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स्वतंत्रता सेनानी जंगबहादुर सिंह के देशभक्ति गीतों से कांपते थे अंग्रेज, 102 साल में आज भी हाई है जोश

सिवान के जंगबहादुर सिंह ने गुलामी के दौर में देशभक्ति गीत से अंग्रेजों को छक्के छुड़ाए थे. जिसके चलते ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें जेल भेज दिया था. आज 102 साल की उम्र में भी उनका देशभक्ति का जुनून कम नहीं हुआ है. आजादी के पहले अंग्रेजों ने इनके गाने पर बैन लगा रखा था. फिर भी इन्होंने देशभक्ति भरे गीतों को गाना नहीं छोड़ा. गीत सुनते ही आजादी के मतवालों का खून खौलने लगता था. पढ़ें पूरी खबर..

स्वतंत्रता सेनानी जंगबहादुर सिंह जिनके गानों पर अंग्रेजों ने लगा रखा था बैन
परिवार के साथ जंगबहादुर सिंह
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Published : Aug 14, 2022, 4:54 PM IST

Updated : Aug 14, 2022, 5:50 PM IST

सिवान: देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) मना रहा है. सभी देशवासी अपने स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर रहे हैं, लेकिन सौभाग्य से आज भी कुछ स्वतंत्रता सेनानी हमारे बीच मौजूद हैं. उन्होंने इस देश को आजाद होते हुए देखा है. वह इस देश की 75 साल की गौरवशाली यात्रा के गवाह बने हैं. भारत को विकास के पथ पर बढ़ते हुए देखा है. दरअसल, भारत जब अंग्रेजों के हाथों गुलाम था, उस समय खबर पहुंचाने का कोई माध्यम नहीं था, तब लोक गायिकी ही एक ऐसा माध्यम था, जिससे भारतीय युवाओं में जोश भरने का काम किया जाता था. ऐसे ही एक स्वतंत्रता सेनानी है सिवान के जंगबहादुर सिंह (Freedom Fighter Jang Bahadur Singh), जिन्होंने अपनी गायिकी के माध्यम से लोगों में देशभक्ति की भावना को जगाया. इनकी उम्र 102 साल की हो चुकी है, लेकिन इनके गानों का जोश वही है. सुनेंगे तो खून उबाल मारने लगेगा. सिर्फ गाने में ही नहीं बल्कि कुश्ती में भी इनका जोड़ उस जमाने में नहीं था.

ये भी पढ़ें-Independence Day Special.. 15 साल की उम्र में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े, मैसेंजर के रूप में दिया बहुमूल्य योगदान

स्वतंत्रता सेनानी जंगबहादुर सिंह की कहानी: बिहार के सिवान जिले के रघुनाथपुर स्थित कौसर गांव में आज भी 102 साल के जंगबहादुर के गीत लोगों में देशभक्ति का जज्बा पैदा करते हैं. आजादी के पहले जंगबहादुर सिंह जब बलिया में देशभक्ति गीत गा रहे थे, उस वक्त ब्रिटिश शासनकाल था. तब अंग्रेजों को उनके ये गीत गाना पसंद नहीं था. ब्रिटिश प्रशासन ने उनके गाने पर प्रतिबंध लगा रखा था. लेकिन उन्होंने इसकी परवाह ना करके, वो स्वतंत्रता सेनानियों में अपने गीतों से जोश भरते रहे. पाबंदी के बावजूद जब जंग बहादुर ने अंग्रेजों के फरमान को अनसुना कर दिया तो उन्हें यूपी के बलिया जेल में दो दिनों तक बंद कर दिया गया. बाद में उन्हें छोड़ दिया गया.

102 साल की उम्र में भी नहीं हुआ जोश कम: जंग बहादुर आज भले 102 साल के हो गए हैं, लेकिन इस उम्र में भी पुरानी याद को ताजा कर के उनकी जवानी याद आ जाती है. मूछों पर ताव देते हुए आज भी वे देशभक्ति के गीत गाते हैं, जिसे सुनने के लिए गांव के लोग भी जुट जाते हैं. देशभक्ति का जुनून रखने वाले जंगबहादुर सिंह का जन्म 10 अक्टूबर, 1920 को सिवान के रघुनाथपुर के कौसर गांव में हुआ था. उनके पिता विशुन सिंह किसान थे.

देशभक्ति गीत ने पहुंचाया जेल: बता दें कि गांव में जिस तरीके से हर वक्त देशभक्ति गीतों से लोगों को ओत प्रोत करने वाले जंगबहादुर सिंह स्वतंत्रता दिवस पर जो गीत गा रहे हैं, उसे सुन कर रोंगटे खड़े हो जा रहे हैं. परिवार वालों का अब यही सपना है कि जंगबहादुर सिंह को उचित सम्मान मिले, जिसके वो हकदार हैं. जंग बहादुर सिंह ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ गीत गया था, जिसपर तब उन्हें जेल जाना पड़ा था.

पहलवानी में भी माहिर थे जंगबहादुर सिंह: जंगबहादुर देशभक्ति के जुनून के साथ-साथ पहलवानी में भी माहिर खिलाड़ी थे. कहा जाता है कि अच्छे-अच्छो पहलवानों को वो चंद सेकेंड में पटखनी दे देते थे. सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जंगबहादुर सिंह को आज तक कोई सम्मान नहीं मिला. गांववाले चाहते हैं कि अब इन्हें बिहार सरकार या जिला प्रशासन सम्मान दे. ताकि, देश में यह ख्याति प्राप्त कर सकें.

जंगबहादुर सिंह पर गर्व : जंगबहादुर सिंह की पोती खुशबू सिंह कहती हैं कि दादा जी के गीतों को सुन कर उन्हें काफी गर्व होता है. खास कर उस वक्त उन लोगों को ज्यादा खुशी मिलती है जब आस-पास और गांव के लोग इनकी देशभक्ति गीतों को सुन कर जम कर तारीफ करते हैं. अब परिवार के लोग बिहार सरकार और जिला प्रशासन से काफी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि आने वाले इस स्वतंत्रता दिवस पर जंगबहादुर सिंह को उच्चित सम्मान दिया जाय.

ये भी पढ़ें- पटना के बिहटा में स्कूली बच्चों ने निकाली 75 मीटर लंबा पैदल तिरंगा यात्रा

सिवान: देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) मना रहा है. सभी देशवासी अपने स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर रहे हैं, लेकिन सौभाग्य से आज भी कुछ स्वतंत्रता सेनानी हमारे बीच मौजूद हैं. उन्होंने इस देश को आजाद होते हुए देखा है. वह इस देश की 75 साल की गौरवशाली यात्रा के गवाह बने हैं. भारत को विकास के पथ पर बढ़ते हुए देखा है. दरअसल, भारत जब अंग्रेजों के हाथों गुलाम था, उस समय खबर पहुंचाने का कोई माध्यम नहीं था, तब लोक गायिकी ही एक ऐसा माध्यम था, जिससे भारतीय युवाओं में जोश भरने का काम किया जाता था. ऐसे ही एक स्वतंत्रता सेनानी है सिवान के जंगबहादुर सिंह (Freedom Fighter Jang Bahadur Singh), जिन्होंने अपनी गायिकी के माध्यम से लोगों में देशभक्ति की भावना को जगाया. इनकी उम्र 102 साल की हो चुकी है, लेकिन इनके गानों का जोश वही है. सुनेंगे तो खून उबाल मारने लगेगा. सिर्फ गाने में ही नहीं बल्कि कुश्ती में भी इनका जोड़ उस जमाने में नहीं था.

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स्वतंत्रता सेनानी जंगबहादुर सिंह की कहानी: बिहार के सिवान जिले के रघुनाथपुर स्थित कौसर गांव में आज भी 102 साल के जंगबहादुर के गीत लोगों में देशभक्ति का जज्बा पैदा करते हैं. आजादी के पहले जंगबहादुर सिंह जब बलिया में देशभक्ति गीत गा रहे थे, उस वक्त ब्रिटिश शासनकाल था. तब अंग्रेजों को उनके ये गीत गाना पसंद नहीं था. ब्रिटिश प्रशासन ने उनके गाने पर प्रतिबंध लगा रखा था. लेकिन उन्होंने इसकी परवाह ना करके, वो स्वतंत्रता सेनानियों में अपने गीतों से जोश भरते रहे. पाबंदी के बावजूद जब जंग बहादुर ने अंग्रेजों के फरमान को अनसुना कर दिया तो उन्हें यूपी के बलिया जेल में दो दिनों तक बंद कर दिया गया. बाद में उन्हें छोड़ दिया गया.

102 साल की उम्र में भी नहीं हुआ जोश कम: जंग बहादुर आज भले 102 साल के हो गए हैं, लेकिन इस उम्र में भी पुरानी याद को ताजा कर के उनकी जवानी याद आ जाती है. मूछों पर ताव देते हुए आज भी वे देशभक्ति के गीत गाते हैं, जिसे सुनने के लिए गांव के लोग भी जुट जाते हैं. देशभक्ति का जुनून रखने वाले जंगबहादुर सिंह का जन्म 10 अक्टूबर, 1920 को सिवान के रघुनाथपुर के कौसर गांव में हुआ था. उनके पिता विशुन सिंह किसान थे.

देशभक्ति गीत ने पहुंचाया जेल: बता दें कि गांव में जिस तरीके से हर वक्त देशभक्ति गीतों से लोगों को ओत प्रोत करने वाले जंगबहादुर सिंह स्वतंत्रता दिवस पर जो गीत गा रहे हैं, उसे सुन कर रोंगटे खड़े हो जा रहे हैं. परिवार वालों का अब यही सपना है कि जंगबहादुर सिंह को उचित सम्मान मिले, जिसके वो हकदार हैं. जंग बहादुर सिंह ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ गीत गया था, जिसपर तब उन्हें जेल जाना पड़ा था.

पहलवानी में भी माहिर थे जंगबहादुर सिंह: जंगबहादुर देशभक्ति के जुनून के साथ-साथ पहलवानी में भी माहिर खिलाड़ी थे. कहा जाता है कि अच्छे-अच्छो पहलवानों को वो चंद सेकेंड में पटखनी दे देते थे. सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जंगबहादुर सिंह को आज तक कोई सम्मान नहीं मिला. गांववाले चाहते हैं कि अब इन्हें बिहार सरकार या जिला प्रशासन सम्मान दे. ताकि, देश में यह ख्याति प्राप्त कर सकें.

जंगबहादुर सिंह पर गर्व : जंगबहादुर सिंह की पोती खुशबू सिंह कहती हैं कि दादा जी के गीतों को सुन कर उन्हें काफी गर्व होता है. खास कर उस वक्त उन लोगों को ज्यादा खुशी मिलती है जब आस-पास और गांव के लोग इनकी देशभक्ति गीतों को सुन कर जम कर तारीफ करते हैं. अब परिवार के लोग बिहार सरकार और जिला प्रशासन से काफी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि आने वाले इस स्वतंत्रता दिवस पर जंगबहादुर सिंह को उच्चित सम्मान दिया जाय.

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Last Updated : Aug 14, 2022, 5:50 PM IST
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