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सिवान: सालों से पुल की मांग कर थक चुके लोगों ने चंदे से बनवाया लोहे का पुल - pakwalia village bridge latest news

हजारों की आबादी वाले इस गांव मे आने जाने के लिए दाहा नदी पर बने लकड़ी के चचरी के पुल से लोगों को गुजरना पड़ता था. जो काफी जोखिम भरा था. वहीं बरसात के मौसम में यह सफर और भी जोखिम भरा हो जाता था.

ग्रामीणों ने खुद ही चंदा इकट्ठा कर किया पुल का निर्माण
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Published : Aug 19, 2019, 2:26 PM IST

सिवान: सरकार एक तरफ जहां राज्य भर में नए-नए पुल का निर्माण करवा रही है. वहीं कई गांव में अभी भी पुल नहीं होने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसा ही एक गांव है पकवलिया. इस गांव के लोग लकड़ी के बने चचरी पुल के सहारे आवागमन करने को मजबूर थे. कई बार ग्रामीण हादसे के शिकार भी हो जाते थे. जिसके बाद ग्रामीणों ने खुद ही चंदा इकट्ठा कर यहां पुल का निर्माण कराया.

ग्रामीणों ने खुद ही चंदा इकट्ठा कर किया पुल का निर्माण

पुल से गिरकर कई लोग हो चुके हैं घायल
जिले का पकवलिया गांव जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जहां के लोग खुद से बनाये गए लकड़ी के चचरी पुल के सहारे आवाजाही करते थे. रोजाना बच्चे भी इसी लकड़ी के बने पुल से होकर स्कूल जाते थे. कई बार लोग इस पुल से नीचे गिरकर घायल भी हो चुके हैं. लेकिन आज तक जिला प्रशासन के किसी अधिकारी ने लोगों की इस समस्या की सुध तक नहीं ली. बता दें कि इसी पंचायत ने सिवान जिले को दो-दो सांसद दिया था. एक हैं पूर्व सांसद मो० शहाबुद्दीन और दूसरे हैं महराजगंज के पूर्व सांसद उमाशंकर सिंह.

siwan news
लकड़ी के चचरी पुल के सहारे आवाजाही करते थे लोग

बरसात में लोगों को होती थी काफी परेशानी
हजारों की आबादी वाले इस गांव में आने जाने के लिए दाहा नदी पर बने चचरी पुल से लोगों को गुजरना पड़ता था. जो काफी जोखिम भरा था. वहीं बरसात के मौसम में यह सफर और भी जोखिम भरा हो जाता था. जिसकी वजह से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था. जिसके बाद ग्रामीण खुद ही चंदा इकट्ठा कर यहां एक लोहे के चदरे का पुल का बनवा रहे हैं. इस पुल के निर्माण से ग्रामीण काफी खुश हैं. वहीं उन्हें दुःख इस बात का है कि बार-बार जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाने के बाद भी उन्हें एक पुल भी नहीं मिल सका.

सिवान: सरकार एक तरफ जहां राज्य भर में नए-नए पुल का निर्माण करवा रही है. वहीं कई गांव में अभी भी पुल नहीं होने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसा ही एक गांव है पकवलिया. इस गांव के लोग लकड़ी के बने चचरी पुल के सहारे आवागमन करने को मजबूर थे. कई बार ग्रामीण हादसे के शिकार भी हो जाते थे. जिसके बाद ग्रामीणों ने खुद ही चंदा इकट्ठा कर यहां पुल का निर्माण कराया.

ग्रामीणों ने खुद ही चंदा इकट्ठा कर किया पुल का निर्माण

पुल से गिरकर कई लोग हो चुके हैं घायल
जिले का पकवलिया गांव जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जहां के लोग खुद से बनाये गए लकड़ी के चचरी पुल के सहारे आवाजाही करते थे. रोजाना बच्चे भी इसी लकड़ी के बने पुल से होकर स्कूल जाते थे. कई बार लोग इस पुल से नीचे गिरकर घायल भी हो चुके हैं. लेकिन आज तक जिला प्रशासन के किसी अधिकारी ने लोगों की इस समस्या की सुध तक नहीं ली. बता दें कि इसी पंचायत ने सिवान जिले को दो-दो सांसद दिया था. एक हैं पूर्व सांसद मो० शहाबुद्दीन और दूसरे हैं महराजगंज के पूर्व सांसद उमाशंकर सिंह.

siwan news
लकड़ी के चचरी पुल के सहारे आवाजाही करते थे लोग

बरसात में लोगों को होती थी काफी परेशानी
हजारों की आबादी वाले इस गांव में आने जाने के लिए दाहा नदी पर बने चचरी पुल से लोगों को गुजरना पड़ता था. जो काफी जोखिम भरा था. वहीं बरसात के मौसम में यह सफर और भी जोखिम भरा हो जाता था. जिसकी वजह से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था. जिसके बाद ग्रामीण खुद ही चंदा इकट्ठा कर यहां एक लोहे के चदरे का पुल का बनवा रहे हैं. इस पुल के निर्माण से ग्रामीण काफी खुश हैं. वहीं उन्हें दुःख इस बात का है कि बार-बार जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाने के बाद भी उन्हें एक पुल भी नहीं मिल सका.

Intro:ग्रामीण चंदा के पैसों से बना रहे पुल

सिवान

आजादी के दशकों बीत जाने के बाद भी सिवान के पक्वलिया गांव में जब पुल का निर्माण न हो सकता तो धक हार के ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा करके पुल का निर्माण कार्य करवा रहे हैं. करीब 10 हजार की आबादी वाले इस गांव को आज तक पुल नसीब नहीं होने के कारण ग्रामीण आक्रोशित हैं. गांव के लोग लकड़ी के बने चचरे के पुल के सहारे आवागमन करने को मजबूर थे कई बार ग्रामीण हादसे के शिकार हो जाते थे.मजबूरन इन्हे खुद के पैसों से पुल बना एक मिशाल पेश कर रहे हैं.





Body:जहां सरकार राज्य भर में नए नए पुल का निर्माण करवा रही है वही गाँव मे अभी भी पुल नहीं होने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था.ये गाँव जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर दूर पर स्थित पकवलिया जहां के लोग खुद से बनाये गए लकड़ी के चचरे पुल के सहारे आवाजाही करते थे वही रोजाना बच्चे भी इसी लकड़ी के बने पुल से होकर स्कूल जाते थे कई बारे लोग इस पुल से नीचे गिरकर घायल भी हो चुके हैं पर आज तक जिला प्रशासन के कोई अधिकारी कोई जनप्रतिनिधि ने लोगो की इस समस्या की सुध तक नहीं ली.मालूम हो कि इसी पंचायत ने सिवान जिले को दो दो सांसद दिया था एक पूर्व सांसद मो० शहाबुद्दीन और दूसरे महराजगंज के पूर्व सांसद उमाशंकर सिंह. हजारों की आबादी वाले इस गाँव मे आने जाने के लिए दाहा नदी पर ग्रामीणों के सहायता से बने लकड़ी के चचरे के पुल से गुजरना पड़ता था जो काफी जोखिमभरा था. वही बरसात के मौसम में ये सफर और भी जोखिमभरा हो जाता था जब डगर फ़िसलन भरी हो जाये और पानी का लेबल बढ़ने से लोगो को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था.जिसके बाद ग्रामीणों ने मिलकर एक लोहे के चदरे का पुल का निर्माण करा रहे हैं.जिसको लेकर गांव के लोग काफी खुश हैं वही उन्हें दुःख इस बात की है की बार बार जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाने के बाद भी उन्हें एक पुल न मिल सका.

बाइट-छात्रा,(नीलम कुमारी)
बाइट-ग्रामीण, (शदाम,राजू)
बाइट-पूर्व सांसद(ओम प्रकाश यादव)



Conclusion:
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