएगा.

सीआरएस शैलेश पाठक ने बताया इन जगहों पर रेल की कनेक्टिविटी बढ़ने से क्षेत्र विकास की ओर अग्रसर होगा. मौके पर सीआरएस के साथ मुख्य प्रशासनिक अधिकारी पवन कुमार गोयल, डीआरएम आलोक अग्रवाल, डिप्टी चीफ इंजीनियर डीएस श्रीवास्तव आदि मौजूद थे.

मालूम हो कि सहरसा-फारबिसगंज व सरायगढ़-निर्मली रेलखंड में अमान परिवर्तन कार्य की नींव करीब 18 साल पहले रखी गयी थी. सकरी- झंझारपुर-निर्मली रेलखंड की लम्बाई करीब 62 किलोमीटर है. झंझारपुर-निर्मली रेलखंड में दीप, तमुरिया, घोघरडीहा, निमुआं, घोघरडीहा, परसा, चिकना निर्मली आदि स्टेशन और हाल्ट पड़ते हैं. निर्मली से रेल परिचालन शुरू होने की उम्मीद से यहां लोगों की भारी भीड़ उमड़ी थी. लोगों में हर्ष का माहौल था.

करीब 88 वर्ष बाद इस क्षेत्र में रेल चलने की उम्मीद से लोग फूले नहीं समा रहे थे. ज्ञात हो कि करीब 09 दशक पूर्व सरायगढ़-निर्मली रेलखंड में छोटी लाइन की ट्रेन चलती थी. लेकिन साल 1934 में आए भीषण भूकंप व कोसी की बाढ़ में यह रेलखंड तबाह हो गया. तब से इस क्षेत्र में रेल सेवा पूरी तरह ठप है. जिसके कारण क्षेत्र के विकास की गति भी बाधित है. रेलखंड में फिर से ट्रेन सेवा शुरू होने से लोगों को जहां रेल यातायात की सुविधा सुलभ होगी. वहीं इलाके का आर्थिक विकास भी तीव्र होगा.

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सुपौल: यूं तो सहरसा से सुपौल- सरायगढ़ और निर्मली रेलखंड (Saraigarh and Nirmali railway line) से पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी द्वारा उद्घाटन के बाद जुड़ चुका है. लेकिन इस सीआरएस के बाद पूरे मिथिलांचल को सहरसा से कनेक्ट करने की हरी झंडी मिल गयी है. अब उम्मीद लगायी जा रही है कि दिल्ली और हावड़ा के लिए ट्रेन जल्द ही दौड़ने लगेगी. सीआरएस ने बताया कि रेलवे सुरक्षा एवं परिचालन को लेकर निरीक्षण किया गया है. सीआरएस पूरी तरह से सफल रहा. उनकी तरफ से ग्रीन सिग्नल हो चुका है. अब रेल मंत्रालय के द्वारा ट्रेन परिचालन को लेकर निर्णय ले लिया जाएगा.

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रेल परिचालन की तिथि के संबंध में पूछे जाने पर सीआरएस ने बताया कि निरीक्षण से संबंधित रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को भेजा जाएगा. फिर विभागीय विचार विमर्श के उपरांत लिए गए निर्णय के आलोक में रेल परिचालन की तिथि घोषित की जाएगी. उम्मीद जतायी कि एक सप्ताह में झंझारपुर- सकरी- दरभंगा रेलखंड भी निर्मली स्टेशन से जुड़ जाएगा.

सीआरएस शैलेश पाठक ने बताया इन जगहों पर रेल की कनेक्टिविटी बढ़ने से क्षेत्र विकास की ओर अग्रसर होगा. मौके पर सीआरएस के साथ मुख्य प्रशासनिक अधिकारी पवन कुमार गोयल, डीआरएम आलोक अग्रवाल, डिप्टी चीफ इंजीनियर डीएस श्रीवास्तव आदि मौजूद थे.

मालूम हो कि सहरसा-फारबिसगंज व सरायगढ़-निर्मली रेलखंड में अमान परिवर्तन कार्य की नींव करीब 18 साल पहले रखी गयी थी. सकरी- झंझारपुर-निर्मली रेलखंड की लम्बाई करीब 62 किलोमीटर है. झंझारपुर-निर्मली रेलखंड में दीप, तमुरिया, घोघरडीहा, निमुआं, घोघरडीहा, परसा, चिकना निर्मली आदि स्टेशन और हाल्ट पड़ते हैं. निर्मली से रेल परिचालन शुरू होने की उम्मीद से यहां लोगों की भारी भीड़ उमड़ी थी. लोगों में हर्ष का माहौल था.

करीब 88 वर्ष बाद इस क्षेत्र में रेल चलने की उम्मीद से लोग फूले नहीं समा रहे थे. ज्ञात हो कि करीब 09 दशक पूर्व सरायगढ़-निर्मली रेलखंड में छोटी लाइन की ट्रेन चलती थी. लेकिन साल 1934 में आए भीषण भूकंप व कोसी की बाढ़ में यह रेलखंड तबाह हो गया. तब से इस क्षेत्र में रेल सेवा पूरी तरह ठप है. जिसके कारण क्षेत्र के विकास की गति भी बाधित है. रेलखंड में फिर से ट्रेन सेवा शुरू होने से लोगों को जहां रेल यातायात की सुविधा सुलभ होगी. वहीं इलाके का आर्थिक विकास भी तीव्र होगा.

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