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सीवान में ट्रैफिक नियमों की जमकर उड़ रही धज्जियां, DTO ने दिए जांच के निर्देश - डीटीओ कृष्ण मोहन सिंह

सीवान के बस चालक सभी नियमों को ताक पर रखते हुए धड़ल्ले से बिना सीट बेल्ट के बस चला रहे हैं. इसके साथ ही मासूम बच्चों को वैन में बिना किसी सीट बेल्ट के आगे बैठाकर स्कूल ले जाया जाता है.

ट्रैफिक नियमों की उड़ रही धज्जियां
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Published : Sep 28, 2019, 12:32 PM IST

सीवान: ट्रैफिक नियम सख्त होने के बावजूद चालान का असर बेअसर होता दिख रहा है. जगह-जगह ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. खासकर स्कूलों के बाहर और कॉलोनियों में नियमों का उल्लंघन होते देखा जा रहा है. इसमें बिना हेलमेट, ट्रिपलिंग, मोबाइल पर बात करना, ओवर स्पीड समेत अन्य कई तरह के उल्लंघन किए जा रहे हैं.

बता दें कि सभी यात्री वाहनों में पिछली सीट पर बैठने वालों के लिए रियर सीट बेल्ट के उपयोग को अनिवार्य बनाया गया है. इसके बावजूद करीब 89 फीसदी स्कूल बसों और वैन में बच्चों के लिए रियर सीट बेल्ट नहीं है.

ट्रैफिक नियमों की उड़ रही धज्जियां

बिना सीट बेल्ट के चला रहे बस
सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार अभी देश में मात्र 11.2 फीसदी स्कूल बसों और वैन में बच्चों के लिए सीट बेल्ट है, लेकिन जागरुकता के अभाव में उसका उपयोग नहीं किया जा रहा है. सीवान के बस चालक सभी नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से बिना सीट बेल्ट के बस चला रहे हैं. इसके साथ ही मासूम बच्चों को वैन में बिना किसी सीट बेल्ट के आगे बैठा कर स्कूल ले जाया जाता है.

Siwan
बिना सीट बेल्ट के चल रही गाड़ियां

लगातार चल रहा चेकिंग अभियान
वहीं, इस संबंध में डीटीओ कृष्ण मोहन सिंह ने कहा कि हम लगातार चेकिंग अभियान चला रहे हैं. जिन गाड़ियों के चालक बिना सीट बेल्ट के पाए जाएंगे. ऐसी सभी गाड़ियों का चलान काटा जाएगा. हमने सभी स्कूल संचालकों को निर्देश दिया है कि बिना सीट बेल्ट के चालक स्कूल वाहन न चलायें. इसके बाद भी निजी स्कूल के बस चालक बिना सीट बेल्ट के बस, और वैन चला रहे हैं.

सीवान: ट्रैफिक नियम सख्त होने के बावजूद चालान का असर बेअसर होता दिख रहा है. जगह-जगह ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. खासकर स्कूलों के बाहर और कॉलोनियों में नियमों का उल्लंघन होते देखा जा रहा है. इसमें बिना हेलमेट, ट्रिपलिंग, मोबाइल पर बात करना, ओवर स्पीड समेत अन्य कई तरह के उल्लंघन किए जा रहे हैं.

बता दें कि सभी यात्री वाहनों में पिछली सीट पर बैठने वालों के लिए रियर सीट बेल्ट के उपयोग को अनिवार्य बनाया गया है. इसके बावजूद करीब 89 फीसदी स्कूल बसों और वैन में बच्चों के लिए रियर सीट बेल्ट नहीं है.

ट्रैफिक नियमों की उड़ रही धज्जियां

बिना सीट बेल्ट के चला रहे बस
सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार अभी देश में मात्र 11.2 फीसदी स्कूल बसों और वैन में बच्चों के लिए सीट बेल्ट है, लेकिन जागरुकता के अभाव में उसका उपयोग नहीं किया जा रहा है. सीवान के बस चालक सभी नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से बिना सीट बेल्ट के बस चला रहे हैं. इसके साथ ही मासूम बच्चों को वैन में बिना किसी सीट बेल्ट के आगे बैठा कर स्कूल ले जाया जाता है.

Siwan
बिना सीट बेल्ट के चल रही गाड़ियां

लगातार चल रहा चेकिंग अभियान
वहीं, इस संबंध में डीटीओ कृष्ण मोहन सिंह ने कहा कि हम लगातार चेकिंग अभियान चला रहे हैं. जिन गाड़ियों के चालक बिना सीट बेल्ट के पाए जाएंगे. ऐसी सभी गाड़ियों का चलान काटा जाएगा. हमने सभी स्कूल संचालकों को निर्देश दिया है कि बिना सीट बेल्ट के चालक स्कूल वाहन न चलायें. इसके बाद भी निजी स्कूल के बस चालक बिना सीट बेल्ट के बस, और वैन चला रहे हैं.

Intro:ट्रैफिक नियम की उड़ रही धज्जियां

सिवान।

सिवान में धरल्ले से नए मोटर व्हीकल एक्ट की धज्जियां उड़ाई जा रही है. निजी स्कूल के बस चालक बिना सीट बेल्ट के बस,और छोटे वाहन चला रहे हैं. मालूम हो कि सभी यात्री वाहनों में पिछली सीट पर बैठने वालो के लिए रियर सीट बेल्ट के उपयोग को अनिवार्य बनाए जाने के बावजूद करीब 89 फीसदी स्कूल बसों और वैन में बच्चों के लिए रियर सीट बेल्ट नहीं है.


Body:सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार अभी देश में मात्र 11.2 फीसदी स्कूल बसों वैन में बच्चों के लिए सीट बेल्ट हैं लेकिन जागरुकता के अभाव में उसका उपयोग नहीं किया जा रहा है. सिवान के बस चालक सभी नियम को ताक पर रखते हुए धड़ल्ले से बिना सीट बेल्ट के बसों को चला रहे हैं इसके साथ ही मासूम बच्चों को वैन में बिना किसी सीट बेल्ट के आगे बैठा कर स्कूल लाया ले जाया करते हैं. वही इस संबंध में डीटीओ ने कहा कि हम लगातार चेकिंग अभियान चला रहे हैं जिन गाड़ियों के चालक बिना सीट बेल्ट के पाए जाएंगे ऐसे सभी गाड़ियों का चलान काटा जाएगा.हमने सभी स्कूल संचालकों को निर्देश दे दिया है कि बिना सीट बेल्ट के चालक स्कूल वाहन ना चलायें.

बाइट-स्कूल बस चालक
बाइट-बच्चो के अभिभावक
बाइट-डीटीओ(कृष्ण मोहन सिंह)


Conclusion:
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